राजस्व जुटाने में पुलिस मुलाजिमों का निकला पसीना, अब लापरवाह लोग ही सहारा
पुलिस मुलाजिमों को रोजाना 50 हजार रुपये जुटाने का लक्ष्य है। हर थाने के अधीन आते इलाकों में लापरवाह लोगों का चालान करके सरकारी खजाना भरा जा रहा है।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए सरकार से लेकर सरकारी विभागों के अफसरों ने अपने-अपने स्तर पर कवायद जारी रखी है। पिछले पांच माह से लोगों को बताया जा रहा है कि कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाना और शारीरिक दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके बावजूद शहर में कई लोग ऐसे हैं, जो सुधरने का नाम नहीं ले रहे। अब उन्हेंं सुधारने के लिए पुलिस को सख्ती करनी पड़ रही है। इसी सख्ती का एक अन्य फायदा भी हो रहा है। रोजाना हर थाने के अधीन आते इलाकों में लापरवाह लोगों का चालान करके सरकारी खजाना भरा जा रहा है। खबरनवीस ने जब खाकीधारियों से इस अभियान में युद्धस्तर पर जुटने का कारण पूछा तो पता चला कि रोजाना 50 हजार रुपये जुटाने का लक्ष्य है। हकीकत यह है कि राजस्व जुटाने में पुलिस मुलाजिमों का पसीना निकल रहा है।
मतभेद सुलझे तो बात बने
शहर में तमाम स्थानों पर अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। तमाम कोशिशों व बैठकों के बाद भी नगर निगम ये निर्माण रुकवा पाने में कामयाब नहीं हो रहा है। अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने में फेल होने के बाद निगम ने एक कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी के सदस्यों ने भी आनन-फानन में कई बार बैठकें करके अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की कवायद तो शुरू कर दी, लेकिन आपस में ही फूट पडऩे के बाद आगे कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में अब इस कमेटी पर भी सवालिया निशान लगने लगा है। समस्या ये है कि कमेटी अपनी लड़ाई व मतभेद सुलझाए या अवैध इमारतों का निर्माण रुकवाए। इन पदाधिकारियों को कौन समझाए कि ये नगर निगम की कमेटी है। आज तक जब कोई कमेटी अपनी कार्यप्रणाली पर खरी नहीं उतरी तो ये कमेटी कहां से उतर जाएगी।
क्वारंटाइन में है खाकी!
जालंधर देहाती पुलिस के पूर्व एसएसपी नवजोत सिंह माहल सहित दर्जनों पुलिस मुलाजिम अब तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। कई अफसर व मुलाजिम इस महामारी को मात देकर काम पर वापस भी आ चुके हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद बड़े अधिकारियों में इसका खौफ इस कदर हावी हो गया कि अब तो वे दफ्तरों में पब्लिक डीलिंग से भी कतराने लगे हैं। इस समय जिला पुलिस हेडक्वार्टर का हाल यह है कि पूरे दफ्तर में एक भी बड़ा अधिकारी पब्लिक डीलिंग के लिए उपलब्ध नहीं होता। यहां प्रवेश करने के लिए ही आम लोगों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। किसी तरह प्रवेश मिलने के बाद भी जनाब मिलेंगे ही, इसकी भी गारंटी नहीं रहती। पिछले दिनों तो अपना काम करवाने को लेकर कई दिनों से चक्कर काट रहे एक युवक के मुंह से निकल ही पड़ा, 'सरकारी दफ्तरां' च वी सारे क्वारंटाइन हो गए।
दिग्गजों की लड़ाई में फंसे प्रधान
भाजपा में वैसे तो सब कुछ ठीक है, लेकिन नई कार्यकारिणी के गठन के बाद थोड़ा शीत युद्ध बढ़ गया है। पहले शहरी कार्यकारिणी में इस्तीफे का दौर चला। फिर देहात कार्यकारिणी भी उसी राह पर चल पड़ी। देहात की कमान भाजपा के अमरजीत सिंह अमरी को सौंपी गई है तो शहर की कमान युवा नेता सुशील शर्मा को। पहले शर्मा की पार्टी नेताओं के इस्तीफे से चुनौती बढ़ी और फिर अमरी की। दोनों के लिए सिर मुंडाते ही ओले पडऩे वाली बात हो गई। नए बने दोनों प्रधानों को काम शुरू करने से पहले ही दबाया जा रहा है। दरअसल, ये लड़ाई दिग्गजों की है, जिसे दोनों नए प्रधान समझ भी रहे हैं, लेकिन समय की नजाकत देखते हुए चुप्पी साधे हैं। देखना है कि दिग्गजों की तरफ से नई कार्यकारिणी को लेकर पार्टी के सामने अंदरखाते पेश की गई इस्तीफे की चुनौती को पार्टी कैसे निपटाएगी।