पिता को हुआ कैंसर तो डॉक्टर के कहने पर शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग Jalandhar News
पिता को कैंसर हो गया तो डॉक्टर ने उनकी खुराक के लिए ऑर्गेनिक उत्पादों को ही जरूरी बताया। डॉक्टर की इस सलाह ने संदीप शर्मा को ऑर्गेनिक खेती ही शुरू करने पर मजबूर कर डाला।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। पिता को कैंसर हो गया तो डॉक्टर ने उनकी खुराक के लिए ऑर्गेनिक उत्पादों को ही जरूरी बताया। ऑर्गेनिक उत्पाद आएंगे कहां से? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर ने संदीप शर्मा को ऑर्गेनिक खेती ही शुरू करने पर मजबूर कर डाला। डॉक्टर ने संदीप शर्मा को कहा था कि खाने में मिले इस जहर की वजह से ही कैंसर फैल रहा है। पिता का तो इलाज करवा रहे हो, लेकिन अगर खुद, अपने करीबियों एवं अपने समाज के लिए कुछ करना चाहते हो तो खाने में मिल रहे जहर को खत्म करवाने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू करवाओ।
इलाज के बावजूद कैंसर से जूझ रहे संदीप के पिता का निधन हो गया। उनके निधन के बाद संदीप शर्मा ने ऑर्गेनिक फार्मिंग को ही प्रफुल्लित करने के लिए लक्ष्य निर्धारित कर लिया। जालंधर में रहते संदीप शर्मा ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय चला रहे हैं, लेकिन नूरमहल ब्लॉक के गांव बतूरा में उनकी अपनी अच्छी खासी कृषि योग्य जमीन भी है। शर्मा परिवार इस जमीन पर परंपरागत खेती करवा रहा था।
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शुरुआत में हुई फसलें खराब, लोगों ने उड़ाया मजाक और मंडी में नहीं मिला भाव
वर्ष 2013 में संदीप ने चार एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक खेती शुरू करवा दी। पहले तीन साल तो उपज लेने के लिए संघर्ष में ही बीत गए। कई फसलें खराब हुई। लोगों ने मजाक उड़ाया, मंडी में खरीदार नहीं मिला तो आधे पौने भाव पर ही फसल बेचनी पड़ी। लोगों ने ऑर्गेनिक फार्मिंग के कंसेप्ट से हट जाने तक की सलाह दे डाली, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2016 से प्रोफेशनल तरीके से ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपना लिया। पॉलीहाउस भी तैयार करवाए। अब सीजन की प्रत्येक सब्जी ऑर्गेनिक तरीके से अपने खेत में लगाते हैं। ऑर्गेनिक खीरे और खरबूजे की काश्त में तो नूरमहल इलाके में पहचान ही बन चुकी है।
फसल पर नहीं डालते कोई दवाई, देसी तरीके से ही होता है बीमारियों पर कंट्रोल
बीते छह वर्ष से संदीप ने अपने चार एकड़ ऑर्गेनिक फार्म पर किसी ¨सथेटिक दवाई अथवा खाद का उपयोग नहीं किया है। कच्ची लस्सी में पीतल और गोमूत्र में नीम, अक्क, ¨रड और भांग के पत्तों के मिश्रण को उबालकर इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड तैयार कर लिए। ऑर्गेनिक फार्म पर इस देसी तरीके से तैयार की गई स्प्रे के ड्रम भर कर रखे गए हैं और जरूरत पड़ने पर दो लीटर में पानी मिलाकर इनका स्प्रे फसलों पर करवाया जाता है फसलें लहलहा रही हैं और ऑर्गेनिक उत्पाद को लेकर संदीप की अलग पहचान भी बना रही हैं।
उगा रहे गेहूं की बंसी वैरायटी और धान की फसल पर भी देसी स्प्रे
परिवार के पास कृषि योग्य जमीन तो कई एकड़ थी जिसमें से मात्र चार एकड़ पर ही ऑर्गेनिक फार्मिंग संदीप ने शुरू करवाई थी लेकिन देसी तरीके से तैयार की गई खाद के नतीजे देखकर अब बाकी धान की फसल के ऊपर भी संदीप इसी देसी खाद की सफाई करवाते हैं। गेहूं भी देसी वैरायटी की बंसी किस्म ही उगाई जा रही है।
अब फिनिश्ड ऑर्गेनिक उत्पाद तैयार करने में जुटे
बिना जहरीली दवाओं के छिड़काव से तैयार गन्ने से गुड़ और गुड़ से शक्कर, सरसों और सरसों का तेल और यह सब बोतल में बंद। ऑर्गेनिक फार्मिंग में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए संदीप फिनिश्ड ऑर्गेनिक उत्पाद उपलब्ध करवाने की कवायद में जुट चुके हैं। उनकी बिक्री हाथों-हाथ हो रही है।
ऑर्गेनिक के नाम पर न हो जालसाजी, सरकार करवाए लेबोरेटरी एवं मंडी की व्यवस्था
ऑर्गेनिक के नाम पर उपभोक्ताओं से कई लोग बाजार में जालसाजी भी कर रहे हैं संदीप का तर्क है कि सरकार को ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए एक विशेष लेबोरेटरी की व्यवस्था करनी होगी, ताकि बाजार में बिक्री से पहले यह टेस्ट कर लिया जाए कि सब्जियों अथवा फलों में कोई सिंथेटिक दवाई तो नहीं मिली हुई है। फसल के ऊपर जहर युक्त स्प्रे तो नहीं किया गया है। संदीप का कहना है कि सरकार को ऑर्गेनिक फार्मिंग करने वाले किसान सर्टिफाइड करनें चाहिए और उनके लिए अलग मंडी की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि मौजूदा मंडियों में तो ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए न तो कोई अलग भाव है और न ही मंडी में खरीदार ऑर्गेनिक उत्पादों को ही भाव देते हैं।