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अब कैंट में बन गया नया पावर सेंटर, परगट सिंह के लिए राणा गुरजीत बन गए चुनौती

स्पो‌र्ट्समैन से पालिटिशियन बने परगट सिंह अब शहर की सियासत को कंट्रोल करेंगे। पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनका कद बढ़ा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 08:00 AM (IST)
अब कैंट में बन गया नया पावर सेंटर, परगट सिंह के लिए राणा गुरजीत बन गए चुनौती
अब कैंट में बन गया नया पावर सेंटर, परगट सिंह के लिए राणा गुरजीत बन गए चुनौती

जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर

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स्पो‌र्ट्समैन से पालिटिशियन बने परगट सिंह अब शहर की सियासत को कंट्रोल करेंगे। पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनका कद बढ़ा है। जिले से वह अकेले मंत्री हैं। हालांकि जालंधर लोकसभा सीट के जनरल रहते सांसद रह चुके राणा गुरजीत सिंह के भी कैबिनेट मंत्री बनने से जालंधर की राजनीति दो गुटों में बंट सकती है। विधायक बावा हैनरी, चौधरी सुरिदर सिंह के परगट सिंह के साथ रहने की संभावना है और राणा गुरजीत सिंह के साथ विधायक सुशील रिकू, लाडी शेरोवालिया का रहना तय है। विधायक राजिदर बेरी का रुख अब साफ नहीं है कि वह किसके साथ जाएंगे। कैबिनेट मंत्री बनने के बाद अब नजर इस बात पर है कि परगट सिंह को कौन से महकमे मिलते हैं। शहर में विकास कार्याें के लिए कैबिनेट मंत्री की पूछ रहेगी तो अफसरशाही के लिए भी अब परगट सिंह ही सत्ता का केंद्र रहेंगे। परगट सिंह जमीनी नेता नहीं है इसलिए उनके लिए लोकल राजनीति का दबाव झेलना भी मुश्किल रहेगा। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस समय परगट सिंह कैबिनेट मंत्री बने उस समय उनके घर में सन्नाटा पसरा था। कांग्रेस भवन में परगट सिंह के बजाय राणा गुरजीत सिंह के मंत्री बनने पर भांगड़ा डाला जा रहा था। ---------

सांसद चौधरी के लिए भी मुश्किल

सांसद चौधरी संतोख सिंह के लिए भी शहर की राजनीति अब दोधारी तलवार होगी। सांसद चौधरी ने सत्ता को लेकर पंजाब में हुए संघर्ष में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह का खुलकर साथ दिया। अब सत्ता कैप्टन विरोधियों के हाथ है। ऐसे में चौधरी संतोख सिंह का कैबिनेट मंत्री से तालमेल मुश्किल है तो वहीं राणा गुरजीत सिंह के साथ चलना भी चौधरी के लिए आसान नहीं है। -----------

राणा को पावर से विधायक रिकू की राह आसान

राणा गुरजीत सिंह के मंत्री बनने से विधायक सुशील रिकू के लिए राह आसान हो गई है। रिकू भी कैप्टन अमरिदर सिंह के करीबी हैं। राणा गुरजीत अगर मंत्री ना बनते तो रिकू के लिए समय कठिन हो सकता था। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के करीबी रिश्तेदार मोहिदर सिंह केपी शहर की राजनीति में तेजी से सक्रिय हुए हैं। उनकी तेजी का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राणा गुरजीत सिंह को मंत्री बनने से रोकने के लिए 6 विधायकों को साथ लेकर पंजाब कांग्रेस प्रधान से शिकायत तक कर डाली। केपी कभी इतने आक्रमक नहीं हुए हैं। उनके निशाने पर जालंधर वेस्ट सीट है। रिकू ने ही केपी को इस सीट से बेदखल किया था। राणा के मंत्री बनने से रिक की ताकत भी बढ़ेगी।


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