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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ होकर पानी फिर जा रहा गंदे नालों में

स्वच्छता सर्वे 2021 में जालंधर के रैंकिग में फिसलने का कारण सिर्फ असफल कूड़ा प्रबंधन ही नहीं है बल्कि जल संरक्षण में भी फेल होना भी एक बड़ा कारण है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 11:55 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 11:55 PM (IST)
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ होकर पानी फिर जा रहा गंदे नालों में
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ होकर पानी फिर जा रहा गंदे नालों में

जागरण संवाददाता जालंधर : स्वच्छता सर्वे 2021 में जालंधर के रैंकिग में फिसलने का कारण सिर्फ असफल कूड़ा प्रबंधन ही नहीं है बल्कि जल संरक्षण में भी फेल होना भी एक बड़ा कारण है। शहर में करीब 550 ट्यूबवेल से पीने के पानी की सप्लाई हो रही है। यही पानी सीवरेज में जाता है। लगभग 250 एमएलडी पानी सीवरेज के माध्यम से शहर के अलग-अलग सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जा रहा है, जहां पर इस पानी को साफ किया जाता है। आधिकारिक रूप से 235 एमएलडी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में 235 एमएलडी पानी ही साफ किया जा रहा है लेकिन यह पानी साफ करने के बाद कृषि, बागवानी, निर्माण या अन्य कार्यो में इस्तेमाल किए जाने के बजाय गंदे नालों में बहाया जा रहा है। न तो पानी को साफ करने का फायदा मिल रहा है और न ही दरिया को प्रदूषण से बचा पा रहे हैं। इंदौर इस मामले में भी इक्कीस साबित हुआ है। इंदौर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किए गए पानी को भी प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि यह पूरा रीयूज नहीं हो रहा है लेकिन फिर भी रोज 110 एमएलडी यानी कि करीब 110 करोड़ लीटर पानी इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में इतने ही पानी की बचत हो रही है क्योंकि यह जमीन से नहीं खींचना पड़ रहा जबकि जालंधर में भूजल के इस्तेमाल के कारण शहर के कई इलाके डार्क जोन में चले गए।

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------- निर्माण कार्य में ट्रीट किया पानी ही इस्तेमाल करने के निर्देश

नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के नियमों के तहत मकान, कामर्शियल इमारत या किसी भी तरह के निर्माण कार्य में ट्रीटमेंट में साफ किया पानी ही इस्तेमाल किया जा सकता है। जमीन के नीचे के पानी को निर्माण कार्यो पर इस्तेमाल करने पर रोक है। जब भी किसी इमारत का नक्शा पास किया जाता है तो उसमें यह स्पष्ट निर्देश दिए गए होते हैं लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो पाया है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किए पानी को लोगों तक पहुंचाने के लिए भी नगर निगम ने अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया। इसके लिए कांट्रैक्टर तैनात किए जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। जालंधर से आगे हैं सुल्तानपुर और फगवाड़ा

सुल्तानपुर लोधी और फगवाड़ा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किए गए पानी को खेतीबाड़ी में इस्तेमाल किया जा रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साफ किए पानी को लिक्विड खाद माना जाता है और यह पैदावार को 20 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। किसानों में इसके लिए सकारात्मक रुख है और इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है लेकिन जालंधर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी को ना तो नगर निगम इस्तेमाल कर रहा है और ना ही किसानों को उपलब्ध करवा रहा है। यह है स्वच्छता की प्रहरी

जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए तरविदर सिंह रिकू लगातार प्रयास कर रहे हैं। वह आरओ में पानी साफ किए जाने के दौरान होने वाली पानी की वेस्टेज को बागवानी सफाई जैसे कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए वह आरओ की पाइप भी बांट रहे हैं ताकि लोग वेस्ट हो रहे पानी को बगीचे या उपयुक्त स्थल तक ले जा सके। वह पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे भी बांट रहे हैं और लोगों को पालीथिन इस्तेमाल नहीं करने के लिए जागरूक कर रहे हैं।


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