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पूर्व गृह मंत्री ब्रिज भूपिंदर सिंह अकाली दल में शामिल

लाली काग्रेस की ओर से हरदेव लाडी शेरोवालिया को टिकट देने के खिलाफ थे और टिकट का ऐलान होने के बाद से ही काग्रेस से दूरी बनाए हुए थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 01:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 01:41 PM (IST)
पूर्व गृह मंत्री ब्रिज भूपिंदर सिंह अकाली दल में शामिल
पूर्व गृह मंत्री ब्रिज भूपिंदर सिंह अकाली दल में शामिल

जागरण संवाददाता, जालंधर : शाहकोट उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। सीनियर काग्रेसी नेता और पूर्व गृह मंत्री ब्रिज भूपिंदर सिंह लाली शुक्रवार को अपने निवास स्थान हुए समारोह में सुखबीर सिंह बादल की उपस्थिति में काग्रेस छोड़ शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए। लाली काग्रेस की ओर से हरदेव लाडी शेरोवालिया को टिकट देने के खिलाफ थे और टिकट का ऐलान होने के बाद से ही काग्रेस से दूरी बनाए हुए थे। लाली ने 1992 में काग्रेस की ओर से चुनाव शाहकोट से चुनाव जीता था और स्वर्गीय बेअंत सिंह की सरकार में गृह मंत्री बने थे। लाली काग्रेस की टिकट के दावेदारों में शामिल थे और लाडी को टिकट देने का खुलकर विरोध किया था। दैनिक जागरण ने दो दिन पहले ही खुलासा कर दिया था कि सीनियर काग्रेसी टकसाली नेता अकाली दल में शामिल होने जा रहे हैं।

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पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल की तारीफ करते हुए लाली ने कहा कि अब शिरोमणि अकाली दल मेरा परिवार है। काग्रेस के लिए जमीनी स्तर पर काम किया, लेकिन दुख है कि मौजूदा काग्रेसी लीडरशिप ने कद्र नहीं की। इसलिए बड़ी दुखी दिल से काग्रेस को अलविदा कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि सभी सीनियर नेताओं ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ से बार बार माग की कि शेरोवालिया सही व्यक्ति नहीं है, उसे टिकट न दी जाए, लेकिन किसी की भी सुनवाई नहीं हुई। अकाली दल को शाहकोट ही नहीं, दोआबा में मिला बल : सुखबीर

सुखबीर बादल ने कहा कि अकाली दल को ब्रिज भूपिंदर सिंह के अकाली दल में शामिल होने से शाहकोट में ही नहीं, पार्टी को दोआबा में ही बल मिला है। लाली दिलेर इंसान है, हमेशा सही रास्ते चलते आए हैं, कभी सिद्धातों से समझौता नहीं किया। बेअंत सिंह की सरकार में गृह मंत्री रहना अपने आप में ही बड़ी बात है। मंत्री रहते लाली ने हलके के लिए जो काम किया थे, उसे लोग आज भी याद करते हैं। सुखबीर बादल ने कहा कि लाली जैसे सीनियर नेता की काग्रेस ने कद्र नहीं की, यही कारण है कि इनको काग्रेस से अलग होना पड़ा।


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