पांच साल बाद भी Z श्रेणी की सुरक्षा में आशुतोष महाराज का क्लीनिकली डेड शरीर
नूरमहल स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की क्लीनिकली डेथ के पांच साल बाद भी उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा सरकार द्वारा दी जा रही है।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। नूरमहल स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की क्लीनिकली डेथ के पांच साल बाद भी उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा सरकार द्वारा दी जा रही है। डेरा सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। महाराज को 29 जनवरी 2014 को क्लीनिकली डेड घोषित किया गया था। उसके बाद से जेड श्रेणी की सुरक्षा उनके शरीर को दी जा रही है।
आशुतोष महाराज की तबीयत खराब होने की सूचना 29 जनवरी की सुबह डेरे से निकली थी। इसके बाद मौके पर पहुंचे मीडिया को महाराज का शरीर देखने नहीं दिया गया था। महाराज को क्लीनिकली डेड घोषित किया गया। इसके बाद से ही डेरा समर्थकों ने डेरे की सुरक्षा बढ़ा दी थी।
डेरे में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने ध्यान लगाना शुरू कर दिया था। डेरे के पदाधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की थी कि महाराज ने समाधि ले ली है। वह कभी भी समाधि से वापस लौट सकते हैं। हालाकि आज डेरे में कोई कार्यक्रम नहीं होगा, लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैैं।
महाराज को क्लीनिकली डेड घोषित किए जाने के करीब तीन माह बाद बिहार के दरभंगा से दिलीप कुमार झा नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि वह महाराज का बेटा है और उसे संस्कार का अधिकार मिलना चाहिए। इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को 15 दिनों में संस्कार के आदेश दिए थे, लेकिन डेरा समर्थकों व महाराज के अनुयायियों की मांग को ध्यान में रखते हुए अदालत ने बाद में फैसला दिया कि महाराज के शरीर को डेरा प्रिजर्व करके रख सकता है।
अदालत में दिलीप झा भी इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं पेश कर पाए थे कि वह ही महाराज के बेटे हैं। 29 जनवरी 2014 से ही महाराज के शरीर को डेरे की तरफ से महाराज के स्थल पर ही विशेष विधि द्वारा 22 डिग्री तापमान पर प्रिजर्व करके रखा गया है।
छह माह में डॉक्टरों की टीम करती है दौरा
अदालत के आदेशों पर तीन डॉक्टरों की टीम हर छह माह पर डेरे का दौरा करके महाराज के शरीर की जांच करती है। टीम में दयानंद मेडिकल कॉलेज लुधियाना के डॉक्टर अजय गोयल, डॉक्टर गौतम विश्वास व सिविल सर्जन जालंधर को शामिल किया गया है। सिविल सर्जन डॉ. राजेश बग्गा ने बताया कि नवंबर 2018 में महाराज का शरीर टीम ने देखा था। शरीर पहले जैसा ही है। डेरा सूत्रों का कहना है कि महाराज के शरीर की देखभाल के लिए हर 15 दिन में डेरे की तरफ से तैनात किए गए विशेषज्ञों की टीम भी उनके कमरे का दौरा करती है।
कब-कब क्या-क्या हुआ
- 29 जनवरी 2014 : महाराज क्लीनिकली डेड घोषित।
- 30 जनवरी 2014 : महाराज के समर्थकों ने घोषणा की महाराज गहन समाधि में चले गए।
- 31 जनवरी 2014 : डेरे ने घोषणा की कि महाराज का शरीर पहले जैसा ही है।
- अप्रैल 2014 : हाईकोर्ट में खुद को महाराज का बेटा होने का दावा करके दिलीप कुमार झा ने याचिका दायर की
- अप्रैल 2014 : याचिकाकर्ता ने संस्कार का अधिकार मांगा।
- 1 दिसंबर 2014 : हाईकोर्ट ने सरकार को 15 दिन में संस्कार करवाने के आदेश दिए।
- 5 जुलाई 2017 : अदालत ने शरीर को प्रिजर्व करने की इजाजत दी।