पूर्व मंत्री सांपला की इनोवा ने मचाई आरटीए दफ्तर में 'हाय-तौबा'
असल में सांपला की जिस इनोवा गाड़ी की आरसी की डुप्लीकेट कॉपी के लिए आवेदन आरटीए दफ्तर पहुंचा वो नंबर नकोदर के किसी व्यक्ति के नाम पर है।
जालंधर [मनीष शर्मा]। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला की इनोवा गाड़ी की आरसी ने आरटीए दफ्तर वालों की 'हाय-तौबा' मचा दी है। असल में सांपला की जिस इनोवा गाड़ी की आरसी की डुप्लीकेट कॉपी के लिए आवेदन आरटीए दफ्तर पहुंचा, वो नंबर नकोदर के किसी व्यक्ति के नाम पर है। आरटीए के मौजूदा रिकॉर्ड के मुताबिक जो नंबर पूर्व मंत्री की गाड़ी को अलॉट ही नहीं हुआ, उसकी डुप्लीकेट कॉपी कैसे निकलवा दें। इसको लेकर सब असमंजस में हैं। हालात यह हैं कि क्लर्क से लेकर बड़े अफसरों तक को कुछ समझ नहीं आ रहा। नतीजा, पूरा मामला बनाकर स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को भेज दिया गया है। वहां से निर्देश मांगे गए हैं कि आगे क्या कार्रवाई करें?।
दरअसल, यह मुद्दा करीब 15 साल पुराना है। तब डीटीओ (अब आरटीए) दफ्तर व सुविधा सेंटर से गाडिय़ों की आरसी बनती थी। गड़बड़ी तभी हुई, सुविधा सेंटर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला की इनोवा गाड़ी को पीबी 08 एएफ 0024 नंबर अलॉट कर दिया। तब ऐसी सुविधा नहीं थी कि जो नंबर अलॉट हो गया, वो नंबरों की उपलब्ध लिस्ट से हट जाए। आरटीए दफ्तर के क्लर्क के मुताबिक इससे कुछ साल पहले ही डीटीओ दफ्तर ने यह नंबर नकोदर के सुखदेव सिंह की आइकोन कार को दे दिया था। एक ही नंबर दो गाड़ियां को अलॉट होने का मुद्दा तब भी बना लेकिन दोनों ने सही तरीके से आरसी बनाने की बात कही और अड़े रहे।
आरटीए के रिकॉर्ड में आज भी नंबर नकोदर के सुखदेव सिंह के नाम पर है। अब जब पूर्व केंद्रीय मंत्री की आरसी फिर डुप्लीकेट कॉपी निकलवाने के लिए आरटीए दफ्तर पहुंची और क्लर्कों ने रिकॉर्ड टटोला तो पता चला कि यह गड़बड़ी अब तक ठीक नहीं हुई है। उन्होंने तुरंत सेक्रेटरी को बताया। यह तो तय ही था कि इसी नंबर की आरसी पूर्व मंत्री की इनोवा गाड़ी के लिए जारी नहीं हो सकती। फिर सेक्रेटरी ने सांपला से बात भी की कि कोई नया नंबर लगा देते हैं। खैर, इस बात पर सांपला माने लेकिन अब पेंच टैक्स को लेकर फंस गया।
सांपला का कहना था कि उन्होंने गाड़ी रजिस्टर्ड कराते वक्त जो टैक्स भरा था, उसी के आधार पर नया नंबर जारी कर दें लेकिन आरटीए दफ्तर का कहना है कि नए नंबर का नए सिरे से टैक्स भरना होगा। इस पर सांपला ने कहा कि ठीक है, जब पुराना नंबर नहीं रहना तो उसके बदले दिए टैक्स को विभाग रिफंड करे लेकिन उसको लेकर भी आरटीए दफ्तर असमंजस में फंस गया। दूसरा पेंच यह भी है कि गाड़ी बीएस-फोर है, जिसकी नई गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन बंद हो चुकी है और आगे तारीख बढ़ने को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे में मुद्दा फंसा गया कि करना क्या है?। वैसे, इस मामले में गलती तो ट्रांसपोर्ट दफ्तर की ही है कि पहले एक नंबर दो को अलॉट कर दिया, फिर इतने साल गलती को सुधारने के लिए भी कुछ नहीं किया।
पुलिस ने भी की थी जांच
आरटीए दफ्तर के क्लर्क की मानें तो इस नंबर की आरसी पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री के नाम पर होने को लेकर कुछ वक्त पहले पुलिस ने भी जांच करके जानकारी ली थी। तब महिला पीसीएस अफसर नयन जस्सल सेक्रेटरी थी। हालांकि इसके बाद यह तय हुआ था कि किसी तरह उन्हें नया नंबर दे दिया जाए लेकिन उसमें अब टैक्स भरने का पेंच फंसा हुआ है। क्लर्क का यह भी कहना है कि डुप्लीकेट आवेदन में जो गुमशुदगी की पुलिस रिपोर्ट लगी है वो भी 2007 की है। अब अधिकारियों के पास ही पूरा मामला है।
यह मामला साल 2006 का है। हमने उन्हें दूसरा नंबर देने की बात कही है लेकिन उनका कहना है कि टैक्स तो वो पिछली बार ही भर चुके हैं। टैक्स भी एक लाख से ज्यादा बनता है। पूरे मामले के हालात व उनसे जुड़े दस्तावेज उच्च अधिकारियों को भेज दिए हैं, वहां से जो भी निर्देश आएंगे, उसके अनुसार कदम उठाएंगे।
बरजिंदर सिंह, सेक्रेटरी, आरटीए
- यह मेरा व्यक्तिगत मामला है। कागजात चलते ही रहते हैं। इस बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा।
विजय सांपला, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री।