मानसिक तनाव बांट रहा शूगर, एक्सपर्ट ने दी एनपीएच इंसुलिन व पंप प्रयोग करने की सलाह
नेशनल साइंस कांग्रेस में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैंप्टन के प्रो. रिचर्ड आईएच हाल्ट ने शूगर रोगियों को एनपीएच इंसुलिन व पंप का प्रयोग करने की सलाह दी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। देश में हर दूसरा आदमी मानसिक तनाव में है। मानसिक तनाव का स्तर बढऩे से शरीर में हार्मोन गड़बड़ाने से शूगर का लेवल भी बढऩा शुरू हो जाता है। ये जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैंप्टन यूके से शुगर रोगों के माहिर प्रो. रिचर्ड आईएच हाल्ट ने इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने के लिए आए लोगों को एक सेमिनार के दौरान दी। उन्होंने बीमारी पर काबू पाने के लिए एनपीएच इंसुलिन व पंप का प्रयोग करने की सलाह दी। इसकी खुराक भी सप्ताहिक है।
उन्होंने बताया कि इसी वजह से हाई ब्लड प्रेशर के मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं। पूरी दवा का सेवन करने की वजह से मरीजों की दयारा बढऩे के साथ दिल व किडनी के रोगों में इजाफा हो रहा है। वहीं पुरानी दवाइयां भी बेअसर साबित होने लगी हैं। उन्होंने बताया कि शूगर का इलाज करने के लिए 1921 में पहली बार इंसुलिन की खोज हुई थी। पुरानी तकनीक से तैयार इंसुलिन भी मरीजों पर असर कम करने लगी है। नतीजतन मरीजों की तादाद 60 मिलियन तक पहुंच चुकी है। अगले दस साल में दोगुणी होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि इलाज में लापरवाही के चलते डायबिटिक फुट की वजह से टांग काटने की नौबत आ रही है वहीं आंखों की रोशनी भी कम होने लगती है। उन्होंने मरीजों को बिना तनाव के ङ्क्षजदगी जीने की राह पर चलकर बीमारी से लडऩे की सलाह दी।
मरीजों के लिए वरदान है आधुनिक पंप
डॉ. हाल्ट ने बताया कि शुगर के ईलाज के लिए आधुनिक तकनीक से दवाइयां वरदान साबित हो रही हैं। इंजेक्शन जीएलपी -1 एगोनिस्ट जो मरीज को सप्ताह में एक ही बार लगाना पड़ता है। इस वजह से कई मरीजों की इंसुलिन बंद हो जाती है। इसकी कीमत चार से पांच रुपये के करीब प्रति इंजेक्शन है। लो ग्लूकोज सस्पेंड पंप बच्चों में शुगर की बीमारी में इलाज के लिए संजीवनी है। बच्चों में शुगर कम होने पर पंप अपने आप पहले ही बंद हो जाता हैं। जरूरत पडऩे पर दोबारा चलने से शुगर के लेवल को बरकरार रखता है। पहले पंप की कीमत दो लाख रुपये है। अब आधुनिक तकनीक से लैस पंप की कीमत बढ़कर पांच लाख रुपये हो गई हैं। दोनों ही पंप 8-10 साल तक चलते हैं।
शुद्ध खाद्य पदार्थ भी कम करते हैं मरीजों का दर्द
निम्नस्तरीय व मिलावटी खाद्य पदार्थों की वजह से शुगर से होने वाली शरीरिक परेशानियों का दायरा बढ़ रहा है। केमिकल व खादों से तैयार होने वाली सब्जियां व फल, दूध, आटा, दालें व अन्य खाद्य पदार्थों की वजह से पैनक्रियाज के कैंसर व हार्ट फेल्यूर के केसों में तेजी इजाफा होने लगा है। उन्होंने मरीजों को स्वच्छ खाना खाने, जीवनशैली में सुधार करने तथा आधुनिक दवाइयों से बीमारी पर काबू पा कर लंबी ङ्क्षजदगी जीने की सलाह दी।
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