चुनावी लड़ाई: आमने-सामने होने लगे अकाली-भाजपाई, अटवाल की राह में अपने ही बिछा रहे कांटे
इतिहास गवाह है कि जालंधर की लोकसभा सीट पर अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार की हार जीत हमेशा शहरी वोटरों पर निर्भर करती है।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। इतिहास गवाह है कि जालंधर की लोकसभा सीट पर अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार की हार जीत हमेशा शहरी वोटरों पर निर्भर करती है। देहात के विधानसभा हलकों से हमेशा ही गठबंधन उम्मीदवार कांग्रेस के उम्मीदवार से ज्यादा वोट ही हासिल करते आए हैं। इसके बाद भी अभी तक हो चुके लोकसभा के 16 चुनावों में से कांग्रेस 13 बार चुनाव जीत चुकी है।
कांग्रेस की जीत जालंधर के शहरी इलाकों के मतदाता ही तय करते आए हैं। इस बार शहरी इलाकों के मतदाता विकास कार्यों को लेकर कांग्रेस से खासे नाराज हैं। यह नाराजगी मतदान वाले दिन तक दूर करने को लेकर भी कांग्रेस ने दिन-रात एक करने में लगी है। मसलन दो सालों में जो टूटी सड़कें नहीं बनाई गई थीं उन्हें 24 घंटे काम करके बनाया जा रहा है। सड़कों से एक-एक गड्ढे को मिटाया जा रहा है। गठबंधन के लिए यह अच्छा मौका था जब इन्हीं मुद्दों सहित राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर कांग्रेस को घेरा जा सकता है और चुनावी पटकनी दी जा सकती है। इसके बाद भी गठबंधन के उम्मीदवार मौके का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार चरणजीत सिंह अटवाल के समर्थन को लेकर हो रही बैठकों में भाजपा नेताओं के साथ अकाली नेता आमने-सामने हो रहे हैं। इन हालातों को अगर समय रहते नहीं संभाला गया तो आने वाले 19 मई तो एक बार फिर इतिहास दोहराए जाने की संभावना बन सकती है। बीते दिन संजय गांधी नगर व उससे पहले नार्थ हलके व सेन्ट्रल हलके सहित कैंट तथा वेस्ट हलके में हुई अकाली-भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में कई बार अकाली-भाजपा नेता आमने-सामने हो चुके हैं।
संजय गांधी नगर में हुई बैठक में जिला अकाली दल के प्रधान कुलवंत ङ्क्षसह मन्नण ने नगर निगम के नेता विरोधी दल सुशील शर्मा तथा भाजपा नेता रवि महेन्द्रू को बोलने से रोका उसे लेकर भाजपा के खेमे में खासी नाराजगी है। अटवाल खुद हर जगह नहीं पहुंच पा रहे हैं, लेकिन उनके बेटे रिंकू अटवाल ने जरूर कमान संभाल रखी है। अलग बात है कि भाजपाइयों के साथ समय देने के बाद भी कुछ बैठकों में वह खुद नहीं पहुंच सके। इसे लेकर भी भाजपाई खासे नाराज चल रहे हैं। अगर समय रहते अटवाल ने अपने स्तर से अकाली-भाजपा नेताओं में आए दिन हो रही झड़प को शांत नहीं करवाया तो 19 मई को इसका खामियाजा उन्हें व पार्टी दोनों को भुगतना पड़ सकता है।
फेसबुक पर दुष्प्रचार
लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ अकाली नेताओं व एक विधायक के फेसबुक पेज पर गठबंधन धर्म के खिलाफ कमेंट किए जा रहे हैं और दुष्प्रचार भी किया जा रहा है। भाजपा नेताओं ने इसकी जानकारी भी पार्टी हाई कमान को दे दी है। साथ ही मांग की है कि अगर दुष्प्रचार पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो इसका परिणाम भी गठबंधन को भुगतना पड़ेगा।
मतदान हुआ नहीं जीत को लेकर पहले ही उत्साहित है बिक्रम चौधरी
चुनाव को लेकर मतदान 19 मई को होना है। उससे पहले कांग्रेस में भी फूट सामने आ रही है। कांग्रेसी उम्मीदवार चौधरी संतोख ङ्क्षसह के विरोधी रहे सरवन ङ्क्षसह फिल्लौर अब कांग्रेस में आ गए हैं। फिल्लौर की रैली में चौधरी के न जाने को लेकर फिल्लौर ने कल बयान जारी किया था कि वह चौधरी के लिए नहीं राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इस बयान को लेकर पलटवार करते हुए संतोख के बेटे बिक्रम चौधरी के बयान को लेकर कांग्रेसी भी खुश नहीं है। बिक्रम ने बयान में कहा है कि अगर फिल्लौर चुनाव जीतने वाली टीम का हिस्सा बनने चाहते हैं तो अच्छी बात है। यानी बिक्रम पहले ही चुनाव को जीता हुआ मानकर चल रहे हैं। आम कांग्रेसियों में बिक्रम की बयानबाजी को लेकर खासी चर्चाएं हो रही है कि मतदान से पहले यह हाल है तो मतदान के बाद क्या हाल होगा।
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