सीबीएसई ने 30 फीसद सिलेबस में की कटौती, शिक्षाविद बोले- प्रतियोगी परीक्षाओं का भी घटे सिलेबस jalandhar News
जालंधर एपीजे स्कूल के प्रिंसिपल गिरीश कहते हैं कि दस महीने से स्कूल बंद हैं और आनलाइन क्लासें ही चल रही हैं। विद्यार्थियों में परीक्षाओं का तनाव न रहे और सिलेबस कवर करने में मुश्किल न हो। इन सब परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए सिलेबस कटौती का फैसला लिया गया।
जालंधर [अंकित शर्मा]। देश भर के इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) 2021 में चार बार होगा। इससे विद्यार्थियों को अपनी परफार्मेंस सुधारने का भी मौका मिलेगा। जिससे चारों अवसरों में विद्यार्थी स्वेच्छा के साथ चाहे तो भाग ले सकते हैं, क्योंकि इनमें से जिस भी सेशन में सर्वाधिक अंक व रैंक मिलेगा उसे ही फाइनल माना जाएगा। शिक्षाविदों का मानना है कि इस प्रयास से विद्यार्थियों को अपनी परफार्मेंस सुधारने का अवसर मिलेगा। उनका यह भी मानना है कि कोविड-19 काल की वजह से स्कूल बंद हैं और सीबीएसई की तरफ से सिलेबस में कटौती की गई है, ताकि परीक्षाओं की तैयारी को लेकर विद्यार्थियों को ज्यादा परेशानी न आए। पर हालात यह बने हुए हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस ज्यों को त्यों ही खड़ा है।
विद्यार्थियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस भी घटाया जाना चाहिए। उसका यही कारण है कि ऐसी कई टापिक बाकी रहेंगे जिन्हें स्कूलों में करवाया नहीं जा रहा है, मगर कंपीटिशन के लिए उन्हें वो भी करने पड़ेंगे। कंपीटिशन हर स्टेज पर कड़ा ही होता है, ऐसे में विद्यार्थी तनाव में न आए उनकी मनोस्थिति को देख सिलेबस में कटौती होनी ही चाहिए।
एपीजे स्कूल महावीर मार्ग के प्रिंसिपल गिरीश कुमार कहते हैं कि दस महीने से स्कूल बंद हैं और आनलाइन क्लासें ही चल रही हैं। विद्यार्थियों में परीक्षाओं का तनाव न रहे और सिलेबस कवर करने में मुश्किल न हो। इन सब परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए ही 30 फीसद तक की सिलेबस में कटौती की गई है। मगर प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस अभी भी पूरा का पूरा ही है। विद्यार्थियों को उनमें भी राहत जरूर मिलनी चाहिए।
एलकेसी इंजीनियरिंग से अकादमिक एडमिनिस्ट्रेटिव डिप्टी डायरेक्टर डा. आरएस दयोल कहते हैं कि यह तो साफ है कि हर साल के साथ कंपीटिशन कड़ा होता रहता है। अब जेईई की परीक्षा चार बार कर दी गई है, किसी को एक पेपर आसान लगेगा तो दूसरे को मुश्किल। इससे परफार्मेंस को सुधारने के विद्यार्थियों को चार अवसर मिलेंगे। मगर विद्यार्थियों की मनोस्थिति को ध्यान में रखते हुए सिलेबस में भी कटौती होनी ही चाहिए। क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं से पहले जो विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, उनमें तो पहले से ही सीबीएसई की तरफ से 30 फीसद सिलेबस को घटाया गया है।
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