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मच्छर का लारवा खत्म करने के लिए गंबूजिया मछली का सहारा

सेहत विभाग ने मलेरिया से बचाव के लिए होमवर्क शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 05:05 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 05:06 PM (IST)
मच्छर का लारवा खत्म करने के लिए गंबूजिया मछली का सहारा
मच्छर का लारवा खत्म करने के लिए गंबूजिया मछली का सहारा

जागरण संवाददाता, जालंधर : सेहत विभाग ने मलेरिया से बचाव के लिए होमवर्क शुरू कर दिया है। विभाग देहात व शहरी इलाकों में मलेरिया को दावत देने वाले मच्छर को खत्म करने के लिए गंबूजिया मछली का सहारा ले रहा है।

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डीडीटी पर प्रतिबंध लगाने के बाद मच्छरों का खात्मा विभाग के लिए चुनौती है। फॉ¨गग भी लोगों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को प्रभावित करती है। ऐसे में गंबूजिया मछली पर्यावरण सरंक्षण के लिए कारगर साबित होंगी। जिले में गंबूजिया मछली पालने के लिए पिछले साल सेहत विभाग ने करतारपुर में जिला स्तरीय हैचरी तैयार की थी। इस साल वहां से मछलियां छप्पड़ों में डालनी शुरू कर दी है।

950 में से 125 छप्पड़ में मछलियां डाली

जिला एपीडिमोलाजिस्ट डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि जिले में करीब 950 छप्पड़ हैं। पिछले दो माह में 125 छप्पड़ों में यह मछलियां छोड़ी जा चुकी हैं। हैचरी में दस हजार के करीब मछली तैयार हो चुकी है। अगले दिनों में यह संख्या बढ़ेगी। छप्पड़ में एक वर्ग मीटर में एक मछली काफी है। छोटे साइज की मछली पानी में मच्छर का लारवा पैदा होते ही खा जाती है। मच्छरों का लारवा मछली की खुराक का एक हिस्सा है। कम से कम चार फुट होना चाहिए पानी

जिले में जिन छप्पड़ों में बूटी लगी हो या जहां किसी इंडस्ट्री का दूषित पानी जा रहा हो, वहां वहां मच्छर पैदा होने की संभावना कम होती है और वहां मछलियां नही डाली जा सकती। छप्पड़ में कम से कम चार फुट पानी का होना आवश्यक है ताकि मछलियां जिंदा रह सकें।


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