शराब के व्यवसाय से मुंह फेरने लगे कई ठेकेदार, कोई विदेश जाने की तैयारी में, तो कोई बदलना चाहता है कारोबार
सरकार की तरफ से ठेकेदारों को लुभाने के लिए अवैध शराब की बिक्री 100 फीसद बंद करवाने के लिए पुलिस को मुख्यमंत्री कार्यालय तक से आदेश जारी हुए। लेकिन हालात वैसे के वैसे हैं।
जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। शराब की बिक्री से खजाना भरना पंजाब सरकार के लिए अगले वित्त वर्ष में मुश्किल भी हो सकता है। चालू वित्त वर्ष के दौरान शराब व्यवसाय को हो रहे आर्थिक नुकसान एवं लागू किए जा रहे नियम कानून शराब ठेकेदारों को नागवार गुजरे हैं। हालात यह पैदा हो गए हैं कि डिफॉल्टर की सूची में आने से बचने के लिए ही ठेकेदार शराब की बिक्री कर रहे हैं और किसी तरह से चालू वित्त वर्ष की फीस अदा करने की कोशिश में है।
इस वर्ष भी जालंधर समेत पंजाब के अन्य जिलों में कुछ ग्रुप ऐसे भी थे, जिन्हें शराब ठेकेदार खरीदने के लिए तैयार नहीं थे। सरकार और एक्साइज विभाग की तमाम कोशिशों, आश्वासन और कीमत कम करने की घोषणा के बाद ही शराब ठेकेदार इन शराब ग्रुपों को चलाने के लिए तैयार हो गए थे। हालांकि तब सरकार की तरफ से ठेकेदारों को लुभाने के लिए कई तरह के वादे किए गए थे। नाजायज और अवैध शराब की बिक्री 100 फीसद बंद करवाने के लिए पुलिस को मुख्यमंत्री कार्यालय तक से आदेश जारी हुए।
सरकार की सख्ती सिर्फ शराब ठेकों पर, अवैध बिक्री धड़ल्ले से जारी
ठेके अलॉट हुए और अनलॉकिंग की प्रक्रिया शुरू हुई तो एक बार फिर से शराब ठेकेदार खुद को समस्याओं से घिरा पाने लगे हैं। शराब ठेकेदार खुद अवैध शराब की बिक्री पकड़वा रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि सरकार की तरफ से अवैध शराब की बिक्री को बंद करवाने के दावे खोखले ही हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से शराब ठेकों को बंद करने का समय भी मनमर्जी से ही तय किया जा रहा है। लॉकडाउन खुलने के बाद जब रात का कर्फ्यू लागू रहा तो पहले शराब ठेकों को रात 9 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई। उसके बाद अनलॉकिंग-4 के दौरान शराब ठेकों को अन्य दुकानों के साथ ही शाम 6:30 बजे बंद करने के लिए कह दिया गया। मात्र कहा ही नहीं गया, बल्कि शराब ठेके बंद करवाने के लिए बकायदा तौर पर सिविल एवं पुलिस प्रशासन से भी सख्ती करवाई गई।
समय बदलने से 65 फीसद गिरा कारोबार
अब ठेकेदारों का कहना है कि शाम 6:30 बजे शराब ठेके बंद हो जाने से उनकी बिक्री में लगभग 65 फीसद की गिरावट आई है। इसके अलावा मार्च महीने के बाद विभिन्न तरह की पाबंदियों के चलते अभी तक भी मैरिज पैलेस, बार एवं अहाते चल नहीं पाए हैं, जिसकी वजह से शराब की बिक्री पूरी तरह से प्रभावित है। शराब ठेकेदारों का तर्क यह भी है कि पांच महीने से जारी लॉकडाउन के चलते अब लोगों के पास शराब खरीदने के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं बचा है। सस्ती शराब ही ज्यादा बिक रही है और स्कॉच अथवा महंगी शराब अब नाम मात्र की ही बिक रही है।
ठेकेदारों का आरोपः फायदे का सौदा नहीं रहा शराब कारोबार
शराब ठेकेदारों का आरोप है कि यह सब कुछ सरकार और एक्साइज विभाग की अफसरशाही के सामने है। बिक्री के आंकड़े भी सरकार के पास उपलब्ध हैं। बावजूद इसके सरकार की तरफ से लाइसेंस फीस में किसी तरह की कोई राहत नहीं दी गई है। ठेकेदारों का कहना है कि एक्साइज विभाग की अफसरशाही को मात्र अपनी किस्त से मतलब है और किसी भी तरह की ठेकेदारों की मांग को सुना भी नहीं जा रहा है। ठेकेदार अब शराब के कारोबार को मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर किसी भी तरह से फायदे का सौदा नहीं बता रहे हैं। यही वजह है कि कुछ ठेकेदार विदेशों में पक्के तौर पर बसने की तैयारी कर चुके हैं और परिवार सहित वीजा लेने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। कुछ ऐसे हैं, जो शराब के कारोबार से पैसा निकाल कर कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिसमें कि आमदनी शुरू हो जाए और मौजूदा दबाव जैसे हालातों में कार्य न करना पड़े। अगर ऐसा होता है और शराब ठेकेदार शराब के व्यवसाय से ही मुंह मोड़ने लगते हैं तो अगले वित्त वर्ष में सरकार के लिए शराब ठेका को अलॉट करना एक बड़ी चुनौती बन जाएगा। शराब के कारोबार से ही सरकार को अच्छी-खासी आमदनी होती है, जिससे सरकार के खर्च चलते हैं।