जालंधर भाजपा को भारी पड़ सकती है नेताओं की खींचतान, प्रधान श्वेत मलिक भी नहीं रख पाए एकजुट
जालंधर भाजपा के बड़े नेता एक-दूसरे की बुनियाद हिलाने में जुटे हैं। अगर गुटबाजी समाप्त न हुई तो आगामी दिनों में पार्टी को और नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जालंधर, जेएनएन। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव और हाल में संपन्न उपचुनाव में करारी हार के बाद भी जालंधर भाजपा के नेता सबक सीखने को तैयार नहीं हैं। 17 नवंबर को संपन्न हुई गांधी संकल्प यात्रा के दौरान पार्टी के दिग्गज नेता मनोरंजन कालिया और किशनलाल शर्मा के बीच गर्मागरम बहस और कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई और धक्कामुक्की से यह बात और स्पष्ट हो गई है। अंतरखाते कयास लगाए जा रहे हैं कि यह वाकया पंजाब भाजपा महासचिव राकेश राठौर और मनोरंजन कालिया के बीच दबदबे को लेकर हुआ है। जालंधर भाजपा के दिग्गज ही एक-दूसरे की बुनियाद हिलाने में जुटे हैं। अगर गुटबाजी समाप्त न हुई तो आगामी दिनों में पार्टी को और नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल, जिले में पार्टी में पहले से गुटबाजी है। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के वक्त यह खुलकर सामने आई थी। तब पार्टी से निकाले गए किशनलाल शर्मा ने जालंधर केंद्रीय से भाजपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने जालंधर उत्तरी से भाजपा प्रत्याशी केडी भंडारी के खिलाफ भी प्रचार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने कांग्रेस के मंच से भाजपा के उम्मीदवारों को हराने की साजिश रची और प्रचार किया। नतीजतन शहर से भाजपा का सफाया हो गया था। जालंधर केंद्रीय, जालंधर उत्तरी, जालंधर पश्चिमी और जालंधर कैंट में उसके प्रत्याशी बुरी तरह हार गए।
करारी हार के बाद भाजपा ने पंजाब अध्यक्ष विजय सांपला को हटाकर उनकी जगह राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक को कमान सौंपी थी। मलिक ने आते ही सुलह की कोशिश की। उन्होंने किशनलाल की घरवासपी के लिए पूरा जोर लगा दिया। हालांकि तब भी पूर्व विधायक केडी भंडारी और मनोरंजन कालिया ने इसका कड़ा विरोध किया था। बावजूद इसके श्वेत मलिक ने किशनलाल शर्मा की घरवापसी करवा दी थी। अब किशनलाल एक बार फिर भंडारी और कालिया समर्थकों के निशाने पर आ गए हैं।
विवादों में रहे हैं किशनलाल
किशन लाल शर्मा को भाजपा से पहले भी दो बार पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में निकाला जा चुका है। हालांकि चुनाव नजदीक आते ही उनकी घर वापसी भी करवा ली जाती है। यह तीसरा मौका है, जब उनकी रीएंट्री करवाई गई है। हालांकि श्वेत मलिक पार्टी को एकजुट नहीं रख पाए।
बहुत कुछ कहती है नेताओं की चुप्पी
हैरानी की बात है कि गुटबाजी और खींचतान जगजाहिर होने के बाद नेताओं ने चुप्पी साध ली है। कोई नेता इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। किशनलाल शर्मा से भिड़ंत को लेकर कालिया कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर किशनलाल शर्मा भी दावा कर रहे हैं कि उनका किसी से विवाद नहीं हुआ है। अगले विधानसभा चुनाव तक अगर भाजपा ने अपनी रीति-नीति नहीं बदली तो निश्चित रूप से उसे जालंधर में और बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं।
संगठन महासचिव बोले- मिल बैठकर सुलझाएंगे मामला
भाजपा के संगठन महासचिव दिनेश कुमार का कहना है कि पार्टी में कोई बड़ी गुटबंदी नहीं है। थोड़े बहुत इशू हैं जो मिल बैठकर सुलझा लेंगे।