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सरकारी नौकरी छोड़कर शुरू किया उद्योग, उद्योगपति ज्ञान भंडारी आज बना रहे हैं 500 से ज्यादा उत्पाद

Gems of Jalandhar उद्योगपति ज्ञान भंडारी ने 1977 में सरकारी नौकरी छोड़कर अंबिका फोर्जिंग नाम से कंपनी बनाई थी। आज उनकी फैक्ट्री अमेरिका यूरोप मिडल ईस्ट के तमाम देशों में 500 से ज्यादा उत्पादों का एक्सपोर्ट कर रही है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 07:34 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 09:17 AM (IST)
सरकारी नौकरी छोड़कर शुरू किया उद्योग, उद्योगपति ज्ञान भंडारी आज बना रहे हैं 500 से ज्यादा उत्पाद
उद्योगपति ज्ञान भंडारी ने डायरेक्टर लैंड रिकार्ड की सरकारी नौकरी छोड़कर अंबिका फोर्जिंग की स्थापना की थी।

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। देश कं बंटवारे के बाद पिता जी लाहौर से फिरोजपुर आ गए थे। पिता मूल राज भंडारी लाहौर में डीसी दफ्तर में नौकरी करते थे। बंटवारे के बाद उन्हें नौकरी छोड़कर यहां शिफ्ट होना पड़ा। कुछ समय फिरोजपुर में रहने के बाद हम लोग जालंधर में  शिफ्ट हो गए। पहले सरकारी नौकरी की फिर अपना उद्योग शुरू किया। आज हम हैंड टूल्स सहित विभिन्न प्रकार के 500 से ज्यादा टूल्स बनाकर दुनिया के तमाम देशों में एक्सपोर्ट करते हैं।

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उद्योगपति ज्ञान भंडारी बताते हैं जालंधर के साईं दास स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा हासिल करने के बाद इवनिंग कालेज से ग्रेज्युएशन की। इसके बाद डायरेक्टर लैंड रिकार्ड के पद पर सरकारी नौकरी की। मां लीलावंती चाहती थीं कि मैं सरकारी नौकरी के बजाय अपना काम करूं, जिससे दूसरों को रोजगार देकर उनकी मदद कर सकूं। इसीलिए मैने 1977 में सरकारी नौकरी छोड़कर अंबिका फोर्जिंग नाम से कंपनी बनाई। माता रानी के नाम पर मैने फैक्ट्री व कंपनी का नाम अंबिका रखा था।

उन्होंने सबसे पहली 14 इंच की रिंच बनाई थी। बाजार में उसकी काफी डिमांड हुई। उसके बाद पलट कर नहीं देखा। 1981 से एक्सपोर्ट शुरू किया। आज हम 14 इंच की रिंच से आगे निकल कर 500 से ज्यादा उत्पाद बनाकर देश व विदेशों की मार्केट में उपलब्ध करवा रहें। अमेरिका, यूरोप, मिडल ईस्ट के तमाम देशों तक में अपना कारोबार फैलाया। ज्ञान बताते हैं कि आज भी फैक्ट्री आने के बाद वह एक युवा उद्योगपति व श्रमिक की तरह ही काम करते हैं। भगवान की पूजा व सैर उनकी जिंदगी का हिस्सा हैं। बेटी पूजा व रिचा की शादी करके मैंने पिता की जिम्मेवारी पूरी कर दी है। बेटा सौरभ मेरे साथ मेरे काम में शरीक होकर कंपनी को और आगे बढ़ा रहा है।

जालंधर में शांति व भाईचारा है

भंडारी बताते हैं कि उन्होंने दुनिया के तमाम देश व अपने कई शहरों को देखा है और जिया है, लेकिन जो शांति व भाईचारा जालंधर में है वह कहीं नहीं दिखाई देता है। यहां के लोगों में गर्मजोशी के साथ मिलते हैं। एक-दूसरे से मान-सम्मान के साथ मिलते हैं। सभी अपने-अपने काम में माहिर हैं। यही वजह है कि जालंधर का डंका दुनिया के कई देशों में बजता है।

पत्नी के बिना जीरो हूं मैं

ज्ञान कहते हैं उनकी तरक्की व संघर्ष में पत्नी नीलू भंडारी का हमेशा बराबर का साथ रहा। पत्नी के बिना मैं जीरो हूं। पत्नी परिवार की स्ट्रेंथ हैं। मेरी नजरों में वह एक परफेक्ट लेडी हैं। परिवार की जरूरतों को कैसे संभालना है , वह अच्छी तरह से जानती है। लक्ष्मी के रूप में अगर मैने किसी को कभी देखा है तो वह मेरी पत्नी है।

बुजुर्गों की सुनें युवा, हमेशा आगे बढ़ेंगे

भंडारी बताते हैं कि आज का युवा सिर्फ अपने मन की करना चाहता है। युवाओं को चाहिए कि वह परिवार के बुजुर्गों की राय को सुनें और उन पर अमल करें। निश्चित तौर पर सफलता उनके कदम चूमेगी। युवा अपना करियर बनाने के लिए आजाद हैं, लेकिन पारिवारिक व्यवसाय को अपनाकर वह जल्दी तरक्की हासिल कर सकते हैं। जिस भी युवा ने अपने पिता व दादा की नसीहत को जीवन में अपना लिया, वह कभी फेल नहीं हो सकता।

आउटडोर गेम्स को प्रमोट करना चाहिए

अगली पीढ़ी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आउट डोर गेम्‌स को प्रमोट करना चाहिए। स्कूलों से लेकर कालेजों तक को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। फील्ड गेम्स में हमें लंबे समय तक के ऊर्जावान बनाते हैं। बीते कुछ सालों में आउटडोर गेम्स के प्रति युवाओं को रुझान कम हुआ है। इसके लिए युवाओं के साथ-साथ हम सभी दोषी हैं। सरकार व हम सब को मिलकर इसे प्रमोट करना चाहिए।

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