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शहरनामा : नाराज नेताओं को मनाने की मशक्कत, पुरानों की भी आई याद

नाराज चल रहे नेताओं में अधिकतर ऐसे हैं जो किसी न किसी बात को लेकर बड़े नेताओं की कमियां निकालने से पीछे नहीं हटते थे। हालांकि इन्हेंं मनाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि इनके जरिये ही पार्टी को कमियां पता लगेंगी और उन्हेंं सुधारा जा सकेगा।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:14 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:14 AM (IST)
शहरनामा : नाराज नेताओं को मनाने की मशक्कत, पुरानों की भी आई याद
अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को अब चुनाव की तैयारियों में अधिक जोर लगाना होगा। (File photo)

जालंधर, [जगजीत सिंह सुशांत]। भाजपा शहरी के प्रधान एडवोकेट सुशील शर्मा नाराज चल रहे पार्टी के पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं को दोबारा सक्रिय करने के लिए काफी मशक्कत कर रहे हैैं। इसे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को अब चुनाव की तैयारियों में अधिक जोर लगाना होगा। इसके लिए सभी छोटे-बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रधान ने कई पुराने नेताओं से संपर्क भी किया है। अहम बात ये है कि नाराज चल रहे नेताओं में अधिकतर ऐसे हैं, जो किसी न किसी बात को लेकर बड़े नेताओं की कमियां निकालने से पीछे नहीं हटते थे। हालांकि इन्हेंं मनाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि इनके जरिये ही पार्टी को कमियां पता लगेंगी और उन्हेंं सुधारा जा सकेगा।

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बेइज्जती नहीं हो रही बर्दाश्त

'मेरा कूड़ा मेरी जिम्मेवारी' अभियान के समापन समारोह और साइकिल रैली में पार्षदों की अनदेखी चर्चा में बनी हुई है। इस मुद्दे पर पार्षद मेयर से दो बार नाराजगी भी जता चुके हैं और एक बार फिर जताने की तैयारी है। दरअसल, समापन समारोह में 80 में से 74 पार्षद नहीं पहुंचे थे, क्योंकि उन्हेंं विधिवत रूप से इसके लिए निमंत्रण ही नहीं दिया गया था। यही कारण रहा कि पार्षदों के समर्थकों ने भी इस समरोह से दूरी बना ली और साइकिल रैली भी ठंडी ही रही। पार्षद मेयर जगदीश राजा से शिकायत करने पहुंचे तो मेयर ने कहा कि इस बारे में निगम कमिश्नर ही बता सकते हैं। हालांकि पार्षद तो मेयर से ही नाराज हैं, क्योंकि वह खुद प्रोग्राम में शामिल हुए और उन्हेंं पूछा तक नहीं गया। अब मेयर पार्षदों की नाराजगी दूर करने के लिए निगम अफसरों के खिलाफ कड़ा फैसला ले सकते हैं।

चर्चा में हैैं सलाहकार बने नेताजी

कांग्रेस पार्टी के एक नेता आजकल काफी चर्चा में बने हुए हैैं। वह राजनीतिक रूप से बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं हैं और साथ ही लो प्रोफाइल माने जाते हैं। दरअसल आजकल वह सामाजिक कल्याण मंत्री के अघोषित सलाहकार बने हुए हैैं। उनकी चर्चा इस बात को लेकर है कि जिला भलाई अफसर के तबादले में वह छह विधायकों, मेयर और कांग्रेस के जिला प्रधान पर भारी पड़ गए हैं। इसे लेकर विधायकों में नाराजगी भी काफी है। हालांकि उनकी कैबिनेट मंत्री से करीबी छिपी नहीं है, लेकिन किसी को यह अहसास नहीं था कि उनका राजनीतिक दखल इस हद तक भी है। विधायक और मेयर चाहते थे कि जिला भलाई अफसर को जालंधर से नहीं बदला जाए। इसके लिए सभी ने बाकायदा डीओ लेटर भी जारी किए, लेकिन जब तबादले का समय आया तो कैबिनेट मंत्री ने जिले के सभी विधायकों की सिफारिश दरकिनार कर दी।

युवा कांग्रेस का फ्लाप शो जारी

युवा कांग्रेस के दो प्रोग्राम फ्लाप होने से नेताओं की किरकिरी हो रही है। किसानों के मुद्दे पर प्लान की गई रैलियां योजना और एकजुटता के अभाव में फेल हो गईं। इसका सबसे ज्यादा नुकसान युवा कांग्रेस जालंधर देहाती को हुआ है, क्योंकि दोनों ही प्रोग्राम करवाने की जिम्मेदारी उसी पर थी। आदमपुर में किसानों के हक में रैली निकाली जानी थी, जिसमें युवा कांग्रेस के पंजाब प्रभारी को भी शामिल होना था। युवा कांग्रेसी कुछ खास भीड़ नहीं जुटा पाए, जिससे इंचार्ज को नाराज होकर वापस जाना पड़ा। दूसरा प्रोग्राम भी किसानों से ही जुड़ा था और भाजपा सांसद एवं गायक हंसराज हंस के घर का घेराव करना था। युवा कांग्रेस शहरी के प्रधान अंगद दत्ता के अस्वस्थ होने के कारण पूरी जिम्मेदारी फिर देहात के प्रधान हनी जोशी पर आ गई। युवा कांग्रेसी यहां पर भी भीड़ नहीं जुटा पाए और रैली फ्लाप शो बनकर रह गई।


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