दीपावली पर डाक्टरों की सलाह- अस्थमा व एलर्जी के मरीज पटाखों के धुएं से रहें दूर
एक्सपर्ट्स के अनुसार पटाखों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड फारफोरस कार्बन डाईआक्साइड कार्बन मोनो आक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें छाती व फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। अस्थमा और टीबी के मरीजों को दीपावली के दिन विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
जालंधर, जेएनएन। कोरोना काल में पटाखों से उठने वाला धुआं लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वहीं, इन दिनों पराली को आग लगाए जाने से पर्यावरण में प्रदूषण का जहर घुल रहा है। हवा में मौजूद दूषित कण अस्थमा व टीबी के मरीजों के लिए घातक हैं। एलर्जी के मरीज भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं। तेज आवाज वाले पटाखें बहरेपन का कारण बन सकते है। ऐसे में इन समस्याओं से ग्रस्त लोगों को दीवाली पर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।
जिला टीबी अधिकारी डा. राजीव शर्मा ने कहा कि पटाखों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड, फारफोरस, कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें छाती व फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। दीपावाली के बाद ऐसे मरीजों की संख्या में 10-15 फीसद तक का इजाफा होता है। टीबी, अस्थमा व एलर्जी के मरीजों को पटाखों के धुएं से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एसे मरीजों को दीपावली से पहले ही घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।
करना पड़ सकता है सांस लेने में दिक्कत का सामना
उन्होंने कहा किए इन मरीजों को हवा में मौजूद दूषित कणों की वजह से फेफड़ों में सूजन हो सकती है। इस कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। समस्या से निजात पाने के लिए मरीजों को इन्हेलर हमेशा अपने पास रखना चाहिए। सांस लेने में समस्या आते ही इन्हेलर के दो-तीन पफ तुरंत लेने चाहिए। इसके अलावा अस्थमा और टीबी के मरीजों को डाक्टर की सलाह अनुसार रुटीन में दवा खानी चाहिए। इन मरीजों के फेफड़ें कमजोर होते हैं। दवा छोड़ने से समस्या विकराल रूप धारण कर सकती हैं। अस्थमा, टीबी और एलर्जी के मरीजों को पटाखों से दूर रहना चाहिए। उन्हें पटाखा चलाने वाले व्यक्ति से कम से कम सात फीट की दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मास्क का प्रयोग भी जरूरी है।
110 डेसीबल वाले पटाखे कान के नुकसानदायक
ईएनटी रोगों के माहिर डा. संजीव शर्मा कम आवाज वाले पटाखे कानों के सुरक्षित मानते हैं। उन्होंने कहा कि 110 डेसीबल वाले पटाखे कान के पर्दे के लिए नुकसानदायक हैं। दीपावली के बाद एक सप्ताह के भीतर ओपीडी में 4-5 मरीज ऐसे आते हैं जिनके कान में समस्या हो जाती है।
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