शहर में सिर्फ एक गर्ल्स रेजिडेंशियल हॉकी एकेडमी, टीमें बनाना मुश्किल
जालंधर में अंडर-14 की एकेडमी न के बराबर होने के कारण हॉकी कोच को अंडर-16 व 17 की टीमें बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जालंधर [कमल किशोर]। किसी खिलाड़ी ने खेल में परिपक्व होना है तो ग्रास रूट से तैयार होना होगा। स्थिति यह है कि लड़कियों को हॉकी में करियर बनाने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। जालंधर ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी दिए है। शहर की गुरजीत कौर मौजूदा भारतीय हॉकी टीम की हिस्सा हैं। बावजूद इसके शहर में मात्र एक गर्ल्स रेजीडेंशियल एकेडमी चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर बुनियादी ढांचा ही कमजोर होगा तो शहर से स्टेट, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी कैसे निकलेंगे।
जालंधर में मात्र एक अंडर-14 रेजिडेंशियल एकेडमी (गर्ल्स) सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नेहरु गार्डन में चल रही है। अंडर-14 की एकेडमी न के बराबर होने के कारण हॉकी कोच को अंडर-16 व 17 की टीमें बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी गर्ल्स स्कूलों में खेलों को इंफ्रास्ट्रक्टचर बेहतर न होने के कारण लड़कियां खेलों की ओर रुख नहीं करती। इस कारण कोच को अंडर-14 की लड़कियों की टीम बनाने में दिक्कत आ रही है।
अंडर-16 व 17 टीमें बनाने में दिक्कत
ओलंपियंस ने कहा कि गर्ल्स स्कूलों में अंडर-14 एकेडमी होगी तो अंडर-16 व 17 की टीमें बनाना आसान हो जाएगा। फिलहाल मौजूदा समय में टीमें तैयार करने में दिक्कत आ रही है। ग्रास रूट से खिलाड़ी नहीं निकल रहे हैं।
पूर्व ओलंपियन वरिंदर सिंह ने कहा कि अगर ग्रास रूट से खिलाड़ी निकलेंगे और अधिक एकेडमी खुलेंगी, तभी स्टेट की टीम बनेगी और राष्ट्रीय स्तर का सफर तय होगा। अगर खिलाड़ी नहीं होंगे तो टीमें तैयार करना भी मुश्किल होगा। विभाग को गर्ल्स स्कूलों में रेजिडेंशियल एकेडमी खोलनी चाहिए।
पूर्व ओलंपियन संजीव कुमार ने कहा कि रेजिडेंशियल एकेडमी होगी तो ही लड़कियां हॉकी में रूचि लेंगी। विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि खेलों को प्रमोट करने के लिए स्कूलों में रेजीडेंशियल एकेडमी ओपन करें।
इस संबंध में जिला खेल अधिकारी बलविंदर कुमार का कहना है कि जालंधर में अंडर-14 लड़कियों की एक एकेडमी है। यह बात ध्यान में है। रेजिडेंशियल एकेडमी कम होने की बात डायरेक्टर स्पोर्ट्स के समक्ष रखेंगे, ताकि लड़कियां हॉकी में आगे आ सकें।