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ठोको तालीः मुद्दा सुनवाई का है साहब! बैठकों में यूं ही नहीं रोते नेता

जिला शिकायत निवारण कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करने पहुंचे मंत्री ओपी सोनी के आगे पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर व मेयर जगदीश राजा भिड़ बैठे।

By Vikas KumarEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 09:10 AM (IST)
ठोको तालीः मुद्दा सुनवाई का है साहब! बैठकों में यूं ही नहीं रोते नेता
ठोको तालीः मुद्दा सुनवाई का है साहब! बैठकों में यूं ही नहीं रोते नेता

जालंधर [मनीष शर्मा]। जिले में अफसरों व सरकार को चला रहे कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच ही खानाजंगी चल रही है। जब भी कभी इकट्ठे होते हैं तो आपस में भिड़ जाते हैं, चाहे सामने मंत्री ही क्यों न बैठा हो। जिला शिकायत निवारण कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करने पहुंचे मंत्री ओपी सोनी के आगे पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर व मेयर जगदीश राजा भिड़ बैठे। बात बाहर आई तो दूर तलक गई। खैर, इसे मैनेज करने को किसी तरह निगम व पुलिस ने मिलकर संडे बाजार नहीं लगने दिया। इसके बाद हाल ही में फिर मीटिंग हुई तो उक्त दोनों नेता और अधिकारी शांत रहे। वे नहीं चाहते थे कि कोई नया बखेड़ा खड़ा हो। लेकिन इस बार कांग्रेस के विधायक लाडी शेरोवालिया व एडीसी विशेष सारंगल भिड़ बैठे। यहां डीसी ने भी सारंगल का साथ दिया। स्पष्ट है नेताओं का अफसरों पर सुनवाई न करने का रोना यूं ही नहीं है।

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आइपीएस की 'गुमनामी' का राज

पुलिस कमिश्नरेट में तैनात इकलौती सीधी भर्ती वाली आइपीएस डी. सुडरविली की 'गुमनामी' के राज पर खूब चर्चाएं हो रही हैं। एडीसीपी तैनात सुडरविली इन दिनों सार्वजनिक जगहों पर कार्रवाई में कम ही नजर आती हैं। अब तो प्रेस कांफ्रेंस में भी नहीं दिख रही हैं। कमिश्नरेट के भीतर भी कई चर्चाएं हैं क्योंकि आइपीएस होने के बावजूद उनके ऊपर पांच पीपीएस अधिकारी डीसीपी के तौर पर लगा दिए गए हैं। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर भी पीपीएस से पदोन्नत होकर आइपीएस बने हैं। हालत यह है कि आइपीएस होने के बावजूद सुडरविली को पीपीएस अधिकारियों को सेल्यूट तो मारने ही पड़ते हैं। उनके अधीन आते पुलिस थानों की भी जब कोई उपलब्धि होती है तो डीसीपी कांफ्रेंस करने पहुंच जाते हैं। पिछले दिनों आइपीएस सुडरविली पब्लिक-पुलिस मीटिंग में पहुंची तो खुद पुलिस कर्मियों की जुबान पर यही बात थी 'मैडम, अज्ज बड़े दिनां बाद नजर आए।'

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दुखती रग पर रख दिया हाथ

जिला शिकायत निवारण कमेटी की बैठक में मंत्री ओपी सोनी पहुंचे। पत्रकार वार्ता शुरू हुई तो सवाल विधायक परगट सिंह के नशे पर मुख्यमंत्री को लेकर लिखे पत्र पर हुआ। मंत्री सोनी बोले, नशा अब तो काफी कम हो गया है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन वह सवाल पूछने वालों से ही सवाल करके गलती कर बैठे। मंत्री ने पत्रकारों से ही पूछ लिया कि आप ही बताओ नशा कम हुआ या नहीं? सब पत्रकारों ने एक सुर में इनकार कर दिया। मंत्री जी अब बगलें झांकने लगे। तभी किसी ने उनको पंजाब के स्कूलों को भी दिल्ली की तरह बनाने के बारे में पूछ दुखती रग पर हाथ रख दिया। सोनी पहले खुद शिक्षा मंत्री थे और उन्हें हटा दिया गया था। फिर 18 दिन बाद उन्होंने मेडिकल एजुकेशन मंत्री का चार्ज लिया था। अब इस सवाल पर वो इतना ही बोले कि शिक्षा मंत्री से पूछिए।

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जवाबदेही से बच रहीं आरटीए सचिव

फील्ड में चेकिंग हो या किसी पर कार्रवाई करनी हो तो आरटीए की सचिव डॉ. नयन जस्सल अच्छे ढंग से फोटो खिंचवाती हैं लेकिन बात जब जवाबदेही की आती है तो दूरी बना लेती हैं। खासकर, जब कोई पत्रकार लोगों की समस्या पर उनसे सवाल पूछने की कोशिश करे तो। हैरत की बात यह है कि मोबाइल पर चंडीगढ़ बैठे स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर व ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी से आसानी से बात हो जाती है लेकिन आरटीए की सचिव से बात करना मुश्किल हो चुका है। उनके दफ्तर में ही इसको लेकर चर्चाएं हैं कि जब भी महकमे के खिलाफ खबरें लगती हैं तो वो पत्रकारों से बात करना बंद कर देती हैं। वाट्सएप पर पूछो तो नंबर ही ब्लॉक लिस्ट में डाल देती हैं। हालांकि इसमें क्या सच है और कितना गलत, यह तो सेक्रेटरी ही जानें लेकिन जनहित के सवाल पर जवाबदेही से बचने की कोशिश जरूर अखरती है।


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