किसान लग्जरी बसों में बिहार से पंजाब ला रहे श्रमिक, धान रोपाई के लिए दे रहे मुुंहमांगी रकम
पंजाब में किसान धान की रोपाई के लिए लग्जरी बसों में श्रमिकों को बिहार से ला रहे हैं। वे श्रमिकों को मुंहमांगी रकम दे रहे हैं।
लुधियाना/फतेहगढ़ साहिब [डीएल डॉन/सुखवीर सुख]। पंजाब में दो दिन बाद धान की रोपाई शुरू होने जा रही है, लेकिन श्रमिकों की कमी के कारण किसानों के माथों पर चिंता की लकीरें खिंचनी शुरू हो गई हैं। कोरोना के कारण लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान लाखों श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों में अपने घर चले गए हैैं। अब किसान श्रमिकों को मोटे पैसे खर्च कर उन्हें ला रहे हैैं और मुंहमांगी कीमत भी दे रहे हैैं।
मोटे पैसे खर्च कर मुंहमांगी कीमत पर धान की रोपाई के लिए लाया जा रहा श्रमिकों को
दरअसल कोरोना वायरस के कारण श्रमिक अपने अपने गृह राज्यों को लौट गए हैं। ऐसे में सूबे के किसानों को धान की रोपाई के लिए श्रमिकों की किल्लत झेल रहे हैं। इसलिए श्रमिकों को उनके गांवों से लाने के लिए जिले के कई किसानों ने मिलकर एसी बसें व टेंपो श्रमिकों को लाने भेजे हैं।
श्रमिक अपने मुंहमांगे रेट पर लौटने को तैयार हुए हैं। वर्ष 2019 में प्रति एकड़ 2500 से 3000 रुपये का रेट चल रहा था, जबकि इस बार श्रमिक 5000 से 5500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पैसे मांगे रहे हैं। किसानों ने श्रमिकों को उनके गांवों सीतामढ़ी के गांव सिरसीआ, मदारीपुरी, रामपुर, पुपरी, बाजपट्टी, ललबंदी, बेथहा आदि से लाने के लिए बसें भेजी हैं।
रामबिहारी, तमन्ना, इरशाद, गुड्डू, अंकित, फैजल आदि श्रमिकों ने बताया कि पंजाब से दो एसी बस भेजी गई हैं। अब तक एक टेंपो से श्रमिक लुधियाना पहुंच गए हैं और दो लग्जरी बसों से करीब 60 श्रमिक अभी रास्ते में हैं। उनके सोमवार तक लुधियाना पहुंचने की संभावना है।
इस संबंध में किसानों का कहना है कि बिहार से श्रमिकों को फोन करके बात पक्की करके उन्हें लाने के लिए खुद यहां से वाहन भिजवा रहे हैं। श्रमिक लाने और वापस छोडऩे की शर्त पर ही पंजाब आने को तैयार हुए हैं। गांव रजबाड़ा में किसान जसविंदर सिंह ने कहा कि स्थानीय लेबर ज्यादा पैसे मांग रही है। इसलिए गांव के किसान बिहार से लेबर को ला रहे हैं। रोपाई के बाद उन्हें दोबारा बिहार छोड़ा जाएगा।
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बिहार के मोतिहारी जिले से 11 मजदूरों को लाने के लिए खर्च किए 70 हजार
फतेहगढ़ साहिब जिले में भी ऐसे कई किसान हैं जो लेबर को बसें, टैपों ट्रैवलर व ट्रकों से पंजाब ला रहे हैं। जिले के गांव लाडपुरी के किसान जरनैल सिंह भी इन किसानों में से एक है। उन्होंने लगभग 70 हजार रुपये खर्च कर बिहार के मोतिहारी जिले से 11 मजदूर धान की रोपाई के लिए लाए है। बकौल जरनैल सिंह वह लगभग 35-40 किले खेती करते है। लेबर को वापस लाने के लिए उन्होंने एक ट्रैवलर से संपर्क किया। जिसे तीन दिन का पास मिला और मजदूरों को लेने के लिए बिहार निकल पड़ा। मोतिहारी जिले से 11 मजदूरों को लेकर वह शनिवार देर शाम यहां पहुंचा। मजदूरों को गांव में ले जाने की जगह मोटर पर बने कमरे में क्वारंटाइन किया गया।
20 रुपये किमी के हिसाब से लिए पैसे
किसान जरनैल सिंह ने बताया कि ट्रैवलर ड्राइवर ने उनसे 20 रुपये किलोमीटर के हिसाब से पैसे लिए। गांव लाडपुरी से मोतिहारी तक करीब 2820 किमी लंबे सफर के उन्होंने 56,400 रुपये दिए। इसके अलावा टोल टैक्स के 7 हजार रुपये, बिहार में मेडिकल चेकअप के दो हजार अलावा कुछ अन्य खर्च कर लगभग 70 हजार रुपये में 11 मजदूर धान की रोपाई के लिए लाए।
लोकल लेबर में स्किल की कमी
जरनैल सिंह ने बताया कि पहले तो लोकल लेबर धान की रोपाई का काम करती ही नहीं है। जो कोई भी यह काम करता है तो वह अधिक पैसे की मांग कर रहा है। इसके अलावा उनमें स्किल की बहुत कमी है। जिस कारण वह इन पर भरोसा नहीं कर सकते।
सबके ले रहे सैंपल : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. एनके अग्रवाल ने बताया कि जो लेबर बाहर से किसान लेकर आ रहे हैं उनका चेकअप कर सैंपल लिए जा रहे हैं। अगर रिपोर्ट नेगेटिव भी आती है तो भी उन्हेंं कुछ दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जा रहा है।
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सावित्री प्लाइवुड के 32 मजदूर फैक्टरी मालिक ने अपने खर्च पर वापस बुलाए
होशियारपुर। चाहे सरकार मजदूरों को अपने गांव में पहुंचाने व वहां से लाने के लाख दावे करे, परंतु पर्दे के पीछे की सच्चाई दावों के कोसों दूर है। मजदूरों को लाने ले जाने के लिए मिल मालिक खर्च कर रहे हैं लेकिन क्रेडिट सरकार व उसके नुमाइंदे ले रहे हैं। इसकी ताजा तस्वीर गत दिवस बिहार के किशनगंज से होशियारपुर लौटे 32 प्रवासी मजदूरों को देखकर सामने आई।
सावित्री प्लाइवुड मिल में काम करने वाले इन वर्करों को उनके मालिक मुकेश कुमार ने पीआरटीसी की बस किराये पर भेज कर गांव से मंगवाया और इसके लिए उन्होंने रोडवेज विभाग को एक लाख 20 हजार रुपये किराया भी दिया। जैसे ही मजदूर होशियारपुर पहुंचे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई और प्रशासनिक अधिकारी भी उन प्रवासी मजदूरों के स्वागत के लिए फूल मालाएं लेकर पहुंच गए।
सुविधा के नाम पर मिला पास व मेडिकल जांच
फैक्टरी के मालिक मुकेश कुमार ने बताया कि उन्हें मजदूर वापस लाने में प्रशासन व सरकार ने बहुत मदद की है। पूछे जाने पर क्या मदद हुई तो उन्होंने बताया कि एक तो बस का पास जारी होशियारपुर से हुआ था ताकि किसी प्रकार की परेशानी रास्ते में न हो दूसरा मजदूरों का आते ही सिविल अस्पताल में मेडिकल किया गया। जो अपने आप में प्रशासन की व्यवस्था पर बड़ा सवाल है कि दावों के उल्ट जमीन हकीकत क्या है।
फैक्टरी में ही क्वारंटाइन
मुकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने 32 मजदूरों को काम के लिए वापस गांव से होशियारपुर बुलाया है और अब सभी के सभी मजदूर फैक्टरी में क्वारंटाइन किए गए हैं।
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आठ लाख मजदूर अब भी पंजाब में : कैप्टन
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब के 13 लाख प्रवासी मजदूरों में से पांच लाख से कम मजदूर ही राज्य छोड़ कर गए थे। आठ लाख श्रमिक अब भी राज्य में हैं। राज्य में स्थानीय मज़दूर भी हैं। किसी भी हालत में किसानी व औद्योगिक इकाइयों को कोई समस्या नहीं आएगी। कृषि विभाग पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ सहयोग से बड़े स्तर पर धान की सीधी बिजाई करवाने में जुटे हैं। बड़ी संख्या में श्रमिक पंजाब लौटना चाहते हैं। कई उद्योगपति व किसान उनको वापस लाने के लिए खुद प्रबंध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ये बातें फेसबुक लाइव पर मजदूरों की कमी के कारण धान की रोपाई में आ रही मुश्किलों पर पूछे गए सवालों के जवाब में कहीं।