कद तीन फुट 6 इंच, लेकिन हौसला आसमान से भी ऊंचा
विकास का कद तीन फुट 6 इंच है, लेकिन उसका हौसला आसमान से भी ऊंचा है। पिछले साल सीजीपीए 8.2 हासिल कर उन्होंने बीटेक पास की।
जेएनएन, जालंधर। एनआइटी में आयोजित 12वें दीक्षांत समारोह में बीटेक सीएसई के विकास पोद्दार जब मंच पर डिग्री लेने आए तो मौजूद लोगों की तालियां थमने का नाम नहीं ले रही थीं। डायरेक्टर अवस्थी व अन्य सदस्य भी उसको डिग्री देने के लिए झुक गए। विकास की सफलता उन विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय है, जो संसाधनों के अभाव या फिर हीन भावना के कारण पढ़ाई में आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
दरअसल मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले विकास का कद तीन फुट 6 इंच है, लेकिन हौसला आसमान से भी ऊंचा है। पिछले साल सीजीपीए 8.2 हासिल कर उन्होंने बीटेक पास की। अब वे दिल्ली में मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन विभाग की रिसर्च एंड डवलपमेंट बॉडी सीडॉट में बतौर रिसर्च इंजीनियर कार्यरत हैं। दावा है कि वे देश के सबसे छोटे कद के इंजीनियर हैं। विकास के पिता दिनेश पोद्दार की बर्तनों की दुकान है।
विकास का सपना इंजीनियर बनने का था, इसलिए पिता ने छोटी बेटी की शादी के लिए जो 50 हजार रुपये जोड़े थे उसे विकास की पढ़ाई में लगा दिया। वे बताते हैं- नौवीं क्लास में स्टीफन हॉकिंग के बारे में पढ़ा था। वे ना तो चल सकते थे और ना ही बोल सकते थे। मगर दुनिया में अपना एक मुकाम बनाया। तभी मैंने ठान लिया कि इंजीनियर बनकर मैं भी अपना नाम कमाउंगा। एआइईईई में बिना किसी कोचिंग के टेस्ट क्लीयर किया। दसवीं में 76 और बारहवीं में 78 फीसद अंक हासिल किए।
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