जगदीश कुमार, जालंधर
कृषि प्रधान प्रदेश में महिलाएं भी किसी से कम नही है। खेतों में पुरुषों के बराबर काम करने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने, देश की सीमा की सुरक्षा करने के अलावा विदेश में संसद में भी लोहा मनवा रही है। केंद्र व राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के दावे करती हैं परंतु विधानसभा और आम चुनाव में महिलाओं को चुनाव में उतारने से हाथ खींच लेते है। राज्य में राजनीतिक पार्टियां और पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को विधानसभा में पहुंचने की राह में बड़ी बाधा बनी हुई हैं। पंचायती राज में भले ही महिलाओं को आरक्षण दिया परंतु चुनाव जीतने के बाद उनके कामकाज की कमान उनके बेटे व पति संभाल रहे हैं। 1951 से लेकर 2017 तक 15 बार विधानसभा के चुनाव हुए। इनमें 1799 पुरुष और केवल 89 महिलाएं ही विधानसभा में पहुंची। केवल 4.94 प्रतिशत महिलाएं ही विधानसभा में पहुंची।
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महिलाओं ने राज्य में लोहा मनवाया
राज्य की राजनीति में महिलाओं ने लोहा मनवाया। विधानसभा में पहुंची महिलाओं ने राज्य में ही नही देश में में भी नए मुकाम हासिल किए हैं। कुछ महिलाएं तो बार बार चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंची। प्रो. लक्ष्मीकांता चावला रह चुकी हैं मंत्री
अमृतसर से प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने तीन बार चुनाव जीते और 2007-2012 में राज्य की सेहत मंत्री तथा समाजिक सुरक्षा एवं बाल विकास मंत्री रही।
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भट्ठल पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं
लहरागागा से राजिदर कौर भट्ठल 1996 में पंजाब की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और उसके बाद उप मुख्यमंत्री रही।
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डा. उपिदर जीत प्रदेश की पहली वित्त मंत्री
डा. उपिदर जीत कौर 2010 में पंजाब की पहली महिला वित्त मंत्री रहीं। सुल्तानपुर लोधी से 1997 से 2007 तक तीन बार चुनाव जीती और मंत्री रहीं।
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रजिया सुल्ताना पहली महिला मुस्लिम मंत्री
मालेरकोटला से रजिया सुल्ताना 2002 2007 तथा 2017 में चुनाव जीती वर्तमान में वे पहली महिला मुस्लिम मंत्री बनी हैं।
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महिदर कौर ने तीन चुनाव जीते
होशियारपुर से महिदर कौर जोश ने राजनीति में लंबा सफर तय किया है। तीन बार चुनाव जीता और केबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं।
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राजनीति में भी पुरुष समाज प्रधान है। राजनीतिक पार्टियां भी महिलाओं को बहुत कम चुनाव लड़ने का मौका देती है। नगर निगम या फिर पंचायती राज में महिलाएं चुनाव जीतती है तो उनका काम उनके बेटे और पति करते हैं और उन्हें आगे नही आते देते। महिलाओं को राजनीति में भी अपनी शक्ति दिखानी होगी और एकजुट होकर आगे आना होगा ताकि राजनीतिक पार्टियां उन्हें चुनाव में उतारने के लिए मजबूर हो जाए।
प्रो. लक्ष्मी कांता चावला, पूर्व कैबिनेट मंत्री
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महिलाएं राजनीति में आने की इच्छुक है। चुनाव लड़ने से भी पीछे नहीं हटती। राजनीतिक पार्टियां उन्हें चुनाव मैदान में उतारने के लिए तैयार नहीं होती। महिलाओं को बराबर अधिकार देने के लिए दावे किए जाते हैं परंतु चुनाव आते ही महिलाओं को चुनाव लड़ाने के समय राजनीतिक पार्टियां किनारा कर जाती है। इस बार कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उतर प्रदेश में 40 प्रतिशत महिलाओं को चुनाव में उतारा है।
डा. जसलीन कौर सेठी, प्रवक्ता , पंजाब कांग्रेस ।
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साल महिलाएं जीती कुल सीटें
1951 03 126
1957 09 154
1962 08 154
1967 02 104
1969 00 104
1972 06 104
1977 03 117
1980 06 117
1985 04 117
1992 06 117
1997 07 117
2002 08 117
2007 07 117
2012 14 117
2017 06 117
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