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ऑनलाइन कंपनी से रखी नौकरानी हुई गायब, एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर न होने कारण फोरम में शिकायत खारिज

एसएएस नगर के विक्रमजीत सिंह बेदी ने कंपनी को 32 हजार रुपये देकर नौकरानी रखी लेकिन वह एक महीने बाद ही गायब हो गई।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 04:48 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 08:16 AM (IST)
ऑनलाइन कंपनी से रखी नौकरानी हुई गायब, एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर न होने कारण फोरम में शिकायत खारिज
ऑनलाइन कंपनी से रखी नौकरानी हुई गायब, एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर न होने कारण फोरम में शिकायत खारिज

जालंधर, जेएनएन। ऑनलाइन कंपनी के माध्यम से घरेलू नौकरानी रखना चाहते हैं तो एग्रीमेंट पर कंपनी और नौकरानी दोनों के हस्ताक्षर जरूर करवा लें। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो आपको भी एसएएस नगर के विक्रमजीत सिंह बेदी की तरह कंज्यूमर फोरम में बड़ा झटका लग सकता है। विक्रमजीत ने ऑनलाइन कंपनी के माध्यम से घरेलू नौकरानी को रखा था। वह एक महीने काम करने के बाद वह गायब हो गई। उन्होंने कंज्यूमर फोरम में शिकायत दी पर जिस एग्रीमेंट को आधार बना शिकायत की गई, उसमें कंपनी या नौकरानी के हस्ताक्षर ही नहीं थे। इसे अवैध मानते हुए फोरम ने उनकी शिकायत खारिज कर दी।

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विक्रमजीत ने फोरम में शिकायत दी थी कि उनके अभिभावक कनाडा में रहते हैं। पत्नी फरीदकोट में लेक्चरर है। इस कारण उन्हें घर में काम करने के लिए नौकरानी की जरूरत थी। उन्होंने इंटरनेट पर केएस फैसिलिटी मैनेजमेंट सर्विस बठिंडा का विज्ञापन देखा। उन्होंने कंपनी से संपर्क किया और उन्हें 11 माह के लिए नौकरानी देने की सहमति बनी। प्रतिमाह वेतन 12 हजार बताया गया। 15 मई, 2018 को उनके बीच कांट्रेक्ट हुआ, जो अप्रैल 2019 तक चलना था। एग्रीमेंट के मुताबिक उसके घर नौकरानी काम करने आई और कंपनी ने तीन किश्तों में उससे 32 हजार रुपये ले लिए। नौकरानी एक महीना आई और फिर गायब हो गई। उन्होंने कंपनी से संपर्क किया तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

पहले कंपनी को एक्सपार्टी करार दिया, फिर शिकायत की खारिज

फोरम ने नोटिस भेजा तो कंपनी सुनवाई में नहीं आई। फोरम ने उसे एक्सपार्टी करार देते हुए सुनवाई शुरू की। फैसले में फोरम ने कहा कि शिकायतकर्ता व कंपनी के बीच हुई बातचीत का कोई पुख्ता सबूत नहीं है। अगर यह व्हाट्सएप के जरिए हुआ तो दोनों पार्टियों के मोबाइल नंबर रिकॉर्ड में होने चाहिए थे। यह भी साबित नहीं हुआ कि 32 हजार की रकम किस मकसद से कंपनी को दी गई। सबसे अहम वह एग्रीमेंट था, जो कंपनी व विक्रमजीत के बीच हुआ। इस एग्रीमेंट में न तो नौकरानी के हस्ताक्षर हैं और न ही कंपनी के। इसलिए कानूनी नजर में उस एग्रीमेंट को वैध नहीं कहा जा सकता। इस वजह से केस नहीं बनता और फोरम ने शिकायत खारिज कर दी।

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