अब पालतू कुत्ते को पड़ोसी के घर छोड़ने की जरूरत नहीं, जालंधर में खुला पहला डॉग हॉस्टल
जालंधर में अपने आप में इस यूनीक हास्टल को खोला हैं मिलाप चौक के पास रहने वाली कोमल मेहता ने। कोरोना काल में जब लोग दो-दो सप्ताह तक अस्पतालों में दाखिल रहे और कुत्तों की देखभाल नहीं हो पा रही थी तो उनको यह आइडिया आया।
जालंधर [प्रियंका सिंह]। जालंधर के डॉग लवर्स के लिए अच्छी खबर है। शहर में कुत्तों का पहला हास्टल खुल गया है। अब घर से बाहर जाते समय अपने प्यारे डाग्स को किसी रिश्तेदार या पड़ोसी के पास छोड़कर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस होस्टल में कितने भी दिन के लिए डॉग को छोड़ सकते हैं। इसके लिए महज थोड़ी फीस चुकानी होगी। अपने आप में इस यूनीक हास्टल को खोला हैं मिलाप चौक के पास रहने वाली कोमल मेहता ने। बकौल, कोमल कोरोना काल में जब लोग दो-दो सप्ताह तक अस्पतालों में दाखिल रहे और कुत्तों की देखभाल नहीं हो पा रही थी तो उनको यह आइडिया आया।
उन्होंने अपने घर को ही डॉग हास्टल के रूप में तब्दील कर लिया। लोगों के रिस्पांस के बाद अब कोमल गुलाब देवी रोड पर बड़ा हॉस्टल खोलने की कवायद में हैं। यहां कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक कुत्तों को रखने की सुविधा मिलेगी। एनिमल वेलफेयर बोर्ड की तरफ से निर्धारित नियमों के अनुसार कोई भी ऐसी व्यवस्था कर सकता है, बशर्ते कुत्तों के रहने व खाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
डॉग्स के लिए घर को चार हिस्सों में बांटा
कोमल खुद भी एक डॉग लवर हैं। वह बताती हैं कि कोरोना काल में उन्हें शहर से बाहर कहीं जाना था। इस बीच उन्हें परेशानी आई कि कुत्ते को कहा छोड़कर जाऊं। संबंधियों व रिश्तेदारों से मदद मांगी तो कोई भी कुत्ते को रखने के लिए तैयार नहीं हुआ। यहीं से उनको आइडिया आया और कुछ ही हफ्तों में उन्होंने आइडिया को हकीकत में बदल लिया। घर को ही चार भागों में बांट चार कुत्तों को रखने की व्यवस्था की है।
कुत्ते रखने से पहले लेती है पूरी जानकारी
हर नस्ल के कुत्ते का व्यवहार अलग-अलग होता है। उनका रहने-सहने व खाने-पीने का तरीका भी अलग होता है इसलिए कोमल के पास जो भी कुत्ता आना होता है उसके बारे में वह पूरी जानकारी उसके मालिक से लेती हैं फिर उसी हिसाब से उन्हें अपने पास रखती हैं।
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प्रति डॉग 5 सौ रुपये रोजाना चार्ज
कोमल ने अपने हास्टल में कुत्तों के लिए ट्रेनर भी रखे हैं। उनका कहना है कि कई बार ऐसे कुत्ते आ जाते हैं जो संभालने मुश्किल होते हैं। उनके लिए वे ट्रेनर को बुलाती हैं। पहले पहल आई परेशानी कमल मेहता ने बताया कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया तब कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। कई कुत्तों के बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी नहीं थी इसलिए संभालने में दिक्कत हुई। बाद में उनके व्यवहार को जानने के लिए किताबें पढ़ीं। इंटरनेट पर स्टडी की। ट्रेनरों से भी जानकारी हासिल की। उन्होंने बताया कि कुत्ते बहुत जल्दी माहौल को समझ जाते हैं वह उस में ढल जाते हैं। फिलहाल, प्रति डॉग रोजाना का 500 रुपये चार्ज लिया जाता है।