जालंधर बाल तस्करी मामला नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी तक पहुंचा, ठेकेदार की तलाश में पुलिस
जालंधर के गांव कंगनिवाल में बिहार लाए बच्चों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही थी। बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के सहयोग से इन बच्चों को पिछले दिनों पुलिस ने मुक्त करवाया था। पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो चुके हैं।
जालंधर, जेएनएन। गांव कंगनिवाल में बिहार के खगड़िया से लाए गए तीस से ज्यादा बच्चों को बंधुआ बनाकर उनसे मजदूरी करवाने का मामला नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी तक पहुंच गया है। 'बचपन बचाओ आंदोलन' के दिनेश कुमार ने संस्था के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी को पूरे मामले की जानकारी दी है। वर्चुअल बैठक के दौरान उन्होंने बंधुआ मजदूरों को बरामद करने से लेकर उन्हें छुड़ाने तक के दौरान हुए घटनाक्रम के बारे में विस्तार के साथ बताया। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि आरोपितों को बख्शा नहीं जाएगा।
बता दें कि 'बचपन बचाओ आंदोलन' नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में कार्य करती है। लंबे समय तक बच्चों के लिए कार्य करने के कारण ही उन्हें पाकिस्तान की मलाला युसुफजई के साथ नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
जालंधर के गांव कंगनिवाल में बिहार लाए बच्चों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही थी। बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के सहयोग से इन बच्चों को पिछले दिनों पुलिस ने मुक्त करवाया था। इसके बाद कई बच्चों को शराब पिलाकर उन्हें बंधुआ बनाकर दिन में 12 से 14 घंटे काम करवाने जैसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
तंग जगह में रख बच्चों को यातनाएं देता था ठेकेदार
पुलिस आरोपित ठेकेदार प्रवेश सादा की तलाश में जुटी है। पुलिस जांच में पता चला है कि प्रवेश बच्चों को आगे अन्य ठेकेदारों को बेच देता था। वह काम ना करने वाले बच्चों के साथ मारपीट करता था। उन्हें एक तंग जगह में रखा जाता था। विरोध करने पर मानसिक यातनाएं दी जाती थी। जो बच्चा ज्यादा परेशान करता था, उसे दूसरी जगह पर भेज दिया जाता था। बता दें कि पिछले एक महीने में ही जालंधर पुलिस ने लेदर कांप्लेक्स की एक फैक्ट्री से 37 बच्चे मुक्त करवाए थे। इसी तरह एक अन्य फर्म से दस बच्चों को मुक्त करवाया गया था।