Move to Jagran APP

कॉमर्शियल इमारतों की जल्द खुल सकती है सील, बहाल हो सकते हैं मुअत्तल निगम कर्मचारी

सरकार ने सोमवार को मिली 93 इमारतों की रिपोर्ट के बाद नरमी के संकेत दिए हैं। नगर निगम जालंधर जल्द शहर की कॉमर्शियल इमारतों की सीलिंग खोल सकता है।

By Edited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 11:28 AM (IST)
कॉमर्शियल इमारतों की जल्द खुल सकती है सील, बहाल हो सकते हैं मुअत्तल निगम कर्मचारी
कॉमर्शियल इमारतों की जल्द खुल सकती है सील, बहाल हो सकते हैं मुअत्तल निगम कर्मचारी

जागरण संवाददाता, जालंधर: नगर निगम जल्द ही शहर की कॉमर्शियल इमारतों की सीलिंग खोल सकता है। सरकार ने सोमवार को मिली 93 इमारतों की रिपोर्ट के बाद अपने आदेशों के प्रति नरमी का संकेत दिया है। सरकार ने करीब 7 महीने बंद पड़ी 93 कॉमर्शियल इमारतों के मालिकों की इन जायदादों को कंपाउड करके एनओसी देने का सरकार ने मन बना लिया है। मेयर जगदीश राजा ने बताया कि सरकार जल्द ही 93 इमारतों की सीलिंग खोलने के बारे में आदेश जारी करेगी। बीते 7 माह से बंद पड़ी इमारतों के मालिकों का नुकसान न हो, यह मुद्दा उन्होंने सरकार के पास उठाया था, जिसे लेकर सरकार ने विचार करने के बाद उक्त संकेत दिया है।

loksabha election banner

बहाली हो सकती है मुअत्तल हुए स्टाफ की

स्थानीय सरकार विभाग के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने 14 जून, 2018 को जालंधर की उक्त 93 इमारतों को अवैध करार दिया था। 28 जून, 2018 को मंत्री के आदेशों पर 93 अवैध इमारतों को लेकर नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के 8 अधिकारियों व कर्मचारियों की मुअत्तली हुई थी। अब उनके बहाल होने की संभावना भी बढ़ गई है। कारण, मंत्री सिद्धू ने उक्त कॉमर्शियल इमारतों के निर्माण के लिए मुअत्तल किए गए अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराया था। अब अगर 93 इमारतों की सीलिंग खुलती है तो मुअत्तल हुए अधिकारियों व कर्मचारियों की बहाली की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

सात महीने बाद पहुंची कॉमर्शियल इमारतों की रिपोर्ट

मेयर जगदीश राजा ने माना कि बिल्डिंग ब्रांच ही जिम्मेदार है, जिसने उनके कहने के बावजूद मंत्री द्वारा निशानदेही की 93 इमारतों की रिपोर्ट भेजने में 7 माह का समय लगा दिया। इमारतों की रिपोर्ट बीते सोमवार को सरकार के पास पहुंची है। मेयर ने इसके पहुंचने की पुष्टि भी की है। मेयर मंत्री द्वारा रिपोर्ट सप्ताह में मांगने के बाद रिपोर्ट तैयार करने के लिए बिल्डिंग ब्रांच को कहते रहे पर ब्रांच की मनमानी के कारण ही रिपोर्ट 7 महीने में चंडीगढ़ पहुंची।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.