जालंधर में दशहरा सेलिब्रेशन को लेकर बढ़ी सियासी खींचतान, आप की एंट्री से मुश्किल में आयोजक
पिछले साल तक दशहरा उत्सव में कांग्रेस व अकाली दल तथा भाजपा के चेहरे ही शामिल होते थे। इस बार आम आदमी पार्टी की सरकार है नतीजतन ज्यादातर आयोजनों में आप नेताओं को मुख्य अतिथि बनाने को लेकर आयोजकों पर ज्यादा दबाव है।
शाम सहगल, जालंधर। शहर में दशहरा पर्व का आयोजन कई दशकों से चला आ रहा है। कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं जब अंग्रेज हुकूमत ने दशहरा उत्सव के आयोजन को मंजूरी नहीं दी थी, लेकिन उसके बाद भी यह मनाया गया। ऐसे में उत्सव में शामिल होने वाली भीड़ को वोट बैंक में बदलने के लिए सियासी दलों में कई सालों से खींचतान चली आ रही है। जिस पार्टी की सरकार सत्ता में होती है, उत्सव में उसी दल के नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जाती है।
पिछले साल तक इन नेताओं में कांग्रेस व अकाली दल तथा भाजपा के चेहरे ही शामिल होते थे। इस बार आम आदमी पार्टी की सरकार है, नतीजतन ज्यादातर आयोजनों में आप नेताओं को मुख्य अतिथि बनाने को लेकर आयोजकों पर ज्यादा दबाव है। मौके की नजाकत को देखते हुए कुछ आयोजकों ने आप नेताओं को आयोजन में शामिल भी कर लिया है, लेकिन कुछ उन्हें प्रमुखता नहीं देना चाहते हैं।
प्रभुत्व तोड़ने के लिए जोड़-तोड़ शुरू
शहर की कई दशहरा कमेटियों को प्रशासन से इजाजत दिलवाने से लेकर फंड मुहैया करवाने में कांग्रेस व अकाली-भाजपा नेताओं का सहयोग रहा है। इस प्रभुत्व को तोड़ने के लिए आप नेताओं ने जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। इसके तहत कमेटियों के पदाधिकारियों को परोक्ष रूप से अपनी तरफ आकर्षित किया जा रहा है।
जेल रोड पर तैयार किए जा रहे रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले। जागरण
आयोजनों के लिए भी जाना जाता है जालंधर
जालंधर धार्मिक आयोजनों के लिए भी जालंधर जाना जाता रहा है। पंजाब के एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी धाम श्री देवी तालाब मंदिर, विश्व विख्यात मां अन्नपूर्णा मंदिर, श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर सूखा तालाब, एतिहासिक अस्थान गुरुद्वारा छेवीं पातशाही, प्राचीन मस्जिद इमाम नासिर, डेरा बाबा मुराद शाह तथा श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर सरीखे विश्व विख्यात धार्मिक स्थल जालंधर की धरती पर मौजूद हैं। तो यहां पर होने वाले आयोजन भी विख्यात हो चुके हैं। खासकर दशहरा उत्सव ब्रिटिश सरकार से लेकर आपातकाल के दौर में भी बंद नहीं हुआ।
33 सालों में कायम की मिसाल
श्री महाकाली मंदिर दशहरा कमेटी द्वारा साईं दास स्कूल पटेल चौक के खेल मैदान में होने वाले दशहरा उत्सव में 33 सालों में मिसाल कायम कर दी है। कारण, इस दशहरा कमेटी द्वारा दशहरा उत्सव से पूर्व भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है। इसमें देवी-देवताओं के स्वरूप शामिल होकर विभिन्न इलाकों से होते हुए दशहरा ग्राउंड में पहुंचते हैं।
प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष तरसेम कपूर बताते हैं कि इस दशहरा उत्सव में हर बार कुछ नया करने के लिए कमेटी का गठन किया जाता है। जो देश के विभिन्न इलाकों में होने वाले दशहरा उत्सव तथा अन्य आयोजनों से कुछ नया निकालकर इसमें शामिल करते हैं। तरसेम कपूर ने कहा कि इस बार केवल ब्रांडेड पटाखों के मुकाबले करवाए जाएंगे। इसके लिए बटाला तथा अमृतसर से विशेष टीम बुलाई गई है।
बिना अनुमति दशहरा मनाने पर ताया को भुगतनी पड़ी थी जेल
सूरी दशहरा क्लब बस्ती शेख द्वारा दशहरा ग्राउंड बस्ती शेख में पिछले 105 साल से दशहरा मनाया जा रहा है। प्रबंधक कमेटी के प्रमुख राज कुमार सूरी बताते हैं कि ब्रिटिश सरकार के समय दशहरा मनाने के लिए प्रशासन से लाइसेंस लेना पड़ता था। विभाजन से पूर्व देश में पैदा हुए तनाव के बीच दशहरे को लेकर ब्रिटिश सरकार ने दशहरे के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया। उस समय समाज सेवक ताया जवाहर लाल कपूर ने विचलित होने के बजाए दशहरे का संचालन किया। इसके चलते ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर 14 दिन के लिए जेल भेज दिया था। सूरी बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान 2020 में भी कोरोना नियमों की पालना करते हुए दशहरा मनाया गया था। इसमें जिला प्रशासन का पूरा सहयोग रहा।
100 साल पुराना दशहरा भी हुआ विख्यात
देवी तालाब दशहरा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष तथा पूर्व मेयर सुरेश सहगल बताते हैं कि पिछले 100 साल से भी अधिक पुराने इस दशहरा की प्रसिद्धि दूर-दूर तक रही है। जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में होने वाला श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन तथा दशहरा उत्सव सबसे अधिक प्रसिद्ध था। उनके पड़दादा राधा कृष्ण सहगल द्वारा दशहरा मनाने की परंपरा शुरू की गई थी, जिसे उनके दादा चौधरी बद्रीदास सहगल तथा पिता राजकुमार सहगल के बाद अब वह दशहरा की कमान संभाल रहे हैं। उनके परिवार की अगली पीढ़ी भी अब दशहरा मनाने में सहयोग कर रही है।
लार्ड बर्ल्टन भी कर चुके हैं दशहरे का उद्घाटन
शहर के बल्टर्न पार्क में इस बार 144वां दशहरा मनाया जा रहा है। प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष नंद लाल शर्मा बताते हैं कि ब्रिटिश सरकार के नुमाइंदे लार्ड बल्टर्न (जिनके नाम पर बल्टर्न पार्क बना है) भी इस दशहरे का उद्घाटन कर चुके हैं। इसके अलावा दशहरा पर्व देखने के लिए लार्ड बल्टर्न हर साल विशेष रूप से यहां आते थे। वह डीएवी कालेज के नजदीक स्थित लाल कोठी में ठहरते थे। उन्होंने बताया कि 144 साल बाद भी इस कमेटी द्वारा दशहरा मनाने की परंपरा को बरकरार रखा है।