हाई कोर्ट के जालंधर निगम काे अादेश-जब तक एक भी अवैध इमारत है, डिच नहीं रुकनी चाहिए Jalandhar News
हाई कोर्ट ने नगर निगम की टीम को आदेश दिया है कि जब तक सभी अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं हो जाती है तब तक एक्शन जारी रहे।
जालंधर, जेएनएन। अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों पर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान निगम को हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट ने नगर निगम की टीम को आदेश दिया है कि जब तक सभी अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं हो जाती है तब तक एक्शन जारी रहे।
हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल को भी आदेश दिए हैं कि एक्शन के दौरान निगम टीम पर हमलों को रोकने के लिए पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए और अगर बटालियन की भी जरूरत होती है तो दी जाए।
हाई कोर्ट में निगम की टीम ने अपना पक्ष रखा कि उनके पास स्टाफ की कमी है। बिल्डिंग इंस्पेक्टर 26 चाहिए लेकिन सिर्फ छह हैं इसलिए एक्शन के लिए कम से कम छह महीने चाहिए। हाईकोर्ट ले निगम की इसी दलील पर कहा कि चाहे दो साल का समय ले लो लेकिन एक भी अवैध कॉलोनी और अवैध इमारत को बिना एक्शन के नहीं छोड़ना है।
हाईकोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 16 जनवरी रखी है लेकिन साथ यह आदेश भी दिया है कि निगम अगली सुनवाई पर टाइम शेड्यूल लेकर आए कि किन इमारतों पर कितने-कितने समय में कार्रवाई होगी। निगम अब अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में यह शेड्यूल देगा कि जनहित याचिका में दर्ज 448 कॉलोनियों और इमारतों पर कितने समय में कार्रवाई होगी। शहर में अवैध कॉलोनियों और अवैध निर्माण के खिलाफ आरटीआइ एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर की है।
हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं रूक रहा अवैध निर्माण
हाई कोर्ट की सख्ती के बावजूद शहर में अवैध निर्माण नहीं रुक रहा है। सोमवार को विधानसभा की कमेटी ने भी अटारी बाजार की तंग गलियों में रिहायशी नक्शों पर 36 दुकानें बनाने का मामला पकड़ा था। ऐसे ही सैकड़ों अवैध निर्माण नेताओं और निगम अफसरों की मिलीभगत से हो रहे हैं।
बचाव के लिए जोनिंग और ओटीएस पॉलिसी का सहारा
बिना मंजूरी बनी इमारतों का बचाव पंजाब सरकार की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी और नगर निगम की जो¨नग पर ही निर्भर है। मार्च में जारी हुई ओटीएस पॉलिसी फेल हो चुकी है और विधायकों की मांग पर पॉलिसी में बदलाव किया जा रहा है। यह पॉलिसी कुछ ही दिनों में जारी हो सकती है। इस पॉलिसी में अवैध इमारतों को रेगुलर करने की शर्तें सरल की जाएंगी और फीस में भी कमी की जानी है। विधायकों के सुझाव पर शहर की जोनिंग की जानी है।
इसके तहत तंग इलाकों के लिए अलग बिल्डिंग बायलाज होंगे। फिलहाल पुराने बाजारों में 35 फुट सड़क पर ही कामर्शियल निर्माण हो सकता है। बाजारों में सड़कें करीब 15 फुट तक ही चौड़ी हैं जिससे लोग बिना मंजूरी निर्माण करते हैं।