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डेंगू के मच्छरों पर कीटनाशक नहीं कर रहे असर, जानलेवा बीमारी से ऐसे करें बचाव

डेंगू के छोटे डंक से बड़े खतरे को खत्म करना सेहत विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। कारण लोगों की थोड़ी सी लापरवाही और सेहत विभाग का भी ज्यादा सक्रिय न होना है।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 03:37 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 03:33 PM (IST)
डेंगू के मच्छरों पर कीटनाशक नहीं कर रहे असर, जानलेवा बीमारी से ऐसे करें बचाव
डेंगू के मच्छरों पर कीटनाशक नहीं कर रहे असर, जानलेवा बीमारी से ऐसे करें बचाव

जालंधर, [जगदीश कुमार]। विश्व डेंगू दिवस मनाने का मकसद सिर्फ एक ही है कि डेंगू के बारे में लोगों को जागरूक कर कीमती जानों को बचाया जा सके। इसके लिए जगह-जगह संगोष्ठियों के अलावा लोगों को भी डेंगू के बारे में जागरूक किया जाता है। इस सबके बावजूद डेंगू के छोटे डंक से बड़े खतरे को खत्म करना सेहत विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। कारण लोगों की थोड़ी सी लापरवाही और सेहत विभाग का भी ज्यादा सक्रिय न होना है। बता दें कि हालात ऐसे हो गए हैं कि डेंगू के मच्छरों को मारने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक बेअसर साबित होने लगे हैं। सेहत विभाग की ओर से मच्छरों को मारने के लिए इस्तेमाल किया गया कीटनाशक सायफीनोथ्रीन राज्य के ज्यादातर इलाकों में मच्छरों को मारने में कारगर साबित नहीं हुआ। हालांकि इससे पहले इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक पेरीथ्रीम से बेहतर नतीजे मिल रहे थे। स्थानीय निकाय विभाग भी घरों के अंदर तक फॉगिंग करने में नाकाम साबित होने की वजह से डेंगू का मच्छर बलवान बन रहा है। 

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पैरीथ्रीम से होगा मच्छरों पर हमला

जिला एपीडिमोलाजिस्ट डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि डेंगू चार किस्म का है। इलाके व उसकी जीन पर कीटनाशक के छिड़काव के नतीजे निर्भर करते हैं। हालांकि इन कीटनाशकों के दिल्ली व अन्य राज्यों में बेहतर नतीजे मिल रहे हैं। सेहत विभाग की ओर से पैरीथ्रीम का इस्तेमाल किया जाएगा। पहले फॉगिंग के लिए डेल्टा मैथरीन व सायफीनोथ्रीन का इस्तेमाल किया जा रहा था। इससे बेहतर नतीजे न मिलने की वजह से इस बार मेलाथीयोन टेक्नीकल 95 फीसदी कीटनाशक इस्तेमाल करने की हिदायतें दी गई है।

12-15 माह तक जिंदा रहते हैं डेंगू के अंडे

एपीडिमोलॉजिस्ट डॉ. शोभना बंसल का कहना है कि सीजन से पहले ही लोगों के घरों में लगे कूलरों में डेंगू का लारवा मिलने लगा है। कूलरों में पिछले साल के डेंगू के अंडे अब पानी मिलने पर लारवा का रूप धारण करने लगे हैं। डेंगू मच्छर के अंडे 12-15 माह तक जीवित रह सकते हैं। इस बार कूलरों में पानी भरते ही पिछले साल पड़े अंडे लारवा एक्टिव हो गया। उन्होंने कहा कि बाहर भले ही तापमान डेंगू मच्छर के विरुद्ध है। जबकि कूलर और घर के अंदर का तापमान डेंगू को बढ़ावा देने में सही है। सप्ताह में एक बार कूलर को खाली कर सुखाने के बाद इस्तेमाल करने से डेंगू के पनपने का खतरा कम हो जाता है।

विभाग और लोगों में तालमेल से होगा डेंगू का खात्मा

सेहत विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सतीश चंद्रा का कहना है कि सभी जिलों के सिविल सर्जनों को डेंगू के खिलाफ युद्ध स्तर पर मुहिम छेडऩे की हिदायतें दी गई है। डेंगू के खिलाफ सेहत विभाग की ओर से जागरूकता मुहिम शुरू करवा दी गई है। इससे पहले डेंगू फ्री पंजाब एप लांच की गई है। लोगों के मोबाइल पर एप डाउन लोड करवाया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय निकाय, पंजाब रोडवेज व शिक्षा विभाग सहित सात अन्य विभागों को डेंगू के खिलाफ जागरूकता मुहिम में शामिल किया गया है। डेंगू नोटीफाइ बीमारी है और इसकी सूचना सेहत विभाग को देना जरूरी है। उन्होंने निजी अस्पतालों को डेंगू का मरीज उनके पास आने पर तुरंत सिविल सर्जन को सूचित करने के निर्देश दिए। सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों का मुफ्त इलाज करने का प्रावधान है।

इस साल इतने डेंगू के मरीज आए सामने

साल                    मरीज              मौतें

2010                  4012              15

2011                  3921              33

2012                  770                 --

2013                  4117              25

2014                   472               08

2015                 14149             28

2016                 10475             15

2017                 15398             18

2018                 15009             18

2019                       08             00

ये हैं डेंगू बुखार के लक्षण

तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द, जी मचलाना व उलटियां आना, थकावट महसूस होना, चमड़ी पर दाने व हालत खराब होने पर नाक, मुंह व मसूड़ों में खून बहना।

यह सावधानियां बरतें

  • कूलर, गमलों व फ्रिज की ट्रे में खड़े पानी को सप्ताह में एक बार जरूर अच्छी तरह साफ करके सुखाएं।
  • छतों पर रखी पानी की टंकियों के ढक्कनों को अच्छी तरह बंद रखें।
  • टूटे बर्तनों, ड्रमों व टायरों आदि को खुले में न रखें।
  • घरों के आसपास पानी न खड़ा होने दें या खड़े पानी में सप्ताह में एक बार जला काला तेल जरूर डाल दें।
  • यह मच्छर दिन के समय काटता है, इसलिए ऐसे कपड़े पहनें जिससे शरीर पूरी तरह ढका रहे।
  • घरों व दफ्तरों में मच्छर भगाओ क्रीम/तेल आदि का इस्तेमाल करें।
  • सोने के समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • बुखार में पैरासिटामोल टेबलेट का इस्तेमाल करें।
  • बुखार में एसप्रिन या ब्रूफन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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