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Punjab में 14 साल बाद चार बहनों ने भाई काे बांधी राखी, नौ साल की उम्र से राजस्‍थान से यूपी तक भटका

RakshaBandhan 2021 पंजाब के मोगा में रक्षाबंधन के दिन बहुत भावुक दृश्‍य देखने को मिला। मोगा में चार बहनों ने 14 साल बाद अपने भाई को राखी बांधी। धर्म बहन ने अपना फर्ज निभाते हुए 14 साल बिछुड़े भाई को उसकी सगी बहनों से मिलवाया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 05:54 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 07:31 AM (IST)
Punjab में 14 साल बाद चार बहनों ने भाई काे बांधी राखी, नौ साल की उम्र से राजस्‍थान से यूपी तक भटका
रक्षा बंधनपर मोगा में 14 साल बाद चार बहनों ने भाई काे राखी बांधी।

मोगा, [सत्येन ओझा/ राजकुमार राजू]। RakshaBandhan 2021: पंजाब के मोगा में फिल्‍म जैसी कहानी सामने आई है। नौ साल की उम्र में एक बच्‍चा अपने  परिवार से बिछड़ गया और इस दाैरान 14 साल तक राजस्‍थान और उत्‍तर प्रदेश में भटका। 14 साल साल बाद यूपी की मुरैना की अपनी धर्म बहन की मदद से रक्षाबंधन के दिन घर लौटा। इस तरह शहर के प्रीतनगर के उसके परिवार के लिए इस बार रक्षाबंधन का त्‍योहार असीम खुशियां लेकर आया और चार बहनाें को अनोखा तोहफा मिला। इन बहनों ने 14 साल बाद अपने भाई की कलाई पर रााखियां बांधी। युवक मां और बहनों से मिलाया तो आंसुओं की धारा बह निकली और दृश्‍य बहुत भावुक हो गया।

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रक्षाबंधन पर प्रीतनगर में मंजीत कौर के घर लौटी खुशियां

नौ साल की उम्र में परिवार से बिछुड़ गया मनप्रीत सिंह उर्फ लाडी रक्षाबंधन पर अपनी 4 बहनों को मिला। 14 साल बाद अचानक अपने लाडले को सामने खड़ा देख मां मनजीत कौर की आंखों से आंसुओं का समंदर बह निकला। उन्‍होंने लाडी को सीने से लगा लिया, अपने हाथों के खीर खिलाई। अपनी ससुराल में रह रही बहन काजल को भाई के वापस लौटने की सूचना मिली तो धल्लेके के गांव से भाई को राखी बांधने भागी-भागी पहुंची।  अन्‍य बहनों ने भी भाई को सीने से लगा लिया।

बहनाें के साथ मनप्रीत सिंह उर्फ लाडी। (जागरण)

शहर के प्रीतनगर में यह फिल्मी कहानी जैसा नजारा देख मोहल्ले के लोग लाडी के घर में जुट गए। इस दौरान वहां उत्सव जैसा माहौल था। 14 साल बाद घर में खुशियां लौटी थीं, ये अलग बात है कि इन सालों में लाडी के पिता मुख्त्यार सिंह व एक भाई की मौत हो गई थी। एक छोटी बहन लाडी के गुम होने के बाद पैदा हुई थी।

अचानक बेटे को सामने देख मां ने सीने से लगाया, बहन ने बांधी राखी

लाडी ने घर वापस लौटने के बाद जो कहानी बताई वह वह आंखे खोलने वाली थी। मनप्रीत सिंह उर्फ लाडी ने बतया कि 14 साल पहले बस स्टैंड के निकट एक चाय के खोखे पर काम करता था। एक दिन वह लोहारा स्थित बाबा दामूशाह की दरगाह पर माथा टेकने गया था। वहां पर एक ट्रक चालक उसे अच्छा काम दिलाने के बहाने ट्रक में बैठाकर ले गया। बाद में राजस्थान पहुंचकर ट्रक चालक ने उसे एक ढाबा मालिक को बेच दिया।

बेटे को खीर खिलाती मां मंजीत कौर। (जागरण)

लाडी के अनुसार राजस्थान का ढाबा मालिक उससे 16-16 घंटे काम लेता था, वेतन के नाम पर खाने को दो वक्त की रोटी मिल जाती थी, बस और कुछ नहीं देता था। वहां से उसने दो बार भागने का प्रयास किया लेकिन दोनों बार ढाबा मालिक ने उसे पकड़ लिया। एक दिन ढाबा मालिक ने उसे थप्पड़ मारा तो मौका देखकर वह भाग निकला और फिर उसके हाथ नहीं लगा।

बाद में लाडी को फिर एक ट्रक चालक मिला, ट्रक चालक ने उसे उसके शहर छोड़ने का वादा कर ट्रक में बैठा लिया। लाडी ने बताया कि ट्रक में बिठाकर वह उसे उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिला स्थित अपनी बहन के घर ले गया। बहन के पास यह कहकर छोड़ दिया कि अब वह यहीं रहेगा। उसे भैंस के अहाते में भैंस को चारा डालने, दूध बांटने आदि के काम पर लगा दिया। वह एक घर में दूध डालने जाता था और वहां एक युवती को दीदी बोलने लगा था। दोनों के बीच इस प्रकार के संबंध बन गए थे कि वह उसकी धर्मबहन बनकर राखी बांधने लगी थी। जब भी मौका लगता था तो लाड़ी अपनी धर्मबहन के साथ सुख-दुख सांझा कर लेता था।

लाड़ी पढ़ा लिखा नहीं था, न ही उसके पास परिवार या किसी अन्य का कोई फोन नंबर पता था, जिस कारण उसकी धर्मबहन चाहकर भी उसे उसके परिवार को सूचना नहीं दे पा रही थी। लाड़ी के अनुसार उसकी धर्मबहन ने अपने पति के साथ बात करके रक्षाबंधन से दो दिन पहले दो हजार रुपये दिए। बाद में धर्म बहन के पति ने उसे दिल्ली जा रहे एक ट्रक में बैठा दिया। दिल्ली से लाड़ी लुधियाना की ट्रेन से लुधियाना पहुंचा, वहां से वह मोगा आया। मोगा बस स्टैंड पर उतरते ही वह सबसे पहले उसी चाय वाले के पास पहुंचा जिसके यहां 14 साल पहले काम करता था। चाय वाला देखते ही लाडी को पहचान गया। उसने सूचना लाडी की मां मंजीत कौर को दी, और उसे प्रीत नगर स्थित उसके घर पहुंचा दिया।

शनिवार शाम को लाडी घर पहुंचा तो मानो परिवार की खुशियां 14 साल बाद वापस लौट आईं। मां ने बेटे को गले लगा लिया। 14 सालों में लाडी की भाषा बदल चुकी थी। मैनपुरी के पूर्वी उत्‍तर प्रदेश का हिस्सा होने के नाते उसकी भाषा भी पूर्वी यूपी जैसी हो गई थी। वह पंजाबी ठीक से नहीं बोल पा रहा था, परिजनों को शक होने पर मां ने लाडी के सिर में बचपन में लगी चोट का निशान देखा तो निशान उसी जगह मिला। एक हाथ में लाडी नाम गुदवाया हुआ था, हालांकि मैनपुरी में उसके दूसरे हाथ में सूरज नाम गुदवा दिया गया था।

लाडी ने बताया कि मैनपुरी में पड़ोस में किसी ने उसे बताया था कि जिसके घर में वह रहा है, उसके किसी सदस्य की किडनी खराब है। परिवार के लोग उसकी किडनी निकालकर उसे दे सकते हैं। यही बात सुनकर उसकी धर्म बहन का दिल पिघला और उसने लाडी को वापस अपने घर तक पहुंचने में मदद की।


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