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बदकिस्मत एलीना की चिता को अग्नि देने भी नहीं आए घरवाले, गरीबी से तंग आकर दे दी जान

जालंधर के प्रोटेक्शन होम में पहुंची एलीना आसाम से गरीबी से तंग आकर भागी थी। प्रशासन ने उसे दोबारा घर भेजना चाहा तो उसने खुदकशी कर ली थी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 03:30 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 03:30 PM (IST)
बदकिस्मत एलीना की चिता को अग्नि देने भी नहीं आए घरवाले, गरीबी से तंग आकर दे दी जान
बदकिस्मत एलीना की चिता को अग्नि देने भी नहीं आए घरवाले, गरीबी से तंग आकर दे दी जान

जालंधर [सुक्रांत]। बदकिस्मत एलीना...अपनी और घरवालों की गरीबी दूर करने को घर से भागी। सोचती थी कि मां-बाप, तीन बहनों और दो भाइयों को गरीबी से दलदल से निकालेगी चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। उसके कुछ करने से पहले ही सरकारी लोगों के हत्थे चढ़ गई जो उसको उसके घर वापस भेजना चाहते थे। किस्मत बदलने को निकली एलीना को यह मंजूर नहीं था। उसने बहुत कोशिश की कि किसी तरह से वह सरकारी हाथों से बाहर आए और परिजनों के लिए कुछ कर सके। ऐसा न हो सका तो उसने वापस जाने की बजाय दुनिया छोडऩा मुनासिब समझा और जालंधर के चाइल्ड प्रोटेक्शन होम में उसने फंदा लगाकर जान दे दी।

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बदकिस्मती ने मरने के बाद भी उसका साथ नहीं छोड़ा। जिनके लिए उसने घर छोड़ा, दुनिया छोड़ी वो उसे अंतिम विदाई देने, उसकी चिता को आग देने तक नहीं आए। शुक्रवार को 72 घंटे पूरे होने के बाद जालंधर पुलिस ने असम से भागकर जालंधर पहुंची एलीना का अंतिम संस्कार कर दिया गया क्योंकि उसके परिजन नहीं आए थे।
ज्ञात हो कि बीते सोमवार को पठानकोट से एलीना जालंधर के चाइल्ड प्रोटेक्शन होम में लाई गई थी। 22 वर्षीय एलीना तीन माह पहले गरीबी से तंग आकर अपने घर असम से भागी थी। अब पकड़े जाने पर प्रशासन उसे वापस घर भेजना चाहता था लेकिन एलीना वापस नहीं जाना चाहती थी। बुधवार को उसे वापस असम भेजा जाना था लेकिन मंगलवार रात को ही उसने फंदा लगा कर अपनी जान दे दी थी।

हिंदू रीति रिवाज से किया एलीना का अंतिम संस्कार

एलीना के मरने के बाद जालंधर पुलिस और प्रशासन से उसका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से किया। थाना प्रभारी निर्मल सिंह ने बताया कि दोबारा एलीना के परिजनों से बात की तो उन्होंने गरीबी का हवाला दिया और खर्चा लेने की बात पर भी आने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में पुलिस ने उनसे अंतिम संस्कार की इजाजत मांगी तो उन्होंने अपनी भाषा में जो कहा उससे ज्यादा कुछ पता तो नहीं चला बस इतना समझ आया कि बेटी हिंदू है, संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से करना। ऐसे में एसएचओ निर्मल सिंह ने डीसी जालंधर से बात की जिन्होंने लड़की के कपड़ों से लेकर लकड़ी तक का खर्च दिया जिसके बाद बस्ती शेख के श्मशानघाट में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।


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