विदेशों में भी प्रचलित है जालंधर का ऐतिहासिक श्री गुरु रविदास धाम, दूर-दूर से श्रद्धालु आते है माथा टेकने
जालंधर के बूटा मंडी में स्थित ऐतिहासिक सतगुरु रविदास धाम देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध है। श्री गुरु रविदास जयंती के अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं।
जालंधर, प्रियंका सिंह। जालंधर एक कैसा शहर है जहां पर अनेकों संत, गुरु, महाराज और महापुरुषों ने अपने कदम रखे। जहां-जहां उन्होंने अपने चरण स्पर्श किए, वहां धार्मिक स्थल बन गए। जिस वजह से शहर को धार्मिक स्थल के नाम से जाना जाने लगा। शहर के धार्मिक स्थल अपने आप में अलौकिक इतिहास समाए बैठे हैं। सतगुरु रविदास धाम भी इन्हीं में से एक धार्मिक स्थल है जो कि केवल देश में ही नहीं बल्कि 20 देशों में भी बहुत प्रसिद्ध है। श्री गुरु रविदास जयंती पर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। जो लोग धार्मिक भावना से जुड़े हुए हैं, वह यहां के स्थलों के बारे में जानकारी लेने के लिए आते रहते हैं।
बहुत पुराना है यह धाम
श्री गुरु रविदास धाम एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो कि जालंधर के बूटा मंडी में स्थित है। इस धाम को विभाजन से पहले ही बनाया गया था। तब यह एक छोटा से धाम के रूप में बना था लेकिन धीरे-धीरे यह धाम बन गया है। जहां पर विभिन्न देशों से श्रद्धालु अपने आस्था लेकर आते हैं।
पहले खाली खाली होता था एरिया
जब श्री गुरु रविदास धाम का निर्माण हुआ था तब इसके आसपास कुछ भी नहीं था। लोग भी बहुत कम गिनती में यहां पर रहते थे। मगर अब यह एक कमर्शियल एरिया के रूप में भी बदल गया है। यहां पर आसपास बहुत सी कालोनियां और बस्तियां बस चुकी हैं। पहले इसे बूटा मंडी के नाम से ही बुलाया जाता था, अब लोग गुरु रविदास धाम के नाम से भी इस इलाके को जानने लगे हैं। अब यह इलाका काफी विकसित हो चुका है।
रविदासियों ने विकसित किया चमड़ा उद्योग
श्री गुरु रविदास जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर रविदासियों ने बहुत मेहनत की और एक चमड़ा उद्योग यहां पर स्थापित किया। जो कि अब काफी विकसित हो चुका है। इसके बाद ही यहां आस-पास अन्य कई उद्योग खोले गए और यह एरिया कमर्शियल प्रतिष्ठान हो गया।
धाम में पवित्र अमृतवाणी का प्रकाश किया गया
श्री गुरु रविदास जी की अमृतवाणी का प्रकाश धाम के ग्राउंड फ्लोर पर किया गया है जिसका आनंद श्रद्धालु उठा रहे हैं। धाम के बेसमेंट में एक बहुत बड़ा लंगर हाल बना हुआ है, जिस में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खाने का प्रबंध होता है।