शहर दरबारः दिल्ली के नतीजों से सब खुश, लड्डू कर रहे नेताओं का गम हलका
कांग्रेस इसलिए खुश है क्योंकि भाजपा को लगातार राज्यों में हार का सामना करना पड़ा। रही भाजपा की बात तो दिल्ली में बुरी हार के बावजूद इसलिए खुश है क्योंकि कांग्रेस को जीरो मिला।
जालंधर, जेएनएन। बेशक आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 'हूंजा फेर जित्त' दिल्ली में हासिल की है परंतु उसकी खुशी पंजाब में ज्यादा देखने को मिल रही है। आम आदमी पार्टी की खुशी तो बनती है क्योंकि दिल्ली में तीसरी बार सरकार बना रहे हैं और वह भी प्रचंड बहुमत से। इससे पंजाब के वर्करों का खुश होना स्वभाविक है। उन्हें अब पंजाब में वापसी की उम्मीद हो गई है। कांग्रेस इसलिए खुश है क्योंकि भाजपा को लगातार राज्यों में हार का सामना करना पड़ा। जालंधर के यूथ कांग्रेस के नेताओं ने तो दिल्ली में भाजपा की हार पर लड्डू बांटकर अपने सफाए का गम गलत किया। रही भाजपा की बात तो दिल्ली में बुरी हार के बावजूद इसलिए खुश है क्योंकि कांग्रेस को जीरो मिला। इससे भाजपा नेताओं का गम भी कुछ कम हुआ है। सोशल मीडिया पर भाजपा ने कांग्रेस की हार को उछालकर गम हलका किया है।
एक्टिव मोड में आए आप नेता
आम आदमी पार्टी कि दिल्ली विस चुनाव में जीत के बाद आप पंजाब के सुस्त पड़े नेताओं-कार्यकर्ताओं में करंट दौडऩे लगा है। जिन नेताओं ने पिछले दो साल से चुप्पी साधी हुई थी वह अब एक बार फिर से राजनीति का राग अलापने लगे हैं। दो साल से साइलेंट मोड में चल रहे नेता एकाएक से एक्टिव मोड में आ गए हैं और अगली सरकार बनाने के दावे करने लगे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में पंजाब में विपक्षी पार्टी बनने के बावजूद आम आदमी पार्टी के वर्करों के तेवर ठंडे थे। दो साल पहले नगर निगम चुनाव में सफाए के बाद तो लोकसभा चुनाव में आप नेता सिर्फ खानापूर्ति करते ही नजर आ रहे थे। जो नेता चुनाव के बाद से बैठे थे वह दावा कर रहे हैं कि केजरीवाल मॉडल से पंजाब में वापसी करेंगे। इनकी मैं हूं आम आदमी वाली टोपी भी बाहर आ गई है।
कमिश्नर साहब कब जा रहे हैं
नगर निगम के मुलाजिमों को कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा की ट्रांसफर का इंतजार है। उनके झारखंड में डेपुटेशन पर जाने की चर्चा है। जब से दीपर्वा लाकड़ा ने कमिश्नर का चार्ज संभाला है तब से मुलाजिमों की दौड़ लगी हुई है। लाकड़ा हार्ड वर्कर माने जाते हैं और उनका काम करने का शेड्यूल ऐसा है कि बड़े बड़ों के पसीने निकल जाते हैं। वह सुबह छह बजे भी चेकिंग के लिए निकल पड़ते हैं तो रात तक रोड स्वीपिंग मशीन की जांच भी करते हैं। किस काम के लिए कब कहां निकल जाएं यह उनकी आदत में शामिल है। साथ काम करने वाले मुलाजिम तो परेशान हैं ही सभी विभागों को भी एक्टिव रहना पड़ता है। ट्रांसफर की चर्चा बनी है तो मुलाजिमों को राहत की सांस आने लगी है। मुलाजिम किसी मीडिया कर्मी से मिलते हैं तो पहला यही सवाल होता है-कमिश्नर साहब कब जा रहे हैं?
स्मार्ट सिटी से विधायकों को आस
विधानसभा चुनाव के लिए सिर्फ दो साल का समय रहने से विधायकों की घबराहट बढ़ गई है। अभी तक शहर में कोई ऐसा काम नहीं हो पाया है जिसके दम पर अपनी अगली चुनावी रणनीति तय कर सकें। जनता से वोट मांगने का आधार तैयार करना जरूरी है इसलिए पूरा फोकस अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर कर लिया है। विधायक बने तीन साल हो गए हैं लेकिन विधायकों ने अब जाकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का पीछा करना शुरू किया है। अगर इस पर पहले ही काम कर लेते तो अब तक काफी कुछ ग्राउंड लेवल पर आ सकता था। स्मार्ट सिटी में बड़े प्रोजेक्ट््स हैं जिससे शहर की सूरत बदल सकती है। फंड की भी कमी नहीं है इसलिए नगर निगम के कई प्रोजेक्ट भी इसमें डाल दिया गए हैं। लोकसभा चुनाव में खो चुकी जमीन को स्मार्ट सिटी से पाने की कोशिश है।