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Tribute: हॉकी लेजेंड बलबीर सिंह सीनियर की बातों में होता था सिर्फ हॉकी का जिक्र

Tribute to hockey legend Balbir Singh Senior Jalandhar कर्नल बलबीर सिंह ने कहा कि हॉकी के महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर हमेशा युवाओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 10:35 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 01:30 PM (IST)
Tribute: हॉकी लेजेंड बलबीर सिंह सीनियर की बातों में होता था सिर्फ हॉकी का जिक्र
Tribute: हॉकी लेजेंड बलबीर सिंह सीनियर की बातों में होता था सिर्फ हॉकी का जिक्र

जालंधर, [कमल किशोर]। तीन बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य और कप्तान रहे महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार सुबह महोली के एक अस्पताल में निधन हो गया। हॉकी का यह महान खिलाड़ी भले इस दुनिया में नहीं रहा लेकिन उनकी यादें उनके साथियों के दिलों में हमेशा ताजा बनी रहेंगी। यह कहना है जालंधर में उनके साथी रहे ओलंपियन कर्नल बलबीर सिंह का l 

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सोमवार को बात करते हुए कर्नल बलबीर सिंह ने कहा कि हॉकी के महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर हमेशा युवाओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उनके बारे में याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा हॉकी की बातें करना अच्छा लगता था। वह भारतीय हॉकी को एक मुकाम पर ले जाने का का सपना देखते थे।

कर्नल बलबीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2008 में संसारपुर में रखे गए एक समारोह में बलबीर सिंह सीनियर को गेस्ट ऑफ ऑनर के तहत आमंत्रित किया गया था। समारोह में सभी हॉकी ओलंपियन शामिल थेl कर्नल बलबीर सिंह बताते हैं कि वह वह आज भी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद व बलबीर सिंह सीनियर को अपना आदर्श मानते हैं l ओलंपियन कर्नल बलबीर सिंह ने कहा है कि एशियन गेम्स, हॉकी चैंपियनशिप व सैंडा हॉकी वर्ल्ड कप में भारतीय हॉकी टीम के साथ बतौर मैनेजर व कोच के रूप में इकट्ठे काम किया हैl उस समय बलबीर सिंह सीनियर टीम के मैनेजर होते थे। वर्ष 2005 को बेटे कर्नल सरफराज की शादी में भी वह उपस्थित हुए थे। 

तीन ओलंपिक में देश के हीरो रहे 

बलवीर सिंह सीनियर 96 वर्ष के थे। उन्होंने हॉकी में देश का नाम दुनिया भर रोशन किया था लेकिन तीन ओलंपिक में देश के नायक के रूप में उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है। उनके प्रदर्शन के बल पर तीनों बार देश को गोल्ड मेडल हासिल हुआ था। वर्ष 1948 के लंदन ओलंपिक में बतौर खिलाड़ी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था। इसके चार साल बाद 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक और फिर 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक उन्होंने बतौर  कैप्टन गोल्ड मेडल हासिल किया था। 

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