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न्यू सुराजगंज में अंगीठी के धुएं ने ली दंपती की जान, कमरे में न खिड़की थी न रोशनदान

अवतार नगर के नजदीक न्यू सुराजगंज में ठंड से बचने के लिए जलाई गई अंगीठी के धुएं ने एक दंपती की जान ले ली।

By Edited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 02:08 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 11:09 AM (IST)
न्यू सुराजगंज में अंगीठी के धुएं ने ली दंपती की जान, कमरे में न खिड़की थी न रोशनदान
न्यू सुराजगंज में अंगीठी के धुएं ने ली दंपती की जान, कमरे में न खिड़की थी न रोशनदान

जागरण संवाददाता, जालंधर : अवतार नगर के नजदीक न्यू सुराजगंज में ठंड से बचने के लिए जलाई गई अंगीठी के धुएं ने दंपती की जान ले ली। जिस कमरे में उनका दम घुटा, वहां कोई रोशनदान नहीं था। खिड़की और दरवाजे भी बंद थे। घटना का पता तब चला जब सुबह दूधवाला आया लेकिन वो नहीं उठे। मृतक रंजीत कुमार (40) टाइल मिस्त्री था, जबकि उसकी पत्नी रीता देवी (35) घर पर ही सिलाई का काम करती थी।

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न्यू सुराग गंज के मकान नंबर 1561/9 में रंजीत कुमार, उसकी पत्नी रीता, उनके दो बच्चे व भाई रहते थे। सभी मूल रूप से बिहार के लखीसराय जिले के गांव मेदनीचौकी, पोस्ट ऑफिस अमरपुर के रहने वाले हैं और 18 साल पहले जालंधर आकर रहने लगे थे। वीरवार रात पूरे परिवार ने साथ बैठकर दाल-चावल खाए और उसके बाद रात 10 बजे रंजीत व रीता ग्राउंड फ्लोर वाले कमरे में तसले में आग जलाकर सो गए और खिड़की दरवाजे बंद कर लिए। उनका बेटा विवेक कुमार (12) व बेटी बेबी कुमारी (9) टीवी देखने के लिए पहली मंजिल पर अपने चाचा अमरजीत के कमरे में जाकर सो गए। सुबह 10 बजे दूधवाले ने घंटी बजाई लेकिन कोई नहीं उठा तो पहली मंजिल पर सो रहा उनका बेटा विवेक नीचे आया और दूध लेने लगा। उसके पीछे बेटी बेबी भी आई और माता-पिता के कमरे में गई। दरवाजे पर अंदर से कुंडी नहीं लगी थी। उसने अपने माता पिता को उठाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं जागे तो तुरंत भाई और ऊपर सो रहे चाचा अमरजीत को बुलाकर लाई। जब चाचा मौके पर पहुंचे तो दोनों की दम घुटने से मौत का पता चला। इसके बाद पुलिस को घटना की सूचना दी गई।

भार्गव कैंप पुलिस ने मौके पर पहुंची और आग जलाने के लिए इस्तेमाल किए गए तसले को जब्त कर शव को अस्पताल भिजवाया। जहां पोस्टमार्टम के बाद देर शाम उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

थाना भार्गव कैंप के एसएचओ बरजिंदर सिंह ने कहा कि मृतक के भाई अमरजीत के बयान पर धारा 174 के तहत कार्रवाई की गई है।

पहले दिन ही जलाई थी अंगीठी

किरन देवी ने बताया कि वीरवार को उन्हें बहुत ठंड लग रही थी तो उन्होंने कमरे के अंदर पहली बार ही अंगीठी जलाई थी, लेकिन उसी ने उनकी जिंदगी लील ली। चूंकि बच्चे अक्सर अपने चाचा के कमरे में ही सोते थे, इसलिए इस दुखद घटना में उनकी जान बच गई। उनके पड़ोस में रहने वाले दर्शना व प्रकाश कौर ने कहा कि सुबह जब घर में शोर उठा तो उन्हें इस घटना का पता चला।

छत से टकटकी लगा पूछती रही मासूम -मम्मा नहीं आई?

न्यू सुराजगंज में अंगीठी के धुएं से दंपत्ती के दम घुटने का पता चलते ही तुरंत अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद बच्ची लगातार पूछती रही कि मम्मा को क्या हुआ है?। रिश्तेदार पवन व रोहित ने कहा कि बच्ची को यही बात बताई कि मां को बुखार हुआ है। डॉक्टर को दिखाकर वापस ले आएंगे। इसके बाद वो छत पर खड़ी हो गई और हर आने वाले से पूछती रही कि मम्मा नहीं आई'। जब दोनों के शव एंबुलेंस से घर पहुंचे तो फफक-फफककर रोने लगी। अंतिम संस्कार से पहले उनको माता-पिता के आखिरी दर्शन कराए गए।

एंबुलेंस वाले ने मांगे 50 हजार, यहीं करना पड़ा अंतिम संस्कार

मृतक रंजीत के माता-पिता बिहार में रहते हैं। जिनके साथ दसवीं में पढ़ने वाला उनका बेटा राजकुमार (14) भी रहता है। किसी को इल्म न था कि 18 साल से पंजाब में रह रहे रंजीत के साथ ऐसा होगा। उसने टाइल्स का काम करके अपने लिए धीरे-धीरे करके मकान भी बना लिया था। इसके लिए वो अपने मां-बाप के पास भी कम ही जा पाता था। वह अक्सर अपनी जन्मभूमि जाने की बात कहता रहता था। अचानक दम घुटने से मौत के बाद रिश्तेदारों ने सोचा कि अंतिम बार चेहरा मां-बाप को दिखा दें और उसे अपने जन्मभूमि की मिट्टी भी नसीब हो, इसलिए संस्कार भी बिहार में ही ले जाकर करें। सबने तैयारी भी कर ली थी। पोस्टमार्टम के बाद वहां जाने के लिए गाड़ी ढूंढने लगे तो एक एंबुलेंस वाले से बात की, मगर उसने 50 हजार रुपये मांगे। इतने पैसे एकदम से जुटाने रिश्तेदारों के लिए संभव नहीं थे। बमुश्किल वो 25 हजार तक जुटा सके थे लेकिन इससे कम में एंबुलेंस वाला तैयार न हुआ। शव पहुंचने में 24 घंटे तक का वक्त लग जाना था, इसलिए ज्यादा देर भी नहीं कर सकते थे। मृतक दंपती को उनकी जन्मभूमि में अंतिम विदाई की परिजनों की इच्छा पर पैसों की मजबूरी भारी पड़ गई और फिर शाम को उन्होंने जालंधर में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया।

कार्बन मोनोऑक्साइड बढ़ने से होती है मौत

बंद कमरे में अंगीठी जलाने से उसकी वेंटीलेशन नहीं होती। जिससे उससे निकलती कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा उस दायरे में बढ़ जाती है और ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है। इससे दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे आदमी बेहोश हो जाता है। इसके साथ ही दिल भी शरीर को ऑक्सीजनयुक्त खून की सप्लाई देने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद दिल काम करना बंद कर देता है और आदमी की मौत हो जाती है। हालांकि हीटर सिर्फ हवा से नमी खींचता है, इसलिए उसका इस्तेमाल इस तरह से नुकसानदेह नहीं है।

- डॉ. संदीप गोयल, न्यूरोलॉजिस्ट, एनएचएस हॉस्पिटल।


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