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जिनका कोई नहीं सहारा, उनके सम्मानजनक अंतिम संस्कार की 'आखिरी उम्मीद' है जालंधर की ये संस्था

जालंधर की संस्था आखिरी उम्मीद ऐसे कोरोना पीड़ितों का अंतिम संस्कार करने का पुनीत कार्य कर रही है जिन्हें किसी की सहारा उपलब्ध नहीं होता है। संस्था के सदस्य अब तक 300 से अधिक कोरोना पीड़ितों का संस्कार कर चुके हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 01:47 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 01:47 PM (IST)
जिनका कोई नहीं सहारा, उनके सम्मानजनक अंतिम संस्कार की 'आखिरी उम्मीद' है जालंधर की ये संस्था
जालंधर की आखिरी उम्मीद संस्था के सदस्य गतिविधियों की जानकारी देते हुए। जागरण

जालंधर, [प्रियंका सिंह]। कोरोना के दौर में इंसानियत मरती दिख रही है। कोरोना मरीजों की मौत के बाद चार लोग कंधा देने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। कई मामलों में तो परिजनों भी अंतिम संस्कार करने से हाथ पीछे खींच ले रहे हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में 'आखिरी उम्मीद' संस्था ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार करने का पुनीत कार्य कर रही है। संस्था के सदस्य अब तक 300 से अधिक कोरोना पीड़ितों का संस्कार कर चुके हैं। मृतकों में दिल्ली के साथ अन्य राज्यों के मरीज भी शामिल हैं। ये लोग केवल अंतिम संस्कार ही नहीं, बल्कि उसके बाद की पूरी क्रिया भी करते हैं। संस्था की ओर से जरूरतमंद लोगों को खाना और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जा रही हैं। हाल ही में मरीजों की मदद के लिए 11 रुपये में एंबुलेंस सेवा भी शुरू की गई है। 

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सबसे पहला अंतिम संस्कार आखिरी उम्मीद संस्था द्वारा गुरु नानक पुरा में आशु नाम की लड़की का किया गया था। 22 वर्षीय आशु की कोरोना के कारण मौत हो गई थी। अस्पताल की टीम ने इस संस्था के साथ संपर्क किया। उन्हें बताया गया कि लड़की का कोई नहीं है, केवल एक भाई है जो उसका अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठा सकता। तब से शुरू हुआ सिलसिला आज भी जारी है। शहर के हर श्मशानघाट में इन्होंने अपना फोन नंबर दिया हुआ है। जरूरतमंद संस्था को 9115560161 पर संपर्क कर सकते हैं।

2018 में शुरू हुई थी संस्था

बिजनेसमैन जितेंद्र पाल सिंह ने इस संस्था को 2018 में लोगों की मदद करने के लिए 11 सदस्यों के साथ शुरू किया था। इसमें जरूरतमंदों के पास भोजन, दवाई, राशन, कपड़ा जैसे अन्य चीजें पहुंचाई जाती थी। जब से संक्रमण का दौर शुरू हुआ, तब से वह उन मरीजों का अंतिम संस्कार करने लगे जिनकी जान कोरोना के कारण गई थी। इसके अलावा संस्था द्वारा बस्ती शेख में 11 रुपये में लोगों को दोपहर का खाना, 11 रुपये में दवाइयां और 11 रुपये में कपड़े दिए जा रहे हैं। लोगों की परेशानी को देखते हुए 11 रुपये में एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जिसमें मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाया जा रहा है।

पीपीई किट पहनकर करते हैं अंतिम संस्कार

अंतिम संस्कार के दौरान पूरी सावधानी रखी जाती है। इस दौरान संस्था की पूरी टीम पीपीई किट पहनती है। इसके साथ ही एरिया को सैनिटाइज भी किया जाता है।

वीडियो देख कर आया विचार: जितेंद्र

जितेंद्र बताते हैं कि फोन पर एक वीडियो देखी, जिसमें लुधियाना में किसी परिवार के सदस्य की कोरोना से मृत्यु हो चुकी थी और परिजन अंतिम संस्कार करने को राजी नहीं थे। यह देखकर उन्होंने अपनी संस्था के सदस्यों के साथ मीटिंग की। इसमें फैसला लिया कि संक्रमण से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा वो उठाएंगे। अब 15 लोग इनके साथ यह सेवा निभा रहे हैं। इस दौरान संस्था के एक सदस्य दलेर सिंह कोरोना की चपेट में आ गए थे। हालांकि वो बाद में ठीक हो गए।

माना कि कोरोना है, मगर अपना कर्तव्य न भूलें: चंद्रपाल

जितेंद्र का कहना है कि डर हमें भी लगता है। हमारे परिवार वाले भी हमारी फिक्र करते हैं, लेकिन हमने हार नहीं मानी। इंसानियत के प्रति हम अपनी सेवा नि:स्वार्थ भाव से निभा रहे हैं। हम अपना कर्तव्य नहीं भूलते।


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