शहर की 600 कॉलोनिया हो सकेंगी रेगुलर, सरकार की ओर से आई बड़ी खुशखबरी
प्रदेश में करीब 50 हजार एकड़ जमीन पर काटी गईं अवैध कालोनियों को अब आसान शर्तो के साथ रेगुलर करवाया जा सकेगा।
जागरण संवाददाता, जालंधर : प्रदेश में करीब 50 हजार एकड़ जमीन पर काटी गईं अवैध कालोनियों को अब आसान शर्तो के साथ रेगुलर करवाया जा सकेगा। यह अधिसूचना प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को जारी की। पंजाब प्रॉपर्टी डीलर्स एंड कॉलोनाइजर्स एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव गुरविंदर सिंह लाबा ने कहा कि इससे प्रदेश में लगभग समाप्त हो चुके रियल एस्टेट कारोबार को बूम मिलेगा। साथ ही सरकार को भी करीब 10 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। लाबा ने बताया कि इस पॉलिसी से 7 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की बात सरकार आधिकारिक तौर पर भी स्वीकार कर चुकी है।
सरकारी आकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में 15 हजार एकड़ से अधिक जमीन पर अवैध कॉलोनिया काटी गई हैं। जबकि एसोसिएशन के पदाधिकारियों का दावा है कि करीब 50 हजार एकड़ भूमि पर अवैध कालोनिया काटी गई हैं।
नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक जालंधर में 348 अवैध कालोनिया हैं। जबकि कालोनाइजरों की मानें तो यह आकड़ा 600 के करीब है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के तहत कॉलोनाइजर और प्लाट होल्डर चार महीनों में आवेदन कर सकते हैं। साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया है कि 19 मार्च 2018 के बाद काटी गई किसी भी कॉलोनी को रेगुलर नहीं किया जाएगा। जालंधर के कॉलोनाइजर और काग्रेस के प्रदेश महासचिव मेजर सिंह ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। पहले कॉलोनी और फिर प्लाट वाली शर्त हटी
लाबा ने बताया कि गत 20 अप्रैल को सरकार की ओर से जारी पॉलिसी में पहले कॉलोनी और फिर प्लाट रेगुलर कराने की शर्त शामिल थी। पर अब यह शर्त हटा दी गई है। इससे प्लाट होल्डरों को बड़ी राहत मिलेगी। एसोसिएशन ने मानी सरकार की बात
एसोसिएशन की सरकार से गज और एकड़ की भी लड़ाई चल रही थी। एसोसिएशन चाहती थी कि सरकार एकड़ के हिसाब से फीस वसूल करे, लेकिन सरकार इस हक में नहीं थी। अंत में जब सरकार ने सभी बातें लगभग मान ली तो एसोसिएशन ने भी सरकार की यह बात मान ली। चार श्रेणियों में बाटीं कॉलोनिया
लाबा ने बताया कि सरकार ने कॉलोनियों को चार श्रेणियों में बाटा है। 25 प्रतिशत तक बिक चुकी कॉलोनियों के लिए शर्ते उतनी आसान नहीं हैं। इनमें कम से कम 30 फीट चौड़ी सड़कें, अप्रोच रोड अनिवार्य, पाच प्रतिशत इलाके में पार्क होने चाहिए। सीएलयू, ईडीसी की शर्ते पूरी होनी चाहिए। 25 से 50 फीसद बिक चुकी कॉलोनियों को कुछ राहत दी गई है। इसमें सड़कें कम से कम 20 फीट चौड़ी, 3 प्रतिशत हिस्से में पार्क होना चाहिए। 10 एकड़ की कॉलोनी में 100 वर्ग गज जमीन ट्यूबवेल, 150 वर्ग गज, 10-15 एकड़ की कॉलोनी के लिए 200 वर्ग गज, 15-25 एकड़ की कालोनी के लिए 300 वर्ग गज और इससे अधिक एकड़ वाली कालोनी के लिए 500 वर्ग गज भूमि एसटीपी के लिए रखनी जरूरी है। 50 फीसद से अधिक बिक चुकी कॉलोनी में सड़क की चौड़ाई 18 फीट होनी चाहिए, जबकि 75 फीसद से अधिक बिक चुकी कॉलोनियों के लिए कोई शर्त नहीं है।
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इतनी देनी होगी फीस
17 अगस्त 2007 से पहली काटी गईं कालोनियों को रेगुलर करने के लिए कलेक्टर रेट का 0.5 फीसद या अधिकतम 3 लाख रुपये प्रति एकड़ (प्रति वर्ग गज), 17 अगस्त 2007 से लेकर 31 मार्च 2013 तक काटी गईं कालोनियों को रेगुलर कराने के लिए कलेक्टर रेट का 2 फीसद या अधिकतम 10 लाख रुपये प्रति एकड़ (प्रति वर्ग गज) और एक अप्रैल 2013 से लेकर 18 मार्च 2018 तक काटी गईं कॉलोनियों को रेगुलर कराने के लिए कलेक्टर रेट का 6 फीसद या अधिकतम 20 लाख प्रति एकड़ (प्रति वर्ग गज)अदा करने होंगे। 50 गज तक के प्लाटों के लिए देना होगा आधा प्रतिशत
निगम की हद से बाहर 50 गज तक के प्लाटों के लिए कलेक्टर रेट की आधा फीसदी, 50 से 100 गज के प्लाटों के लिए कलेक्टर रेट की एक फीसदी, 100 गज से 250 गजे के प्लाटों के लिए चार फीसदी, और 250 गज से अधिक के प्लाटों के विकास के लिए कलेक्टर रेट की 6 फीसदी फीस देनी होगी। वहीं, कमर्शियल प्लाटों के लिए 25 गज तक के प्लाटों के लिए कलेक्टर रेट की नौ फीसदी, 25 से 50 गज के लिए 18 फीसदी और 50 गज से अधिक के प्लाटों के लिए कलेक्टर रेट की 25 फीसदी फीस देनी होगी। कवर्ड एरिया रेगुलर करवाने के लिए यह होंगे रेट
निगम की हद में रिहायशी कवर्ड एरिया को रेगुलर कराने के लिए लोगों को अब 37.5 रुपये प्रति वर्ग फीट, कॉमर्शियल के लिए 75 रुपये प्रति वर्ग फीट, इंडस्ट्रियल के लिए 75 रुपये प्रति वर्ग फीट और इंस्टीट्यूशनल के लिए 75 रुपये प्रति वर्ग फीट रुपये की फीस देनी होगी। नगर निगम की हद के बाहर के इलाकों में रिहायशी कवर्ड एरिया को रेगुलर कराने के लिए 7.50 रुपये प्रति वर्ग फीट, कॉमर्शियल के लिए 45 रुपये प्रति वर्ग फीट और इंडस्ट्रियल के लिए 7.50 रुपये प्रति वर्ग फीट की फीस देनी होगी।