अब सर्दी नहीं गर्मी से भी बचाएगी जैकेट, बहुत खास है यह 'एसी' वाला जैकेट
भारतीय विज्ञान कांग्रेस में ऐसा जैकेट प्रदर्शित किया गया है जो ठंड के साथ गर्मी से भी बचाएगी। यह झुलसती गर्मी में ठंड का अहसास देगी।
जालंधर, [जगदीश कुमार]। गर्मियों में उत्तर भारत में आग बरसाने वाली गर्मी लोगों के पसीने छुड़ा देती है। तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से गर्मी के दिनों में लोगों पर सन स्ट्रोक का खतरा मंडराने लगता है। इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अहमदाबाद में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ ने गर्मी में सर्दी का एहसास करवाने वाली जैकेट तैयार की है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ अहमदाबाद ने तैयार की जैकेट
एलपीयू में चल रही इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने आए अहमदाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ के अधिकारी संजय कोटादिया ने बताया कि राजस्थान में तपती रेत में ड्यूटी करने वाले जवानों, खेतों, माइनिंग, आयरन व स्टील पाउंडरी, केमिकल प्लांट, टेक्सटाइल इंडस्ट्री, पावर प्लांट, ईंट के भट्ठों, ग्लास प्रोड्क्टस इंडस्ट्री, बेकरी तथा भाप की सुरंगों के अलावा तपती गर्मी से परेशान लोगों की परेशानी को मद्देनजर रखते हुए यह जैकेट तैयार की गई है।
इसके ट्रायल में 100 फीसद कामयाबी मिली है। लंबे समय तक जांच परख व वैज्ञानिकों की राय के आधार पर पर्सनल कूङ्क्षलग गारमेंट को तैयार किया है। इसको 2012 में पेटेंट करवा दिया गया है। संस्थान इसे किसी कंपनी को देने की तैयारी कर रहा है। इसे कोई कंपनी लेती है तो इसके दाम में गिरावट भी आ सकती है। जैकेट को तैयार करके टेक्नोलॉजी केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी गई है। सरकार की ओर से इसे मार्केट में उतारने के लिए बड़ी कंपिनयों के साथ तालमेल किया जा रहा है।
इस तरह काम करती है जैकेट
सूती कपड़े की जैकेट तैयार कर उसमें सिलिकॉन की पाइपों का जाल बिछाया गया है। उसे लिथियम आयन वाली रिचार्जेबल 12 वोल्ट की बैटरी को छोटे पंप के साथ जोड़ा गया है। पंप को एक छोटे प्लास्टिक के बंद जगनुमा बर्तन में फिट किया गया है। उसमें 100 एमएल पानी तथा बर्फ की पीस डाल दिए जाते हैं। जैकेट डालने के बाद इसे स्टार्ट करने के बाद ठंडा पानी ट्यूबों में घूमता है। जो शरीर पर पड़ रही गर्मी के प्रभाव को कम करता है। इसका भार 2.5 किलोग्राम है। यह 15 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में गिरावट करती है। इसको तैयार करने में करीब तीन हजार रुपये तक खर्च आता है।
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जैकेट मेक इन इंडिया की देन
वैज्ञानिक डॉ. केएन पांडे ने बताया कि आधुनिक तकनीक से लैस यह जैकेट मेक इन इंडिया की देन है । उन्होंने बताया कि गर्मी बढऩे के साथ शरीर का तापमान भी बढऩे से चमड़ी खराब हो जाती है। वहीं, हीट स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। इस जैकेट से गर्मी से बचाव किया जा सकता है।