Move to Jagran APP

दूसरों का बोझ उठाते हैं ये... जालंधर में ट्रेनों की संख्या घटने से कुलियों को रोटी के लाले

जालंधर सिटी रेलवे स्टेसन पर ट्रेनों की संख्या कम होने यात्री भी कम हो गए हैं। इस वजह से उनका सामान उठाने वाले कुलियों को रोटी के लाले पड़ गए हैं। पूरा-पूरा दिन स्टेशन पर बैठने के बावजूद उनकी बोहनी तक नहीं हो रही है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 11:34 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 11:34 AM (IST)
दूसरों का बोझ उठाते हैं ये... जालंधर में ट्रेनों की संख्या घटने से कुलियों को रोटी के लाले
जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर 20 कुली हैं, आजकल इक्का-दुक्का ही नजर आ रहे हैं।

जालंधर [अंकित शर्मा]। पहले कोविड और अब किसान आंदोलन की वजह से पटरी पर दौड़ने वाली ट्रेनों की संख्या कम होने की जालंधर में कुलियों की हालत पतली हो गई। उनके लिए अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोजी-रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो गया है। ट्रेनों की संख्या कम होने यात्री भी कम हो गए हैं। जिस वजह से उन्हें सामान उठाने के लिए कोई भी बुक नहीं कर रहा। पूरा-पूरा दिन स्टेशन पर बैठने के बावजूद उनकी बोहनी तक नहीं हो रही है।

loksabha election banner

लाल वर्दी कुलियों के हालात ऐसे दयनीय हो गए हैं कि उनकी तरफ न तो रेलवे ध्यान दे रही ही और न ही कोई रेल अधिकारी। सिटी रेलवे स्टेशन पर करीब 20 कुली हैं, महज इक्का-दुक्का ही नजर आ रहे हैं और उनके आश्रय स्थल पर करीब दो महीनों से ताला लगा हुआ है।

रेलवे यात्रियों के बारे में सोच रही तो कुलियों की हालत भी देखें

लाल वर्दी कुली यूनियन के राष्ट्रीय प्रधान कश्मीरी लाल कहते हैं कि  कुलियों और उनके परिवार के भूखे मरने से बचाने के लिए उन्हें ग्रुप डी में शामिल कर ले। रेलवे की तरफ से यात्रियों को स्टेशनों पर ट्रेन कोच इंडिकेटर, एस्केलेटर, लिफ्ट, ट्राली बैग आदि सुविधाएं दिए जाने की वजह से उनका काम पहले ही नहीं निकल रहा है, मगर रेलवे की तरफ से कुलियों की हालत को सुधारने के लिए क्यूं नहीं कोई यत्न किया जा रहा है।

भूखमरी और कर्जे की मार से बचाने के लिए ग्रुप डी में करें शामिल

वर्दी कुली यूनियन के महासचिव सरवन सिंह कहते हैं कि पहले छह महीने कोविड-19 की वजह से जब पूरा देश व विश्व लाक हो गया था तो ट्रेनें बंद होना भी स्वभाविक था। आर्थिक तंगी तो पहले से थी, रही सही कसर कोविड काल ने निकाल दी। इसके बाद श्रमिक ट्रेनें चलाई तो लगा कि हालात सामान होने लगे हैं। जल्द बाकी ट्रेनें भी चलने लगेंगी। अब किसान आंदोलन के कारण उनकी आजीविका का कोई साधन नहीं बचा है।

उनका कहना है कि जानकारों से उधार पैसे लिए हैं। सोचा था हालात सामान्य होंगे तो लौटा देंगे। ट्रेनों की संख्या पूरे दिन भर में इक्का-दुक्का ही होने के कारण उन्हें ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। उनकी यह मांग है कि उन्हें भूखमरी और कर्जे की मार से बचाने के लिए रेलवे ग्रुप डी में शामिल करे।

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.