33 साल पहले 'एनकाउंटर' में मारे गए थे 4 सिख युवक, परिजनों ने इंसाफ की गुहार लगाई
2 फरवरी 1986 को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्वरूप को शरारती तत्वों ने आग लगा दी थी। इसके विरोध में सिख भाईचारे ने रोष मार्च निकाला था। इसी दौरान पुलिस ने गोली चला दी थी।
जागरण संवाददाता, जालंधर। नकोदर में 33 साल पहले 4 फरवरी, 1986 को 4 सिख युवकों की कथित एनकाउंटर में हत्या कर दिए जाने के मामले में उनके परिवारों ने सरकार से इंसाफ की गुहार लगाई है। पीड़ित परिवारों ने कहा कि उक्त मामले में 2001 में जस्टिस गुरनाम सिंह जांच कमिशन की रिपोर्ट को चोरी छुपे विधानसभा में पेश किया गया था। यह रिपोर्ट आज तक लोगों के सामने नहीं आ पाई। हाल ही में यह रिपोर्ट सामने आने के बाद उन्होंने कैप्टन सरकार से अपील की है कि वह मामले में उक्त रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करें और उन्हें इंसाफ दिलाएं।
पीड़ित परिवार ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर भी सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने सवाल किया कि तत्कालीन सरकार ने चोरों की तरह उक्त रिपोर्ट 2001 में विधानसभा में क्यों पेश करवाई। बता दें कि नकोदर के गुरुद्वारा साहिब में 2 फरवरी 1986 को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पांच स्वरूप शरारती लोगों द्वारा जलाए जाने के विरोध में सिख भाईचारे ने शांतिपूर्वक ढंग से 4 फरवरी 1986 को रोष मार्च निकाला था। इस दौरान पुलिस ने रोष प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चला दी थी। इस घटना में 4 सिख युवक रविंद्र सिंह, बलधीर सिंह, झिलमन सिंह और हरमिंदर सिंह की मौत हो गई थी।
मंगलवार को स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित एनकाउंटर में मारे गए चारों युवकों के परिजन पहुंचे। उन्होंने इंसाफ की मांग की। उन्होंने कहा कि अकाली दल की सरकार के समय हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। मामले में जो कमीशन की रिपोर्ट आई वह भी अकाली दल की सरकार के समय आई थी। इस कारण इस रिपोर्ट को लोगों के सामने नहीं आने दिया गया। अब कांग्रेस सरकार के दौर में पंजाब पुलिस में एसएसपी रहे चरणजीत सिंह शर्मा और आईजी परमराज सिंह उमरानंगल को गिरफ्तार किया जा चुका है तो नकोदर में हुए हत्याकांड के जिम्मेवार रहे पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी केस दर्ज किए जाएं।
जस्टिस गुरनाम सिंह कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई से क्यो डर रही सरकार
पीड़ित परिवार ने मांग रखी की जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाए। उन्होंने कहा कि कि उन्हें यह जान के बड़ा दुख लगा कि 2001 में जब यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई तो इस रिपोर्ट को चोरों की तरह छुपा दिया गया। साल 2001 में रिपोर्ट पेश की गई तो उस समय पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल थे । इस रिपोर्ट में पंजाब पुलिस के अधिकारियों की ओर उंगली उठती है, लेकिन उस समय के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने कोई एक्शन नहीं लिया और ना ही दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की । उल्टा प्रकाश सिंह बादल ने नकोदर में हुए हत्याकांड के दोषी पुलिस अधिकारी अपने दल में शामिल कर लिए। उनको बड़े अधिकारिक पद देख कर उन्हें और मजबूत कर दिया। पीड़ित परिवारों ने कहा कि पंजाब के लोग आज यह सवाल पूछ रहा है कि उक्त हत्याकांड के आरोपी रहे और और जस्टिस गुरनाम सिंह जांच कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकारें कार्रवाई करने से क्यों डर रहे हैं
मृतक रविंद्र सिंह के पिता बलदेव सिंह ने कहा कि 1986 में जालंधर के एसएसपी इजहार आलम थे और डिप्टी कमिश्नर दरबारा सिंह गुरु थे। इनके पास मजिस्ट्रेट की सारी शक्ति थी। इन दोनों अधिकारियों को प्रकाश सिंह बादल ने अकाली दल में शामिल करके अपनी पार्टी की टिकट दी थी। बड़े बादल साहिब स्पष्ट करें कि उन्होंने उक्त दोषियों को खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर दरबारा सिंह बताएं कि उन्होंने निहत्थे सिख युवकों पर गोली किसके आदेश पर चलाई थी।
पुलिस ने बच्चों का संस्कार तक नहीं करने दिया था
बलदेव सिंह ने बताया कि उनके परिवार के साथ उस समय बड़ा धक्का किया गया था। नौ सिख जवानों की लाशों को पहचानने के बावजूद पुलिस ने इन लाशों को अननोन डिक्लेअर करके परिजनों को इन्हें नहीं सौंपा था। खुद ही इनका संस्कार कर दिया था। पुलिस के कारण वे इतने बदनसीब हुए कि वह अपने बच्चों का संस्कार भी नहीं कर पाए।