लावारिस पशुओं से निजात अभी दूर की बात, गोशाला को जमीन देने पर फंसा पेंच
सरकार ने जालंधर नगर निगम को भेजे अपने पत्र में कहा है कि सरकारी जमीन को डीसी रेट पर ही दिया जा सकता है, मुफ्त नहीं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। शहर में घूम रहे एक हजार से अधिक बेसहारा पशुओं के लिए गोशाला निर्माण को निगम की ओर से जमीन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव लटक सकता है। निगम ने पिंजरापोल गोशाला के लिए अपनी करीब 14 मरला जमीन मुफ्त में देने का प्रस्ताव पारित किया था। वीरवार को सरकार ने निगम को भेजे अपने जवाब में कहा कि नियमों के तहत सरकारी भूमि को ट्रांसफर करने के लिए डीसी रेट पर जमीन की कीमत वसूली जाती है। सरकार के जवाब के बाद माना जा रहा है कि यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में जा सकता है। दूसरी ओर, मेयर जगदीश राजा इस मामले में निजी स्तर पर सरकार से चर्चा करने की बात कह रहे हैं।
निगम के सूत्रों के मुताबिक पिंजरा पोल गोशाला में करीब 225 बेसहारा पशुओं को रखने की क्षमता है पर यहां मौजूदा समय में करीब 550 पशुओं को रखा गया है। बुलंदपुर स्थित गोशाला का भी यही हाल है। इसके चलते गोशाला समिति ने निगम प्रशासन से गोशाला के साथ लगती निगम की करीब 14 मरले जमीन गोशाला को देने की मांग की थी। बताया जा रहा है कि यह जमीन गोशाला को ट्रांसफर कर देने से शहर से करीब 100 और बेसहारा पशुओं को पिंजरापोल गोशाला में शिफ्ट किया जा सकता था।
शाहकोट में भी शुरू नहीं हो सका शेड का निर्माण
नगर निगम ने जिला प्रशासन को शाहकोट में गोशाला के पास पड़ी सरकारी जमीन पर करीब 250 से 300 बेसहारा पशुओं के लिए शेड निर्माण करने के प्रस्ताव पर चर्चा की थी। डीसी से चर्चा के दौरान मेयर ने सारा खर्च निगम प्रशासन द्वारा उठाने की बात कहते हुए शेड निर्माण के काम को जल्द शुरू कराने की मांग की थी। हालांकि, दो माह पहले इस प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद से अब तक शेड का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि निगम द्वारा जिला प्रशासन को करीब 300 वर्ग फुट का शेड बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। फिर, पीडब्ल्यूडी ने इसका आकार कम कर इसे 150 वर्ग फुट कर दिया। इसे लेकर मामला फंसा हुआ है।
शहर की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं को फरीदकोट गोशाला में शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में फरीदकोट गोशाला प्रबंधन से निगम की एक दौर की बातचीत हो चुकी है। अब मामले में ज्वाइंट कमिश्नर राजीव वर्मा गोशाला प्रबंधन से चर्चा कर अंतिम फैसला लेंगे। फरीदकोट गोशाला में जगह की कोई कमी नहीं है।
- किशोर बांसल, एसई ओएंडएम ब्रांच।