इटली में चार पंजाबियों की मौत; परिवार का सहारा बनने गए थे, दुख भरी दास्तां बन गए
इटली के दक्षिणी मिलान के पाविया शहर में खाद बनाने वाले टैंक में गिरकर जान गंवाने वाले चारों सिख पंजाब से हैं।
जेएनएन, कपूरथला/होशियारपुर। इटली के दक्षिणी मिलान के पाविया शहर में खाद बनाने वाले टैंक में गिरकर जान गंवाने वाले चारों सिख पंजाब से हैं। इनमें से दो युवक पंजाब के कपूरथला व होशियारपुर जिले से रोजगार की तलाश में इटली गए थे। वहां जाकर अपने दूर के रिश्तेदार के डेयरी फार्म में काम करने लगे। इनमें से कपूरथला के गांव नत्थूचाहल का मनजिंदर सिंह डेढ़ महीना पहले ही इटली गया था, जबकि हरमिंदर चार साल पहले गया था। दोनों की मौत की खबर सुनकर परिवार में मातम है।
मनजिंदर के भाई बलजिंदर सिंह ने ने बताया कि मनजिंदर को 26 जुलाई को एजेंट को नौ लाख रुपये देकर इटली भेजा था। यहां रोजगार नहीं मिलने पर उन्होंने इधर-उधर से कर्ज लिया और उसके जाने का बंदोबस्त किया। वहां जाकर मनजिंदर उनके मामा प्रेम सिंह और तरसेम सिंह के यहां काम करने लगे। दोनों करतारपुर के गांव चीमा के मूल निवासी हैं। वह 35 साल पहले ही इटली चले गए और दूध की डेयरी का काम करने लगे। उसके बाद कभी लौटकर नहीं आए।
शव लाने के लिए पैसे नहीं
मनजिंदर के भाई ने बताया कि पहले से उनका परिवार गरीबी से गुजर रहा है। मनजिंदर ने जाने के एक महीने बाद मिला 500 यूरो वेतन (भारत के 40 हजार रुपये) भी परिवार को भेजा। जब पहले महीने का वेतन भेजा तो परिवार को उम्मीद जगी थी। लगा था अब उनके दुख के दिन बीत गए, लेकिन अब वे खुद ही ऐसा दर्द दे गया जिसे वे कभी नहीं भूल पाएंगे। कभी नहीं सोचा था कि उसके भाई की ऐसी दर्दनाक मौत होगी। अब तो उनके पास शव वापस लाने तक के पैसे नहीं है।
होशियारपुर के हरमिंदर के घर टूटा मुसीबतों का पहाड़
उधर होशियारपुर के टांडा के हरमिंदर के घर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार की आखिरी इच्छा है कि भारत सरकार कोशिश करके उनके लाडले का शव वतन मंगवाए ताकि वे अंतिम बार दर्शन करके अपनी दिल को दिलासा दे सकें। बहन अमृतपाल कौर ने बताया कि उन दो बहनों का एक ही भाई था। बड़ी बहन की दिसंबर में शादी थी। कुछ दिनों में वह घर आने वाला था। वह चाहती हैं कि जाते-जाते एक बार उसका मुंह तो वह देख ले। उन्होंने बताया कि चार साल पहले हरमिंदर वर्क परमिट पर गया था। पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। घर में हरमिंदर ही अकेला कमाने वाला था। अब घर में कुछ नहीं बचा है। उनके परिवार का सहारा उन्हें छोड़कर चला गया।
ऐसे हुई थी चारों की मौत
मनजिंदर के परिवार ने बताया कि 12 सितंबर की शाम रासायनिक टैंक, जिसमें पशुओं का गोबर डाला जाता है, उसकी सफाई के लिए उसके चचेरे मामा प्रेम सिंह ने टैंक का ढक्कन उठाया और सीढिय़ों से नीचे चले गए। काफी देर तक वापस नहीं आए तो दूसरे मामा तरसेम सिंह अपने भाई को देखने के लिए टैंक में उतरे, लेकिन वे भी नहीं आए। इसके बाद टांडा निवासी हरविंदर सिंह व उनका बेटा मनजिंदर दोनों को देखने गए, लेकिन वो भी गैस चढ़ने से मर गए।
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