पेंशन में समानता तो मिली नहीं, दवा भी मिलनी हुई बंद
पूर्व सैनिक केंद्र सरकार द्वारा घोषित बजट से खुश नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर : पूर्व सैनिक केंद्र सरकार द्वारा घोषित बजट से खुश नहीं हैं। पूर्व सैनिकों का तर्क है कि उन्हें तो बजट में यह पता ही नहीं चल पाया कि सरकार उनके बारे में कहीं सोच भी रही है अथवा नहीं। पूर्व सैनिकों को इस बात का मलाल है कि बजट में पूर्व सैनिक कहीं शामिल ही नहीं किए गए हैं। पूर्व सैनिक सरकार पर नजरअंदाजी के अलावा वादाखिलाफी करने का आरोप लगा रहे हैं।
एक्स सर्विसमैन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) बलबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों को अब कम से कम इस सरकार से तो कोई उम्मीद नहीं है। पूर्व सैनिक अपनी तरफ से कुछ नहीं मांग रहे थे। सरकार ने ही वादा किया था कि बीती जुलाई 2019 में पेंशन में समानता ला दी जाएगी। लेकिन सरकार ने अपना वादा वफा नहीं किया। वर्ष 2014 में सरकार ने ही वादा किया था कि पांच साल बाद पेंशन में समानता ला दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। सरकार ने तो रेड्डी कमीशन की सिफारिशों तक को ही बाहर नहीं आने दिया। लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) बलबीर सिंह ने कहा कि सरकार इस बात को भूल रही है कि पूर्व सैनिकों के साथ इस तरह का व्यवहार सेवारत सैनिकों के ऊपर भी नकारात्मक असर डाल रहा है।
वहीं, लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) विजय कुमार ने कहा कि शायद केंद्र सरकार ने यह बजट पूर्व सैनिकों को सोच में लाए बिना ही तैयार किया था। यही वजह रही है कि पूर्व सैनिकों को लेकर सरकार ने बजट में प्रावधान करना तो दूर उल्लेख तक नहीं किया। लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) विजय कुमार ने कहा कि बुढ़ापे में आकर किसी भी व्यक्ति को डॉक्टर तथा दवाई की जरूरत रहती है। मौजूदा केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को इस सुविधा से भी वंचित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि एंप्लाइज कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) के तहत डॉक्टर तो उपलब्ध करवा दिए गए हैं, लेकिन दवाई के लिए आधा बजट भी जारी नहीं किया जाए रहा है। नतीजा यह निकला है कि ईसीएचएस क्लीनिक्स में पर्याप्त दवा नहीं मिल पा रही है। क्लीनिक्स में बैठे डॉक्टर उपलब्ध दवाइयों से ही आधा अधूरा उपचार करवाने में सक्षम हैं।