पटेल अस्पताल और दवा विक्रेताओं के विवाद का असर, शहर की सबसे बड़ी सैरगाह की सूरत बिगड़ी Jalandhar News
कंपनी बाग अंग्रेजों के समय में विकसित किया गया था। काफी बड़ा होने के कारण इसके रखरखाव पर खर्च भी ज्यादा आता है।
जालंधर, जेएनएन। पटेल अस्पताल प्रशासन और दिलकुशा मार्केट के दवा विक्रेताओं के बीच हुए विवाद की कीमत कंपनी बाग को चुकानी पड़ रही है। पटेल अस्पताल ने शहर की सबसे बड़ी सैरगाह माने जाते कंपनी बाग के रखरखाव का जिम्मा लिया था और वहां एक महीने तक काम भी करवाया। इसके कुछ समय बाद ही अस्पताल प्रबंधन का दवा विक्रेताओं से विवाद हो गया। निगम दवा विक्रेताओं के पक्ष में आया तो अस्पताल प्रबंधन ने कंपनी बाग की जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए। इसके बाद से ही कंपनी बाग की सूरत बिगड़ गई है। इस कारण यहां सैर करने के लिए आने वाले लोग भी परेशान हैैं।
डेढ़ महीने से रिलायंस के जवाब का इंतजार
इस विवाद के बाद रिलायंस समूह ने कंपनी बाग का रखरखाव अपने हाथ में लेने के लिए निगम से बातचीत शुरू की थी। समूह के प्रतिनिधियों द्वारा निगम से करार के लिए दस्तावेज और पॉलिसी की कॉपी तो ले ली, लेकिन डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया है।
रखरखाव का सालाना खर्च है 18 लाख
कंपनी बाग अंग्रेजों के समय में विकसित किया गया था। काफी बड़ा होने के कारण इसके रखरखाव पर खर्च भी ज्यादा आता है। निगम एक साल के रखरखाव के लिए ठेकेदार को 18 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान करता रहा है। अब पटेल अस्पताल पीछे हट गया है तो किसी दूसरी कंपनी से करार होने तक निगम को खुद यह काम करना पड़ेगा।
जून 2015 में पूरा हुआ था सौंदर्यीकरण
कंपनी बाग का सौंदर्यीकरण कई विवादों में फंसने के बाद छह साल तक चला। पांच करोड़ की लागत से जून 2015 में यह काम पूरा हुआ। बाग की लैंड स्केपिंग करवाई गई, म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया और किड्स जोन बनाया गया था। 2015 से ही निगम कंपनी बाग के रखरखाव के लिए ठेका देता रहा, लेकिन पिछले एक साल से ठेका नहीं दिया गया।
खाद बनाने का प्रोजेक्ट भी हुआ फेल
नगर निगम ने पेड़-पौधों की वेस्ट से खाद बनाने के लिए पिट््स प्रोजेक्ट शुरू किया था। पिट््स में पत्ते व और बाग से निकलने वाली ग्रीन वेस्ट से अब तक खाद नहीं बन पाई है। यह पिट््स अब कूड़े के डंप बनते जा रहे हैं।
फुटपाथों पर भी फैली है गंदगी
करीब एक साल से कंपनी बाग के रखरखाव का ठेका नहीं हुआ। पहले पुराने ठेकेदार से काम करवाया, फिर पटेल अस्पताल की टीम ने काम किया और अब नगर निगम खुद देख रहा है। इससे सफाई व्यवस्था बिगड़ गई और फुटपाथ पर भी गंदगी फैली है।
पटेल अस्तपाल के साथ जून 2019 में छह साल के करार के लिए शर्तें तय हुई थी लेकिन करार सिरे नहीं चढ़ पाया। रिलायंस समूह ने भी दोबारा संपर्क नहीं किया। इसका यही मतलब है कि रिलायंस समूह कंपनी बाग की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। ऐसे में निगम द्वारा कंपनी बाग को संवारा जा रहा है।
- दलजीत सिंह, लैैंड स्केप अफसर, नगर निगम, जालंधर।
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