एक म्यान में दो तलवारें: AAP नहीं BJP के कारण सील करना पड़ा जालंधर का सर्किट हाउस
जालंधर में आप नेता भगवंत मान राघव चड्ढा जरनैल सिंह सहित तमाम नेताओं ने एकत्र होकर सरकार के खिलाफ सात अप्रैल से बिजली के मुद्दे पर जन आंदोलन चलाने का एलान किया। भाजपा के पंजाब प्रधान भी नेताओं के साथ वहीं पर गुप्त बैठक कर रहे थे।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। बीते बुधवार को जालंधर के सर्किट हाउस रोड को पुलिस ने पूरी तरह से सील कर दिया था। मौका था आम आदमी पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस का। खबरनवीस भी बड़ी संख्या में प्रेस कांफ्रेंस को कवर करने पहुंचे थे। सभी लोगों को पहचान पत्र देखने के बाद अंदर जाने दिया जा रहा था। प्रेस कांफ्रेंस में आप नेता भगवंत मान, राघव चड्ढा, जरनैल सिंह सहित तमाम नेताओं ने एकत्र होकर सरकार के खिलाफ सात अप्रैल से बिजली के मुद्दे पर जन आंदोलन चलाने का एलान किया। प्रेस कांफ्रेंस खत्म हो गई, लेकिन एक बड़ा सवाल लिए सभी मौके से निकले कि आखिर सर्किट हाउस को सील क्यों किया गया था। थोड़ी देर बाद बात निकली कि भाजपा के पंजाब प्रधान भी नेताओं के साथ वहीं पर गुप्त बैठक कर रहे थे। ऐसे में सुरक्षा आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए नहीं बल्कि भाजपा नेताओं के लिए लगाई गई थी।
कांग्रेस भवन में लगने लगी हाजिरी
जिला कांग्रेस के प्रधान पद के चुनाव को लेकर जैसे ही प्रदेश प्रधान का बयान आया तो दूसरे ही दिन से सन्नाटे में रहने वाला कांग्रेस भवन गुलजार हो गया। अब प्रधान बनने के तमाम दावेदार कांग्रेस भवन से लेकर विधायकों व मंत्रियों के दफ्तरों में हाजिरी भरने लगे हैं। इससे पहले न तो दावेदार कांग्रेस भवन में आ रहे थे और न ही अन्य नेता। अब नए सिरे से कांग्रेसियों ने जोर-आजमाइश शुरू कर दी है। विधायक भी हैरान हैं कि जो नेता महीनों से शक्ल दिखाने नहीं आ रहे थे, वो भी दफ्तरों में हाजिरी भर रहे हैं। हाजिरी लगाने वालों में कई ऐसे चेहरे भी शामिल हैं, जिन्हें खुद कांग्रेसी भी सालों बाद देख रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ आउटडेटेड और उम्रदराज कांग्रेसी भी इस उम्मीद में हाजिरी लगा रहे हैं कि शायद अनुभव के आधार पर प्रधान पद की कमान उनके हाथ में आ जाए।
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी
निगम कमिश्नर करनेश शर्मा मेयर से भी एक कदम आगे निकल गए हैं। शहर के विकास का बोझ अपने कंधों पर उठाने वाला नगर निगम इस बार भी हाउस की सालाना बैठक नहीं करवा पाया है। बीते साल बैठक न करवाने के पीछे कोरोना की आड़ में मेयर की कूटनीति थी, लेकिन इस बार कमिश्नर ने बाजी मारी। बैठक न होने के चलते निगम आर्थिक तौर पर सरकार पर निर्भर है। इस बार भी कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। सरकार एक साल से इसे लेकर सभी को जागरूक करने में जुटी थी। सरकार ने विधानसभा में अपना बजट पास करवा लिया, लेकिन निगम कमिश्नर ने निगम के आर्थिक हालात को देखते हुए सालाना बैठक का एजेंडा ही तैयार नहीं करवाया। एजेंडा तैयार होता तो बैठक होती। यही वजह है कि निगम कमिश्नर ने निगम की कार्यप्रणाली की पोल खुलने से बचा लिया। अब न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।
कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक
जालंधर सहित पंजाब में विभिन्न विभागों में तैनात रहे एक रिटायर आइएएस अधिकारी की कोरोना से मौत की खबर बीते दिनों इंटरनेट मीडिया पर चलाई गई। कापी पेस्ट पत्रकारिता से जुड़े तमाम कथित पत्रकारों ने जैसे ही इंटरनेट मीडिया पर खबर चली फटाफट खबर को कापी किया और अपनी-अपनी साइटों पर पेस्ट कर डाला। सिलसिला तीन दिनों तक बदस्तूर जारी रही। जिस अधिकारी की कोरोना से मौत की खबर चलाई जा रही थी, उनकी पत्नी ने व्यथित होकर आखिरकार फेसबुक पर पोस्ट डाली कि इस पत्रकारिता का क्या किया जाए जो जिंदा व्यक्ति को मार रही है। उनके पति अभी जिंदा हैं। उन्होंने लिखा, कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक तो यह इंटरनेट मीडिया हो गया है। उन्हें उम्मीद थी कि फेसबुक पर पोस्ट डालने के बाद तो कथित पत्रकार भूल सुधार कर लेंगे, लेकिन यहां तो उल्टा हो गया। कुछ और कथित पत्रकारों ने उस खबर को आगे बढ़ा दिया।