किलोमीटर स्कीम में डाली जाएंगी पंजाब रोडवेज की इलेक्ट्रिक बसें, पत्र लिखकर मांगी रिपोर्ट
पत्र में यह भी लिखा है कि यह भी बताया जाए कि किलोमीटर स्कीम के तहत बेड़े में शामिल की जाने वाली बसों को किन रूटों पर चलाया जा सकता है।
जालंधर, जेएनएन। कर्मचारी यूनियनों के कड़े विरोध के बावजूद पंजाब रोडवेज मुख्यालय फिर से किलोमीटर स्कीम के तहत ही अपने बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों समेत एचवीएसी एवं साधारण बसों को शामिल करने की कवायद में जुट गया है। पंजाब रोडवेज निदेशक कार्यालय द्वारा राज्य भर के 18 डिपुओं के महाप्रबंधकों को इस संबंध में पत्र लिखकर बसों की जरूरत एवं उनकी व्यवहारिकता रिपोर्ट मंगवाई गई है।
पत्र में यह भी लिखा है कि यह भी बताया जाए कि किलोमीटर स्कीम के तहत बेड़े में शामिल की जाने वाली बसों को किन रूटों पर चलाया जा सकता है। 11 मार्च को लिखे पत्र में जानकारी दी है कि किलोमीटर स्कीम के तहत 100 एचवीएसी, 100 एचवीएसी इलेक्ट्रिक एवं 200 साधारण बसें शामिल करने का का प्रस्ताव है। हालांकि मुलाजिम यूनियन इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। पं
जाब रोडवेज पनबस कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन ने राज्य भर में डिपो स्तर पर प्रबंधन को नोटिस दिया है कि कोई भी कांट्रैक्ट वर्कर किलोमीटर स्कीम की बसों को नहीं चलाएगा। वजह यह बताई जा रही है कि महंगे रेट की वजह से निजी बस ऑपरेटर्स को फायदा पहुंच रहा है, जबकि रोडवेज संस्थान को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ पंजाब रोडवेज के आला अधिकारियों का तर्क है कि इलेक्ट्रिक बसें महंगी हैं और उससे भी ज्यादा इलेक्ट्रिक बसों के लिए बुनियादी ढांचा (चार्जिंग प्वाइंट) स्थापित करने का खर्च है।
अगर इलेक्ट्रिक एवं एचवीएसी बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत रोडवेज के बेड़े में शामिल किया जाता है तो रोडवेज प्रबंधन को अपने स्तर पर कुछ भी नहीं करना पड़ेगा और संबंधित ऑपरेटर को ही समूचा ढांचा खड़ा करना होगा।
पंजाब रोडवेज जालंधर एक के महाप्रबंधक नवराज बातिश ने कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन से नोटिस प्राप्त होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि वे नोटिस मुख्यालय को प्रेषित कर देंगे। मौजूदा समय में पंजाब रोडवेज के बेड़े में बेहद कम किलोमीटर स्कीम की बसें ही बाकी बची हैं। पंजाब रोडवेज जालंधर-1 के पास 6 और पंजाब रोडवेज जालंधर-2 के पास मात्र 7 बसें ही किलोमीटर स्कीम के तहत चल रही हैं। अगर कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स किलोमीटर स्कीम बसों पर ड्यूटी करने को राजी नहीं भी होते हैं तो भी प्रबंधन अपने नियमित मुलाजिमों की सेवाएं ले सकता है।
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