दुश्मन किसी भी भाषा का प्रयोग करे, हमारे सैनिक सब समझ लेंगे
दुश्मन अब कैसी भी भाष बोले या उसका इस्तेमाल करे हमारे सैनिक उसके आसानी से समझ लेंगे।
जालंधर, [सत्येन ओझा]। अश्वत्थामा मारा गया, महाभारत के युद्ध में कहकर गुरु द्रोण को भ्रमित किया गया, इसके आगे 'किंतु हाथी' शब्द धीमे बोले गए जिसे गुरु द्रोण के कान सुन नहीं सके। परंतु अब दुश्मन चाहे कितनी भी धीमी आवाज में बोले, जिस भी भाषा में बोले, हमारे सैनिक सब समझ और सुन पाएंगे।
सिग्नल कोडिंग व डी कोडिंग में भारतीय वैज्ञानिकों ने हासिल की महारत, 20-20 दिया तकनीक को नाम
जी हां, क्योंकि भारत के वैज्ञानिकों ने अब सिग्नल कोडिंग और डी कोडिंग में ऐसी महारत हासिल कर ली है कि दुश्मन के आगे देश के सैनिक आपस में कितनी भी तेज आवाज में कोड में बात करें, लेकिन दुश्मन उसका मतलब नहीं समझ पाएगा। परंतु दुश्मन जिस भाषा में बोलेगा, जितना भी धीमे बोलेगा। उसके सिग्नल कैच कर हमारी सेना उसे समझ लेगी।
नई तकनीक के कारण आतंकवादी भी पकड़ में आने लगे
इंडियन साइंस कांग्रेस के चौथे दिन 'फिजिकल साइंसेज एक्सप्लोरिंग द वे इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी' विषय पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने भारत में विकसित इस तकनीक-20-20 पर अपना व्याख्यान दिया। अलीगढ़ से पहुंचे प्रो. आरके उपाध्याय ने स्पीच टेक्नोलॉजी बाई 20-20 पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ जब समझौता वार्ता के लिए भारत आए थे, तब पहली बार पाकिस्तान से आए एक संदेश को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक पीके सक्सैना ने डी कोड कर उसे समझ लिया था। भारत इस तकनीक में अब काफी आगे तक बढ़ चुका है।
प्रो. उपाध्याय ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों को मिली इसी सफलता का परिणाम है कि आज भारतीय सेना दुश्मन की सीमा के अंदर जाकर उन्हें मारकर वापस सफलता पूर्वक लौट आती है। क्योंकि उस क्षेत्र में होने वाली सूक्ष्म से सूक्ष्म आवाज को सुनने व समझने में देश सक्षम हो चुका है।
भारतीय वैज्ञानिकों के इस एनोवेशन को 20-20 नाम दिया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि स्पीच थैरेपी से सब कुछ आसानी से सुन व समझकर फटाफट क्रिकेट की तरह दुश्मन के गढ़ को भेदकर अपना काम निपटा लेती है। देश के दुश्मन तमाम आतंकवादी भी नव विकसित इसी टेक्नोलॉजी के चलते पकड़ में आ रहे हैं।