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ई-आफिस से पेपरलैस होगा नगर निगम, रिकार्ड सुरक्षित रहेगा और गड़बड़ियां भी रुकेंगी

नगर निगम कार्यालय अब पूरी तरह से पेपरलेस होगा। इसे ई-आफिस का नाम दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 11:35 PM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 11:35 PM (IST)
ई-आफिस से पेपरलैस होगा नगर निगम, रिकार्ड सुरक्षित रहेगा और गड़बड़ियां भी रुकेंगी
ई-आफिस से पेपरलैस होगा नगर निगम, रिकार्ड सुरक्षित रहेगा और गड़बड़ियां भी रुकेंगी

जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम कार्यालय अब पूरी तरह से पेपरलेस होगा। इसे ई-आफिस का नाम दिया गया है। निगम की सभी ब्रांचों को अपना काम डिजिटलाइज करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अब किसी भी काम की मंजूरी के लिए पेपर की फाइल आगे करने के बजाय पूरी प्रक्रिया साफ्ट कापी (कंप्रूटराइज्ड फाइल) के जरिए होगी। किसी भी काम की मंजूरी के लिए फाइल को ईमेल के जरिए ही फारवर्ड करनी होगी। इसके लिए नगर निगम नेशनल इंफार्मेटिक्स (एनआईसी) के डेवलप किए गए साफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगा। यह साफ्टवेयर पंजाब सरकार के कई विभागों में इस्तेमाल हो रहा है और इसके नतीजे अच्छे आए हैं। लोकल बाडी डिपार्टमेंट ने अभी तक इस साफ्टवेयर को नहीं अपनाया था लेकिन अब राज्य में सभी नगर निगमों, नगर कौंसिलों को इसके आदेश दे दिए गए हैं। नगर निगम कमिश्नर दीपशिखा शर्मा ने अधिकारियों और कर्मचारियों को पूरा काम आनलाइन करने के निर्देश दिए हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान पंजाब सरकार के कई विभागों ने इस सिस्टम को अपनाया और अधिकारियों व कर्मचारियों ने बिना मिले काम निपटाए। सिस्टम के सफल रहने पर अभी सभी विभागों के लिए ई-आफिस सिस्टम को अपनाना जरूरी कर दिया है। इन सिस्टम के तहत बीएंडआर, बिल्डिंग ब्रांच, हेल्थ ब्रांच, अकाउंटस एवं अन्य ब्रांच में काम में सुधार होगा।

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सिस्टम ऐसे करेगा काम

उदाहरण के तौर पर एक सड़क का निर्माण किया जाना है तो इसकी शुरुआत एस्टीमेट से होगी। जूनियर इंजीनियर इसका एस्टीमेट तैयार करके एसडीओ को आनलाइन सबमिट करेगा। एसडीओ जांच के बाद एक्सईएन, एक्सईएन जांच के एसई और फिर एसई ज्वाइंट कमिश्नर और कमिश्नर को आनलाइन फाइल भेजेगा। अगर काम बड़ा होगा तो मंजूरी के लिए यह फाइल चंडीगढ़ में अफसरों को भी आनलाइन ही भेजी जाएगी।

------- ठेकेदार और पार्षदों के हाथ में नहीं रहेगी अब फाइल

नगर निगम का रिकार्ड अभी तक सुरक्षित नहीं रहा है और कई बार फाइलें गुम भी हुई हैं। टेंडर, एस्टीमेट, भुगतान, चालान, कानूनी कार्रवाई से संबंधित फाइलें और कई विभागों का रिकार्ड ठेकेदारों, कर्मचारियों, पार्षदों के हाथों में घूमता रहा है। अब रिकार्ड डिजिटलाइज होने से ठेकेदारों और पार्षदों के हाथों में यह रिकार्ड नहीं जाएगा। अमूमन ठेकेदार और पार्षद अपनी फाइलें पास करवाने के लिए एक कक्ष से दूसरे कक्ष तक खुद ही पहुंचाते हैं और जब तक आखिरी मंजूरी नहीं होती तब तक फाइलों को अपने पास रखते हैं। ऐसे में नगर निगम का रिकार्ड सुरक्षित नहीं रहता है।

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स्टाफ को करना होगा प्रशिक्षित

नगर निगम में इस सिस्टम को लागू करने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा। कंप्यूटर नेटवर्किंग पर जोर देना होगा। बड़ी गिनती में कर्मचारी ऐसे भी हैं तो कंप्यूटर की पूरी जानकारी नहीं रखते। इन सभी को प्रशिक्षण देना होगा। निगम में कई कर्मचारी रिटायरमेंट की उम्र के नजदीक हैं और उन्हें नए सिस्टम में ढालना आसान नहीं होगा।

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यह मिलेगा फायदा

- पेपरलैस होने से वातारवरण संरक्षित होगा।

- रिकार्ड हमेशा के लिए सुरक्षित होगा।

- डाटा हर स्टेप पर अपडेट होता रहेगा।

- रिकार्ड प्राइवेट लोगों के हाथ में नहीं रहेगा।

- फाइलों में रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकेंगे।

- निगम के काम में गड़बड़ियां करना असंभव हो जाएगा।

- फाइलों को किसी भी स्तर पर रोकना संभव नहीं होगा

- काम में तेजी आएगी।

- नगर निगम का खर्च कम होगा।


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