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हमारे योद्धाः जिंदगी की जीत के लिए 18-20 घंटे काम कर रहे डॉ. सतीश

Coronavirus की देश में दस्तक के तुरंत बाद से Virus को हराने के लिए जालंधर जिला एपीडिमोलॉजिस्ट डॉ. सतीश कुमार दिन-रात काम में जुटे हुए हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 03:10 PM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2020 08:10 AM (IST)
हमारे योद्धाः जिंदगी की जीत के लिए 18-20 घंटे काम कर रहे डॉ. सतीश
हमारे योद्धाः जिंदगी की जीत के लिए 18-20 घंटे काम कर रहे डॉ. सतीश

जालंधर, जेएनएन। कोरोना वायरस (CoronaVirus) के साथ पूरा विश्व जंग लड़ रहा है। लोगों को कोरोना के प्रकोप से बचाने व सेहत कर्मियों को काम करने के लिए प्रेरित करना बहुत जरूरी है। इस कार्य को अंजाम देने के लिए सेहत विभाग में जिला एपीडिमोलॉजिस्ट की अहम भूमिका है।

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वायरस की देश में दस्तक के तुरंत बाद से आज तक कोरोना को हराने के लिए जिला एपीडिमोलॉजिस्ट डॉ. सतीश कुमार दिन-रात काम में जुटे हुए हैं। डॉ. सतीश का कहना है कि वे दिन में 18 से 20 घंटे तक काम कर रहे हैं। पूरा दिन जिला प्रशासन के साथ बैठकें करने के अलावा लोगों को जागरूक करने में निकल जाता है। इन दिनों विदेशों से आए एनआरआइज की स्क्रीनिंग बड़ी चुनौती बन चुकी है। वह संक्रमण रोगों के विषय पर अच्छी खासी जानकारी रखते हैं और वह केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रलय के साथ इंटरनेशनल स्तर पर गंभीर बीमारियों की होने वाली आउटब्रेक पर काबू करने में अहम भूमिका अदा कर चुके हैं।

लोगों को जागरूक करने से स्क्रीनिंग तक की जिम्मेदारी

ऑफिस में पहुंचते ही शुरू हो जाता है जिला प्रशासन व विभागीय बैठकों का सिलसिला, जो देर शाम तक चलता है। इन दिनों दोपहर का खाना खाने का समय भी नही लगता है। बैठक में चाय पीकर और अगर थोड़ा समय लगा तो फल खाकर गुजारा किया जा रहा है। दिन भर जिला प्रशासन, सेहत विभाग की बैठकों के अलावा लोगों को जागरूक करने के लिए सेमिनार कर रहे हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस के संदिग्धों के सैंपल दिलवाने, जांच के लिए भेजने के अलावा जिले भर में विदेश से आए एनआरआइज को ढूंढ़ने व स्क्रीनिंग करवाने की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। रात का खाना भी देरी से खाने को मिल रहा है। देर रात एक डेढ़ बजे तक कोरोना वायरस के अलावा अन्य बीमारियों के विषय पर गहन जानकारी हासिल करते हैं। शाम तक पूरी तरह से थकान हो जाती है, परंतु काम करने हिम्मत कभी नहीं हारी है।

नाश्ता भी रास्ते में ही कर रहे

डॉ. सतीश कुमार का कहना है कि वे पहले सुबह सात उठते थे। सैर और व्यायाम करने के बाद नाश्ता कर ऑफिस पहुंच जाते थे। पिछले एक माह से भी ज्यादा समय से रोज सुबह पांच बजे उठ रहे हैं। इन दिनों सैर और व्यायाम पूरी तरह से बंद हो चुका है। सुबह उठते ही लैपटॉप ऑन कर देखते हैं क‍ि काेरोना वायरस पर काबू पाने के लिए क्‍या नई रणनीति तैयार हुई है।


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