इंदौर में कूड़े से सीएनजी बनकर चल रही सिटी बसें, हम हर साल करोड़ों फूंक रहे
स्वच्छता सर्वे 2021 में पांचवी बार देश के सबसे साफ शहर के रूप में चुने गए इंदौर ने वह कर दिखाया है जो जालंधर नगर निगम के लिए सपना भी नहीं है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : स्वच्छता सर्वे 2021 में पांचवी बार देश के सबसे साफ शहर के रूप में चुने गए इंदौर ने वह कर दिखाया है जो जालंधर नगर निगम के लिए सपना भी नहीं है। इंदौर ने वेस्ट मैनेजमेंट के तहत सालाना 20 करोड़ रुपये की कमाई की है। इसे अगले तीन साल में 100 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है। जालंधर में इसके उलट वेस्ट मैनेजमेंट पर ही करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं और इसका नतीजा भी खास नहीं रहा है। इंदौर ने कूड़े से खाद, सीएनजी, कार्बन क्रेडिट, कंस्ट्रक्शन एंड डेकोरेशन वेस्ट से कमाई की है। कूड़े से कमाई तो पिछले साल की तुलना में करीब दोगुनी हुई है जबकि नगर निगम जालंधर अभी तक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कोई बड़ा प्रोजेक्ट तक शुरू नहीं कर पाया है। इंदौर न सिर्फ कूड़े और मलबे से कमाई कर रहा है बल्कि कचरे से बनाई जा रही सीएनजी का भी बाखूबी इस्तेमाल कर रहा है। इंदौर शहर में सिटी बस सर्विस की बसें अपनी तैयार की गई सीएनजी से ही चल रही हैं। नगर निगम की सिटी बस सर्विस कई साल पहले बंद हो चुकी है।
----
कूड़े के डस्टबिन हटाए
इंदौर में कूड़े के लिए गए लगाए गए बड़े डस्टबिन पूरी तरह से हटाए दिए गए हैं। जालंधर में नहीं बल्कि जगह-जगह कूड़े के डंप हैं। इंदौर में कूड़ा पूरी तरह से घरों से ही इकट्ठा किया जाता है। नगर निगम की गाड़ियां दिन में दो बार कचरा लेने के लिए हर घर जाती है जबकि जालंधर में ऐसा नहीं हो पा रहा। इंदौर में नगर निगम के मुलाजिम तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं। पालिथिन का सड़क निर्माण में इस्तेमाल
पालिथिन का इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जा रहा है। इंदौर में शहर का कूड़ा इकट्ठा करने के लिए एक ग्राउंड रखी गई है। वहां पालिथिन को कूड़े से अलग किया जाता है। इस पालिथिन को रिसाइकल करके सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है। जालंधर में इस पर कई बार चर्चा हुई लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया।
---------
स्वच्छता प्रहरी
रोजाना 4 टन कूड़े को खाद में बदल रहे हरप्रीत
नगर निगम कूड़े को बोझ समझ रहा है तो वहीं शहर के एक नागरिक हरप्रीत सिंह ने इसे जिम्मेदारी समझते हुए कूड़े को खाद में बदलने का काम शुरू किया है। वह तीन साल से इस काम में जुटे हैं और बस स्टैंड के निकट प्लांट लगाकर प्रोसेसिग कर रहे हैं। हरप्रीत ने कहा कि वह रोजाना 4000 किलो गीले कूड़े की प्रोसेसिग कर रहे हैं और उसे नंदनपुर में विड्रो तकनीक से खाद में भर रहे हैं। इस तकनीक से 30 दिन में कूड़ा खाद में बदल जाता है। चार टन कूड़े से करीब 400 किलोग्राम खाद बन जाती है। पहले वह इस खाद को लोगों को बेच रहे थे लेकिन अब करीब 30 एकड़ जमीन पर आर्गेनिक खेती में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को आर्गेनिक फूड उपलब्ध करवाने के लिए ही ऐसा किया गया है। नगर निगम अधिकारी सहयोग करें तो वह रोजाना 80 टन कूड़े को खाद में बदल सकते हैं।