World Hindi Day 2021 : 'इंटरनेट ने हिंदी के विकास को लगाए पंख, विदेश में छप रही कई किताबें'
World Hindi Day 2021 डा. सुधा ओम ढींगरा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अलग पहचान बना चुकीं हैं। उन्हें हिंदी भाषा का दूत कहा जाता है। पीएचडी करने के बाद 1982 में वह अमेरिका में बस गईं लेकिन हिंदी के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ।
कपूरथला, [हरनेक सिंह जैनपुरी]। देश-विदेश में हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अलग पहचान बना चुकीं डा. सुधा ओम ढींगरा को हिंदी भाषा का दूत कहा जाता है। पीएचडी करने के बाद 1982 में वह अमेरिका में बस गईं, लेकिन हिंदी के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ। अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति की ओर से उन्होंने सेंट लुईस में कई वर्षों तक रेडियो प्रोग्राम चलाया और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी सेंट लुईस में हिंदी भी पढ़ाई। एसडीएएस गर्ल्स हाई स्कूल, लायलपुर खालसा कॉलेज फार वूमेन और डीएवी कॉलेज जालंधर से उच्च शिक्षा ग्रहण कर दुनिया भर में हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहीं हैं।
जागरण से विशेष बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि विदेश में इस लगाव को बरकरार रख पाना कितना चुनौतीपूर्ण है, तो उन्होंने कहा, 'जब खाना-पीना, ओढ़ना और बिछोना हिंदी भाषा का हो तो लेखन के लिए धरती कोई भी हो, फर्क नहीं पड़ता। बल्कि अब यहां की कहानियां अपनी भाषा में रचने का आनंद लेती हूं।' भारत और विदेश में हिंदी भाषा के भविष्य व विकास पर वह कहती हैं, 'मैं बहुत सकारात्मक प्रवृत्ति की हूं। विकास की गति से संतुष्ट हूं और भविष्य के लिए आशावान भी।
डा. सुधा ओम ढींगरा।
उन्होंने कहा कि कई देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। इंटरनेट ने हिंदी को विश्व के कोने-कोने में पहुंचा दिया है। इसने हिंदी के विकास को पंख लगा दिए हैं। भारत व अन्य देशों में कई किताबें छप रहीं हैं, पत्रिकाएं निकल रही हैं। इससे ही हिंदी के विस्तार का अंदाजा लग जाता है। यह दोनों देशों के साहित्यकारों के बीच एक पुल है। डा. सुधा कोविड काल में भी सक्रिय रहीं। उन्होंने इस दौरान एक उपन्यास पूरा कर लिया है। दो और पर काम कर रहीं हैं।
हिंदी साहित्य में योगदान
डा. सुधा ओम ढींगरा ने सभी विधाओं में लिखा है। एक उपन्यास, सात कहानी संग्रह, चार कविता संग्रह, एक निबंध संग्रह, नौ संपादित पुस्तकें, दो पुस्तकों में संपादन सहयोग, एक पंजाबी से अनूदित हिंदी उपन्यास, कई भाषाओं में पुस्तकों का अनुवाद किया। कई कहानियों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। 70 कविता संग्रहों में इनकी कविताओं को स्थान मिला। कई कहानियां व आलेख भी प्रकाशित हुए। साहित्य पर छह शोध ग्रंथ और चार आलोचना ग्रंथ। विभोम-स्वर पत्रिका की मुख्य संपादक रहीं।